छात्रवृत्ति घोटाले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, डीआईटी यूनिवर्सिटी के चेयरमैन को जारी किया नोटिस
वर्ष 2012 से 2016 तक एससीएसटी छात्रों के लिए जारी होने वाली करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति को कई प्रदेशों के शिक्षण संस्थानों ने बंदरबांट किया था।
छात्रवृत्ति घोटाले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने डीआईटी यूनिवर्सिटी के मालिकों को नोटिस जारी किया है। घोटाले के संबंध में उनसे 10 दिनों के भीतर जवाब के साथ दस्तावेज दाखिल करने के लिए कहा गया है। इससे पहले मामले में सिडकुल थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। घोटाले में ईडी कई शिक्षण संस्थानों की संपत्तियां अटैच कर चुकी है। मामले में अभी कई शिक्षण संस्थानों के खिलाफ मनी लॉन्डि्रंग के तहत जांच की जा रही है।
छात्रवृत्ति घोटाले का यह मामला वर्ष 2017 में सामने आया था। आरोप था कि वर्ष 2011-12 से 2016-17 के बीच विभिन्न शिक्षण संस्थानों ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति की रकम अपने खातों में हासिल की है। यह छात्रवृत्ति एससी एसटी छात्रों के लिए विभाग से जारी की गई थी। मामले में एसआईटी ने जांच शुरू की तो हरिद्वार के सिडकुल और देहरादून में प्राथमिकी दर्ज की गईं। एसआईटी ने जांच में पाया कि शिक्षण संस्थानों ने सैकड़ों छात्रों के फर्जी दाखिले अपने यहां दर्शाए और इनके नाम से आई छात्रवृत्ति की रकम खुद अपने खातों में ले ली
जिन छात्रों के दाखिले दर्शाए गए थे, उनमें से कई तो ऐसे थे जो सिर्फ पांचवीं और दसवीं तक पढ़े थे। एसआईटी ने इस प्रकरण में जांच करते हुए कुल 20 शिक्षण संस्थानों के प्रबंधन के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। वहीं 105 विभागीय अधिकारियों, कॉलेज प्रबंधन के लोगों और कर्मचारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। साथ-साथ ईडी ने धन शोधन अधिनियम के तहत जांच शुरू की और एक के बाद एक शिक्षण संस्थान पर कार्रवाई शुरू हुई। इसी क्रम में अब डीआईटी के मालिकों को नोटिस जारी किया गया है।
2010 से 2017 तक का विवरण मांगा
ईडी ने डीआईटी से 2010 से 2017 तक का विवरण सॉफ्ट कॉपी और हार्ड कॉपी के रूप में मांगा है। इनमें छात्रों के नाम, पते, बैंक खाता संख्या और इस दौरान प्राप्त हुई छात्रवृत्ति की रकम का विवरण शामिल है। यह सब नोटिस मिलने की तिथि के 10 दिनों के भीतर ईडी कार्यालय में जमा कराना होगा।

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