प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्यवाही करते हुए उत्तराखंड के देहरादून समेत हरियाणा और महाराष्ट्र में अवंता समूह के स्वामी गौतम थापर की 678.48 करोड़ रुपये की संपत्तियों को कुर्क कर दिया ।
देहरादून में गौतम थापर की पछवा दून परगना में गुनियाल गांव की संपत्ति (18 एकड़ भूमि) को कुर्क किया गया है। यह मामला वर्ष 2019 से गतिमान है। जिसमें सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लिमिटेड ने सेबी (लिस्टिंग दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं) विनियम, 2015 के विनियम 30 के तहत बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को उन निष्कर्षों के बारे में खुलासा किया था, जिनका कंपनी की वित्तीय स्थिति पर संभावित प्रभाव पड़ा था।
ईडी के मुताबिक, सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लिमिटेड की ओर से किए गए खुलासे से पता चला कि कंपनी की संपत्ति और देनदारियों को काफी कम करके दिखाया गया है।
इस मामले एसबीआई की ओर से दर्ज की गई शिकायत पर सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) ने जून 2021 में सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशन लि., गौतम थापर, केएन नीलकंठ, माधव आचार्य, बी हरिहरन, ओंकार गोस्वामी और अज्ञात लोकसेवकों के विरुद्ध 2435 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था।
अवंता समूह के स्वामी गौतम थापर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वर्ष 2021 में गिरफ्तार किया था। ईडी के मुताबिक ऑयस्टर बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड (OBPL), झाबुआ पावर लिमिटेड (JPL), झाबुआ पावर इन्वेस्टमेंट लिमिटेड (JPIL), अवंता पावर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (APIL), अवंता रियल्टी लिमिटेड (ARL) आदि के जरिए धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया, जो गौतम थापर द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित और लाभकारी रूप से स्वामित्व वाली कंपनियां थीं।
ईडी ने सीबीआई की इसी एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच शुरू की। जिसमें 02 अनंतिम आदेश में 14.43 करोड़ रुपये की संपत्तियां पूर्व में कुर्क की जा चुकी हैं।
ईडी की ओर से आगे की जांच में यह भी पता चला कि 1307.06 करोड़ रुपये ऋण लेकर और अपने फंड से अवंता
समूह की कंपनियों में डायवर्ट किए गए हैं। अधिकांश धनराशि का भुगतान बोर्ड के उचित प्राधिकरण के बिना किया गया है और अंततः अवंता समूह की कंपनियों को भुगतान की गई धनराशि अवंता समूह पर अभी भी बकाया है। इसलिए, अवंता समूह की कंपनियों की 678.48 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है। प्रकरण में जांच अभी भी गतिमान है। जिसके क्रम में अभी और कार्रवाई संभव है
साथ ही गौतम थापर का यस बैंक से जुड़ा गड़बड़झाला तब सामने आया था, जब उनकी समूह की कंपनियों में से एक अवंता रियल्टी ने वर्ष 2017 में यस बैंक से 515 करोड़ रुपये उधार लिए, यह लोन 02 साल में ही डिफॉल्ट हो गया था ।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार, उन पर यस बैंक को 466 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का भी आरोप है। तब से थापर पर वित्तीय घोटाले, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के कई आरोप लग चुके हैं।
वर्ष 2019 में सामने आए आरोपों के बाद गौतम थापर को अवंता समूह की प्रमुख कंपनी सीजी पावर के निदेशक मंडल के अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था। साथ ही सेबी ने भी उन्हें और कुछ अन्य अधिकारियों को सिक्योरिटीज मार्केट में काम करने पर प्रतिबंधित कर दिया था। यस बैंक और उसके संस्थापक राणा कपूर के साथ उनके जुड़ाव और वित्तीय लेन-देन के कारण ही वित्तीय धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के बीच उनके व्यापारिक लेन-देन की भी गहन जांच शुरू की गई थी।
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