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कमजोर जांच से छूट रहे ड्रग्स तस्कर, उत्तराखंड हाईकोर्ट बोला- पुलिसकर्मियों को दें ट्रेनिंग

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सूबे में नशीले पदार्थों की तस्करी से जुड़े गंभीर अपराधों की कथित गैर पेशेवर जांच पर सख्त नाराजगी जताते हुए पुलिस कर्मियों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाने की जरूरत बताई है।उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सूबे में नशीले पदार्थों की तस्करी से जुड़े गंभीर अपराधों की कथित गैर पेशेवर जांच पर सख्त नाराजगी जताई है। अदालत ने पुलिस कर्मियों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित करने की जरूरत बताई है। अदालत ने कहा है कि गंभीर मामलों की जांच सही तरीके से नहीं होने के कारण अपराधी छूटते जा रहे हैं।न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की पीठ ने यह टिप्पणी एनडीपीएस के तहत जेल में बंद 68 साल दयावती की अपील पर सुनवाई के दौरान की। ऊधमसिंह नगर जिले के जसपुर के अमियावाला गांव निवासी दयावती को गांजा तस्करी के मामले में अदालत ने दोषी मानते हुए पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषपूर्ण जांच के चलते उसे जमानत प्रदान कर दी।

 

 

 

अपीलकर्ता के अधिवक्ता आदित्य प्रताप सिंह ने जांच पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि गवाहों के बयानों में विसंगतियां हैं। महत्वपूर्ण साक्ष्य ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश नहीं किए गए। ना तो अभियोजन पक्ष की ओर से ही अनिवार्य वैधानिक प्रावधानों का पालन किया गया है। न तो जांच अधिकारी और न ही अभियोजन पक्ष की ओर से इस प्रकरण के दो प्रमुख गवाहों को जांच प्रक्रिया में शामिल किया गया जो गंभीर खामी है। अगला

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अदालत ने भी माना कि जांच दोषपूर्ण है और जांच अधिकारी ने अपने कर्तव्यों का सही निर्वहन नहीं किया है। अदालत ने ट्रायल कोर्ट की कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट की ओर से भी इस मामले में अपनी शक्ति का उपयोग नहीं किया गया। अदालत ने अपने आदेश में साफ कहा कि दंडनीय अपराधों की दोषपूर्ण जांच से आरोपी गंभीर अपराधों में बरी हो जाते हैं जो सही नहीं

अदालत ने आगे कहा कि देश में ड्रग्स तस्करी एक बड़ी चुनौती है। तोड़ने वाली ताकतों ने देश के खिलाफ एक युद्ध छेड़ रखा है। यह स्थिति खतरनाक है। एनसीबी ने भी अपनी वेबसाइट में कहा है कि ड्रग्स तस्कर नई तकनीक का सहारा ले रहे हैं। इनमें डार्कनेट और ड्रोन भी शामिल हैं।

अदालत ने कहा- अपराधियों के बरी होने से उनका साहस बढ़ता है। यही नहीं इससे कानून का डर भी खत्म हो जाता है। इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को रोकने के लिए यह बहुत जरूरी है कि जांच पेशेवर तरीके से की जाए। यह समय की जरूरत है कि जांच अधिकारियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाए। अदालत ने प्रमुख सचिव गृह और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को इसमें पहल करने के निर्देश दिए हैं।

अदालत ने कहा कि एनसीबी और उत्तराखंड न्यायिक अकादमी (उजाला) के सहयोग से 2 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाए। अदालत ने प्रदेश की सभी ट्रायल कोर्ट (निचली अदालतों) और जिला न्यायाधीशों और उजाला के निदेशक को भी आदेश की प्रति भेजने और इस प्रकरण में आवश्यक पहल करने को कहा है।

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Author: Swati Panwar
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