इक्वाइन इन्फ्लूएंजा का बढ़ा खतरा…गौरीकुंड और सोनप्रयाग में 1600 से अधिक घोड़ा-खच्चर क्वारंटीन
पशुपालन विभाग की टीम ने गौरीकुंड का निरीक्षण किया। विभाग ने पशुपालकों को पशुओं की देखरेख के प्रति जागरूक किया और संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत विभाग को सूचित करने को कहा।
पशुपालन विभाग ने गौरीकुंड और सोनप्रयाग में श्वसन रोग (इक्वाइन इन्फ्लूएंजा) से संक्रमित 1600 से अधिक घोड़ा-खच्चरों को क्वारंटीन कर दिया है। साथ ही 100 से अधिक पशुपालक अपने जानवरों को लेकर घरों को लौट चुके हैं।
मंगलवार को पशुपालन विभाग की टीम ने गौरीकुंड का निरीक्षण किया। विभाग ने पशुपालकों को पशुओं की देखरेख के प्रति जागरूक किया और संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत विभाग को सूचित करने को कहा।
दो मई से शुरू हुई केदारनाथ यात्रा में बीते दो दिनों में सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 14 घोड़ा-खच्चरों की मौत हो चुकी है। इससे शासन, प्रशासन और विभाग में हड़कंप मचा है। जानवरों की मौत का प्रारंभिक कारण श्वसन रोग बताया जा रहा है। वहीं, स्थानीय लोगों ने मृत जानवरों की संख्या 50 से अधिक होने की बात कही है।
इधर, मंगलवार को मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ.आशीष रावत के नेतृत्व में चिकित्सकीय दल ने सोनप्रयाग और गौरीकुंड में पशु प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकांश घोड़ा-खच्चर श्वसन रोग से पीड़ित मिले। इन जानवरों को बुखार, खांसी, नाक से पानी बहना और शरीर में दाने हो रहे हैं। कई जानवर, इतने बीमार हैं कि पानी तक नहीं पी पा रहे हैं।
इस स्थिति को देखते हुए पशुपालन विभाग ने तत्काल प्रभाव ने गौरीकुंड के अलग-अलग हिस्से में 1500 पीड़ित घोड़ा-खच्चरों को क्वारंटीन कर दिया है। बताया जा रहा है कि पांच दिनों तक जानवरों के स्वास्थ्य पर पैनी नजर रखी जाएगी। वहीं, सोनप्रयाग में भी 100 से अधिक घोड़ा-खच्चरों को क्वारंटीन किया गया है।
मुख्य पशुपालन अधिकारी डा. आशीष रावत ने बताया कि श्वसन रोग तेजी से फैला है, जिससे यात्रा के लिए पंजीकृत घोड़ा-खच्चर व्यापक स्तर पर संक्रमित हुए हैं। स्थिति गंभीर है, लेकिन नियंत्रण में है और आने वाले एक सप्ताह में हालात काफी हद तक और सुधरने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि 14 घोड़ा-खच्चरों की मौत हुई है, जिसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। बताया कि राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान हिसार की टीम बुधवार से प्रभावित क्षेत्र में जानवरों के स्वास्थ्य की जांच करेगी, जिसके आधार पर यात्रा में घोड़ा-खच्चरों के संचालन का निर्णय लिया जाएगा।
मार्च में संक्रमित होने लगे थे घोड़ा-खच्चर
इस वर्ष केदारनाथ यात्रा के लिए 22 मार्च से घोड़ा-खच्चरों की स्वास्थ्य जांच और बीमा के लिए पंजीकरण शिविर शुरू हो गया थे। 22 से 24 मार्च के बीच पशुपालन विभाग ने 751 घोड़ा-खच्चरों का पंजीकरण किया था। इसी दौरान बसुकेदार और ऊखीमठ तहसील के कुछ गांवों में भी घोड़ा-खच्चरों में हॉर्स फ्लू की शिकायत मिली थी। वहीं, गौंडार गांव में संक्रमण से तीन खच्चरों की मौत भी हो गई थी। तब, पशुपालन विभाग ने यात्रा के लिए पंजीकरण शिविर दस दिन के लिए स्थगित कर दिए थे। बाद में पशुपालन विभाग ने पुन: शिविरों का आयोजन कर 5000 घोड़ा-खच्चरों का पंजीकरण किया था।
पूर्व में भी हो चुके इस तरह के हालात
केदारनाथ यात्रा में वर्ष 2009 और 2012 में भी इक्वाइन इन्फ्लूएंजा के संक्रमण से 300 से अधिक घोड़ा-खच्चरों की मौत हो गई थी। उस वक्त भी संक्रमित क्षेत्र का दायरा गौरीकुंड से जंगलचट्टी के बीच सबसे ज्यादा था। वर्ष 2023 में यात्राकाल में 351 घोड़ा-खच्चरों की मौत हुई थी। हालांकि मौत का कारण पेट दर्द और गैस होना पाया गया था।

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