उत्तराखंड के पहाड़ों पर हो रही थी खुदाई, तभी जमीन से निकली ऐसी चीज हाथ जोड़कर बैठ गए ग्रामीण
Uttarakhand News उत्तराखंड के बागेश्वर में मिली छह ओखली वाली शिला कत्यूरकालीन हो सकती है। कत्यूर घाटी में सातवीं-आठवीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी तक कत्यूरी राजाओं का शासन रहा। यह शिला तत्कालीन सभ्यता और खानपान के लिए सामग्री तैयार करने की साधन हो सकती है। फिलहाल यह शोध का विषय है। इसको एक धरोहर के रूप में रखा जाएगा।
ज्वणास्टेट में मिली छह ओखली वाली शिला कत्यूरकालीन हो सकती है। कत्यूर घाटी में सातवीं-आठवीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी तक कत्यूरी राजाओं का शासन रहा।
वयोवृद्ध इतिहासकार गोपाल दत्त पाठक ने बताया कि कत्यूरी राजाओं ने मंदिर, नौले-धारे बनाने के साथ अनेक ऐतिहासिक निर्माण कार्य किए। कत्यूर घाटी प्रारंभ से ही धान का कटोरा कही जाती है।
पहाड़ों में ओखली को माना जाता है भैरव देवता का प्रतीक
एकत्रित धान कूटने के लिए हो सकता है कि तत्कालीन राजाओं ने एक साथ बड़ी शिला में कई ओखलियां बनाई हो। यह शिला तत्कालीन सभ्यता और खानपान के लिए सामग्री तैयार करने की साधन हो सकती है।
फिलहाल यह शोध का विषय है। लेकिन पहाड़ों में ओखली को भैरव देवता का प्रतीक माना जाता है। यहां ओखली की पूजा का विधान भी है। इसलिए कुछ ग्रामीणों इसकी पूजा करने में जुट गए हैं।
भैरव देवता का मंदिर बनाएंगे ग्रामीण
खुदाई के दौरान जिस स्थान पर छह ओखली वाली शिला मिली है। वहां पर ग्रामीण भैरव देवता का मंदिर बनाएंगे। इसको एक धरोहर के रूप में रखा जाएगा।
इसको सुव्यवस्थित रखने और इसके सुंदरीकरण के लिए ज्वणास्टेट के वरिष्ठ नागरिक कै. पुष्कर सिंह बिष्ट, प्रशासक सुशीला बिष्ट, पूर्व प्रधान भरत बिष्ट, कै. मदन नाथ गोस्वामी, शंकर नाथ गोस्वामी आगे आए हैं। वे इसके लिए स्वयं का खर्चा उठाएंगे।
कत्यूर घाटी का समृद्ध इतिहास रहा है। यहां खुदाई के दौरान पहले भी कई मूर्तियां, बर्तन और अन्य सामग्री मिली हैं। यहां कत्यूरी राजाओं का शासन रहा। यह शिला शोध का विषय है। यह कत्यूरकालीन ही प्रतीत हो रही है। स्थलीय निरीक्षण के बाद और भी जानकारी मिल सकती है। – डा. चंद्र सिंह चौहान, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी अल्मोड़ा
सड़क खोदाई के दौरान मिली शिला
थापलीधार- ज्वणास्टेट- ह्वील कुलवान सड़क के मिलान कार्य का इसी माह सात जनवरी को शुभारंभ हुआ था। सड़क खोदने का कार्य हो रहा है। सड़क खुदाई के दौरान कै. मदन नाथ गोस्वामी के मकान के ऊपर छह ओखली वाली एक भारी भरकम पत्थर की शिला मिली। लोडर मशीन की सहायता से किनारे रखा गया। ग्रामीणों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है।
सरकार से गठित टीम ने शुरू की खड़िया खनन क्षेत्र की जांच
बागेश्वर : हाईकोर्ट की सख्ती के बाद प्रदेश सरकार ने खड़िया खनन की जांच के लिए प्रदेश स्तरीय जांच टीम गठित की है। मंगलवार को टीम कांडा क्षेत्र में पहुंची तथा जांच शुरू कर दी है। एक सप्ताह तक टीम जांच करेगी। वहां खड़िया खनन से हो रहे नुकसान तथा उसके मानकों की जांच भी होगी। जांच रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपेगी। कांडा क्षेत्र में खड़िया खनन से हो रहे नुकसान का हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया।
न्यायालय की सख्ती के बाद प्रदेश सरकार ने प्रदेश स्तरी जांच कमेटी गठित की। साथ ही जिला स्तरीय जांच कमेटी भी बनाई गई है। दो दिन पहले जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने रीमा क्षेत्र की खड़िया खानों का निरीक्षण किया। मंगलवार को भूतत्व एवं खनिजकर्म विभाग देहरादून से आई टीम ने राजस्व विभाग के साथ कांडा क्षेत्र के खड़िया खानों का निरीक्षण शुरू किया।
टीम ने पहले दिन कांनेकन्याल व सुनारगांव के खड़िया खानों का निरीक्षण किया। यह जांच सप्ताह तक चलेगी। टीम में अपर निदेशक डा. अमित कुमार, उप निदेशक लेखा राज, भू-वैज्ञानिक रवि नेगी, सहायक भू वैज्ञानिक सुनील दत्त जिला खान अधिकारी नाजिया हसन खान के अलावा तहसील प्रशासन की ओर से कानूनगो पप्पू लाल टम्टा, राजस्व उप निरीक्षक मनोज कुमार तहसीलदार काफलीगैर किशोर रौतेला आदि शामिल हैं।
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