*डबल इंजन सरकार की तत्परता से बची 46 लोगों की जिंदगियां*
*सीएम धामी की प्रशासनिक सक्रियता और उनके पिछले 3 वर्षों के अनुभवों ने सरकार को आपदा प्रबंधन के मामलों में बनाया अधिक सक्षम और प्रभावी*
उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार की संवेदनशीलता, तत्परता और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल आपदा प्रबंधन ने चमोली जिले के माणा में हुए भीषण हिमस्खलन से आई आपदा के नुकसान को न्यूनतम कर दिया। तीन दिन पूर्व हुई इस भयावह घटना में कुल 54 लोग बर्फ के नीचे दब गए थे, जिसमें से 46 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया, जबकि दुर्भाग्यवश आठ लोगों के शव बरामद हुए।
इस बचाव अभियान में प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया और सेना की सक्रिय भागीदारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में बिना किसी विलंब के रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया, जिससे कई जिंदगियां बच सकीं। उन्होंने स्वयं हालात पर लगातार नजर बनाए रखी और सभी संबंधित विभागों को मुस्तैदी से कार्य करने के निर्देश दिए।
हादसे की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री धामी ने खराब मौसम और अधिकारियों की आपत्तियों के बावजूद स्वयं ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर राहत कार्यों की निगरानी की। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि बचाए गए प्रत्येक व्यक्ति को समुचित चिकित्सा और राहत सहायता उपलब्ध कराई जाए। उनकी सक्रियता का परिणाम यह रहा कि गंभीर रूप से घायल दो श्रमिकों को त्वरित रूप से हायर सेंटर रेफर किया गया।
*अनुभव से मिली सीख*
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने हाल के वर्षों में आपदा प्रबंधन में उल्लेखनीय सुधार किया है। पिछले कुछ वर्षों में सिल्क्यारा टनल हादसा, हरिद्वार-ऊधमसिंहनगर क्षेत्र में आई बाढ़, जोशीमठ में भूस्खलन जैसी गंभीर आपदाओं से निपटने में सरकार की दक्षता स्पष्ट रूप से दिखी है। हर बार मुख्यमंत्री धामी खुद ग्राउंड जीरो पर उतरकर राहत कार्यों की निगरानी करते नजर आए हैं। इस प्रशासनिक सक्रियता और अनुभव ने उत्तराखंड सरकार को आपदा प्रबंधन के मामले में अधिक सक्षम और प्रभावी बना दिया है।
*संगठित प्रयास और केंद्र सरकार का सहयोग*
रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी और सेना के जवानों ने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया। केंद्र सरकार के सहयोग से राहत कार्यों को तीव्र गति से संचालित किया जा सका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस आपदा पर चिंता व्यक्त करते हुए उत्तराखंड सरकार को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए विशेष राहत दलों और संसाधनों से बचाव कार्य को और अधिक प्रभावी बनाया गया। जब भी वायुसेना से हेलीकॉप्टर की आवश्यकता पड़ी, वह त्वरित रूप से उपलब्ध कराया गया, जिससे राहत कार्यों को गति मिली।
*आपदा प्रबंधन में उत्तराखंड सरकार की नई दिशा*
मुख्यमंत्री धामी ने इस सफल बचाव अभियान के बाद राहत एवं बचाव दलों की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार किसी भी आपदा से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। राज्य में राहत एवं बचाव कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है और केंद्र सरकार का निरंतर सहयोग उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में और अधिक सशक्त बना रहा है।
उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार के प्रभावी आपदा प्रबंधन, संगठित प्रशासनिक प्रयासों और सीएम धामी के दृढ़ संकल्प ने यह सिद्ध कर दिया है कि प्रदेश किसी भी संकट की घड़ी में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाने को प्रतिबद्ध है। इन ठोस प्रयासों ने उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक नया आयाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
*हर आपदा दे गई नई सीख*
उत्तराखंड को वर्ष 2022 में मालदेवता आपदा, वर्ष 2023 में जोशीमठ भू धंसाव, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर, सिल्क्यारा टनल रेस्क्यू, जुलाई 2024 में केदारनाथ और 2025 में माणा हिमस्खलन जैसी आपदाओं का सामना करना पड़ा है। जिसमें हर बार सीएम धामी के नेतृत्व में प्रशासन का एक अलग रूप देखने को मिला है। ये पुराने अनुभवों और सीएम धामी की कार्यकुशलता का ही असर है कि प्रदेश में आपदा से होने वाला नुकसान पूर्ववर्ती सरकारों की तुलना में कम हो गया है। प्रदेश सरकार उत्तराखंड में वनाग्नि जैसी घटनाओं को रोकने में भी लगातार काम कर रही है। जिसमें सेना की भी मदद ली जा रही है।
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