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समाज में बदलाव के लिए गंगधारा की तरह विचारों की अविरलता भी आवश्यक
दून विश्वविद्यालय में देवभूमि विकास संस्थान की दो दिनी व्याख्यानमाला आरंभ
-सीएम पुष्कर सिंह धामी और महामंडलेश्वर स्वामी अवघेशानंद गिरी ने किया शुभारंभ
-22 दिसंबर को चार सत्रों में शिक्षा, संस्कृति, विकास हिमालयी क्षेत्रों की चुनौती पर होगा मंथन

 

देहरादून, 21 दिसंबर। हिमालयी क्षेत्रों की चुनौती और विकास को लेकर देवभूमि विकास संस्थान का दो दिनी गंगधाराःविचारों का अविरल प्रवाह, व्याख्यान माला का कार्यक्रम शनिवार से शुरू हो गया। दून विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ सीएम पुष्कर सिंह धामी और जूना अखाडे़ के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने किया। इस मौके पर कहा गया कि गंगधारा की तरह ही विचारों की अविरलता भी आवश्यक है। विचारों का प्रवाह आदमी को थकने नहीं देता और मंजिल तक पहुंचा देता है।
दून विश्वविद्यालय इस दो दिनी व्याख्यानमाला में सह आयोजक है। शनिवार को इस कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए मुख्य अतिथि बतौर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में परिवर्तन लाने के वाहक बनते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में विचारों के आदान-प्रदान की परंपरा रही है। उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों का जिक्र करते हुए कहा कि यहां पर इकोलाजी और इकोनोमी का संतुलन बनाना जरूरी है। उन्होंने विकल्प रहित संकल्प पर जोर देते हुए प्रदेश सरकार की तमाम उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने जल्द ही भू-कानून लाने और जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता लागू करने की बात को दोहराया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार दून विश्वविद्यालय में जल्द ही सेंटर फार हिंदू स्टडीज पर कोर्स शुरू करने जा रही है।
मुख्य वक्ता बतौर जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने भारतीय संस्कृति का चिरंतन प्रवाह पर अपने विचार रखे। उन्होंने गंगधाराः विचारों का अविरल प्रवाह कार्यक्रम के इस दिव्य अनुष्ठान, अभियान की सराहना की। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने इस कार्यक्रम के जरिए एक दिव्य अनुष्ठान का बीड़ा उठाया है। जो समाज में बदलाव लाने के लिए है। उन्होंने कहा कि हमारा आभार यह है कि कहीं से विचार आए, हम उनका स्वागत करते हैं। सभी दिशाओं से जो विचार आते हैं उन्हें हमने अपने सुविचार, कल्याण के लिए जीवन के उद्धार और सिद्धि के लिए आत्मसात भी किया है। कहा कि भारतीय जीवन के मूल में परमार्थ है। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता की तरह ही विचारों की अविरलता भी स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोचने के बारे में बहुत कुछ कहा जाता है। आवश्यक यह है कि हम यर्थाथवादी रहें। उन्होंने कहा कि जो सत्यनिष्ठ होता है, वो ही प्रतिष्ठित भी होता है।
स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भारत ने दुनिया को सुविचार दिए हैं। जब व्यक्ति सत्य की ओर यानि यर्थात की ओर बढ़ता है तो तब उसकी बहुत सी दुविधाएं, न्यूनताएं, उसके भीतर के दुराग्रह उसी समय ध्वस्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि असत्य से सत्य की ओर चलूं, मैं अंधकार से प्रकाश की ओर चलूं, मैं मृत्यु से अमृत्व की ओर चलूं, दुनिया को यह ज्ञान भारत ने दिया है।
उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र की चुनौतियों और विकास विषय के साथ ही पारिवारिक मूल्यों पर भी मंथन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डेस्टिनेशन वैंडिंग का चलन तेज हो रहा है, लेकिन आवश्यक यह है कि हम अपने मांगलिक कार्यों के लिए गांवों का रूख करें।
देवभूमि विकास संस्थान के संरक्षक, पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्यक्रम की प्रस्तावना को सामने रखा। हिमालयी सरोकारों को लेकर एक अविरल चलने वाले कार्यक्रम का उनका सपना था, जिस पर काम शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि लोगों के सहयोग से इसके लिए कारपस फंड तैयार किया गया है, जिससे इसके लगातार आयोजन में आर्थिक दिक्कत नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि लोगों के सुझाव जानने के लिए पांच पर्यवेक्षकों को भी जिम्मेदारी दी गई है, ताकि कार्यक्रम भविष्य में और बेहतर हो। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आज विवाह जैसी संस्था प्रभावित हो रही है और रिश्ते बहुत जल्द टूट रहे हैं, उसे देखते हुए प्री वैडिंग काउंसलिंग के कार्यक्रम करने पर भी विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दून विश्वविद्यालय के डा नित्यानंद सभागार में ही इस आयोजन को हम करना चाहते थे, क्योंकि डा नित्यानंद ने हिमालय के अभूतपूर्व सेवा की है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों को लेकर विचार बहुत किया जाता है, लेकिन इसे गंगधारा के रूप में क्रियान्वित किया जाना महत्वपूर्ण है। इससे पहले, अतिथियों का स्वागत करते हुए दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल ने कहा कि दुनिया तमाम समस्याओं के समाधान के लिए भारत की तरफ देख रही है, इसलिए हमारा चिंतन दुरूस्त होना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन डा हरीश पुरोहित ने किया। देवभूमि विकास संस्थान की मेन ट्रस्टी कृति रावत, सचिव सतेंद्र नेगी, डा दीपक भट्ट के अलावा नियुक्त किए गए पर्यवेक्षक प्रो आरसी डंगवाल, प्रो आरती ममगाईं, डा डीसी नैनवाल आदि इस मौके पर उपस्थित थे। संस्था की ओर से आयोजकों को प्रतीक चिन्ह भेंट किए गए। इससे पहले, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कार्यक्रम स्थल पर लगाए गए विभिन्न स्टालों का निरीक्षण किया। ट्रांस ब्रिज स्कूल के बच्चों ने मांगल व गंगा गीत की सुंदर प्रस्तुति दी।

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Author: Swati Panwar
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