UTTARAKHAND NEWS

Big breaking :-उत्तराखंड के इस इलाके में नहीं मनाया जाता दशहरा, लड़ा जाता है गागली युद्ध

NewsHeight-App

 

*जौनसार बावर के उत्पालटा एवं कुरोली में नहीं मनाया जाता दशहरा, लड़ा जाता है गागली युद्ध*

*एक घटना के पश्चाताप में दोनों ही गाँव के लोग मनाते हैं पाइंता, निभाते हैं विचित्र परंपरा*

पांइता पर्व दो बहनों की कुएं में गिरकर मौत होने और उसके बाद दो गांवों में युद्ध की किंवदंती पर आधारित एक प्रथा है। दशहरा पर्व के दिन जहां देशभर में रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं वहीं जौनसार बावर के दो गाँव उत्पालटा और कुरोली दशहरा ना मनाते हुए पश्चाताप करते हैं।

 

देश भर में अपनी अनूठी लोक संस्कृति और परंपराओं के चलते अपनी अलग पहचान रखने वाले जौनसार बावर के उत्पालटा गांव में विजयी दशमी को पाईंता पर्व के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि दशहरे के दिन घटी एक घटना के चलते पश्चाताप स्वरूप यहाँ उत्पालटा और कुरोली गाँव पाइंता मनाते हैं। इस अवसर पर उत्पालटा और कुरोली गांव के बीच प्रसिद्ध गागली (अरबी) युद्ध खेला जाता है, लोग एक दूसरे को गागली से बने डंठल से मारते हैं। दरसल एक श्रापित मान्यता के अनुसार जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर के उत्पालटा और कुरोली गाँव में कई पीड़ियो से दशहरा नहीं मनाया जाता है। बल्कि इस दिन दोनों गाँवों के लोगों के बीच एक अलग ही प्रथा को निभाया जाता है, निकटतम गाँव कुरोली के ग्रामीणों का हुजूम नाचते गाते हुए उत्पालटा गाँव के सामूहिक आँगन में पहुंचता है, जिनका उत्पालटा गाँव के ग्रामीणों द्वारा परंपरागत स्वागत सत्कार किया जाता है, जिसके बाद दोनों गाँवों के लोग लोक नृत्य करते हुए देवधार नामक स्थान पर पहुंच कर अरबी के बड़े बड़े पौधों से युद्ध लड़ते हैं, एक दूसरे को भगा भगा कर पीटा जाता है ये नजारा बेहद ही विचित्र लेकिन आनंदमई दिखाई देता है। इस मौके पर आसपास के तमाम गाँवों के लोग दूर-दूर से पहुँचकर इस अनोखी परंपरा के साक्षी बनते हैं।
एक किंवदंती के अनुसार कई सौ साल पहले उत्पालटा गांव के दो परिवारों की दो लडकियां मुन्नी और रानी दशहरे के दिन गांव के पास एक कुएं के किनारे खेल रही थी और खेलते वक्त रानी अचानक कुएं में गिर गई थी जिसके बाद घर लौटी मुन्नी पर सबने आरोप लगाये की उसने ही रानी को कुएं में धक्का दिया होगा, और इन आरोपों से खिन्न होकर मुन्नी ने भी कुएं में छलांग लगाकर अपनी

 

 

 

जिवनलिला समाप्त कर ली थी। जिसके बाद दोनों परिवारों में टकराव हो गया और उनमें से एक परिवार कुरोली नामक जगह पर बस गया था। दोनों ही परिवार के लोगों ने इस हादसे के बाद खुद को श्रापित मान लिया और अपराध बोध से मुक्त होने के लिये प्रत्येक वर्ष अष्टमी के दिन घास से बनी मुन्नी और रानी की मूर्ति बनाकर पूजते हैं, और दशहरे के दिन पूरे विधि विधान से उस ही कुएं में उन्हें विसर्जित किया जाता है, पीड़ियो पहले हुए इस दुखद हादसे से पूरे गाँव ने खुद को श्रापित मान लिया और गाँव भी दो जगह बंट गये तब से ही दोनों गाँव इस प्रथा को निभाते आ रहे हैं। जौनसार बावर में पाईंता का अर्थ दहेज होता है, पाईंता पर्व के मौके पर दोनों ही गाँवो के ग्रामीण मुन्नी और रानी के लिए फल फूल और खास तौर पर तैयार पकवानों को दान कर अपना अपराधबोध करते हैं। मान्यतानुसार जब उत्पालटा या कुरोली गाँव में एक ही दिन दो बेटियों का जन्म होगा तब ये दोनों गाँव श्राप मुक्त हो सकेंगे, जिसके लिये दोनों ही गाँवों के ग्रामीण अपने कुल देवताओं से प्रार्थना कर मन्नत मांगते हैं।

 

 

इस विशेष तरह के आयोजन में सम्मिलित होने के लिये गाँव के वो लोग भी विशेष तौर पर छुट्टी लेकर अपने-अपने घर
पहुँचते हैं जो विभिन्न कारणों से बाहर रहते हैं। इस दौरान विभिन्न प्रकार के पारंपरिक व्यंजन बनाये जाते हैं, और अतिथियों का विशेष स्वागत सत्कार किया जाता है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज़ हाइट (News Height) उत्तराखण्ड का तेज़ी से उभरता न्यूज़ पोर्टल है। यदि आप अपना कोई लेख या कविता हमरे साथ साझा करना चाहते हैं तो आप हमें हमारे WhatsApp ग्रुप पर या Email के माध्यम से भेजकर साझा कर सकते हैं!

Click to join our WhatsApp Group

Email: [email protected]

Author

Author: Swati Panwar
Website: newsheight.com
Email: [email protected]
Call: +91 9837825765

To Top