खत्म होने वाला है इंतजार, जल्द इस खंड पर दौड़ेंगी कारें,
Delhi-Dehradun Expressway Status: दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण कार्य जोर-शोर से चल रहा है. 6 लेन यह कॉरिडोर दिल्ली और देहरादून की दूरी को 39 किलोमीटर कम कर देगा. वर्तमान में यह दूरी 249 किलोमीटर है, जिसे यह कॉरिडोर घटाकर 210 किलोमीटर कर देगा.
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे दिल्ली के अक्षरधाम से शुरू होता है. यह शास्त्री पार्क, खजूरी खास, मंडोला बागपत, खेकड़ा शामली, सहारनपुर होते हुए देहरादून तक जाएगा. इसका निर्माण तीन चरणों में किया जा रहा है. पहला सेक्शन अक्षरधाम और कुंडली पलवल एक्सप्रेस-वे को जोड़ेगा. इस सेक्शन के मार्च, 2024 तक यातायात के लिए खुलने की पूरी उम्मीद है.
पहले सेक्शन की कुल लंबाई 31.6 किलोमीटर है. इसमें से करीब 18 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटिड है. एलिवेटेड रोड दिल्ली के शास्त्रीनगर से शुरू होकर लोनी तक जाता है. एलिवेटिड रोड का 90 फीसदी सिविल वर्क पूरा हो चुका है. बाकी बचा काम को पूरा करने की कवायद जोर-शोर से चल रही है.
अक्षरधाम से ईपीई क्रॉसिंग तक यह एक्सप्रेसवे पूर्वी दिल्ली की घनी आबादी से गुजर रहा है. निर्माण के दौरान आवाजाही में लोगों को परेशानी न हो, इस वजह से 18 किमी. तक एलेवेटेड बनाया जा रहा है. एलिवेटिड रोड बनने की वजह से गीता कालोनी, खजूरी खास, मंडोला और पंचगांव जैसी घनी आबादी वाली जगहों से वाहनों को नहीं गुजरना होगा. वाहन ऊपर से निकल जाएंगे. इससे बागपत, सहारनपुर और उत्तराखंड जाने वाले वाहन चालकों को जाम से मुक्ति मिलेगी.
यूपी में इस एक्सप्रेसवे का पहला एलिवेटिड सेक्शन साढे ट्रोनिका सिटी को क्रॉस करके पंचलोक गांव तक जाता है. दूसरा एलिवेटिड सेक्शन मंडोला गांव से शुरू होता है और ईस्टर्न पेरिफल एक्सप्रेसवे तक जाता है. ये दोनों ही सेक्शन अब लगभग बनकर तैयार हैं
एलिवेटिड सेक्शन के अलावा जमीन पर जिस हिस्से में रोड बनाना है, वह भी पहले सेक्शन में लगभग तैयार हो चुका है. इसी से उम्मीद की जा रही है कि मार्च तक पहले सेक्शन पर यातायात चालू हो जाएगा
रास्ता खुलने के बाद दिल्ली से देहरादून की दूरी 6 घंटे से घटकर करीब 2.5 घंटे तक आ जाएगी. इस रूट से दिल्ली-हरिद्वार के सफर में 2 घंटे कम लगेंगे. वहीं दिल्ली से ऋषिकेश 3 घंटे में पहुंचना संभव हो सकेगा.
एक्सप्रेसवे पर एशिया का सबसे लंबा वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर (Asia Longest Wildlife Corridor) बन रहा है. इस कॉरिडोर के बनने से जंगली जानवरों और इंसानों का आमना-सामना नहीं होगा. कॉरिडोर के ऊपर से जहां वाहन दौड़ेंगे, वहीं नीचे से हाथी सहित अन्य जंगली जानवर आसानी से गुजर सकेंगे.
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