कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसले।
० उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग) (पंचायत राज और स्थानीय निकाय) (नियुक्ति और सेवा की शर्तें) (संशोधन) नियमावली – 2023 के संबंध में केबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय। राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति एवं सेवा की शर्तों हेतु उत्तराखण्ड राज्य में लागू उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग (पंचायत राज और स्थानीय निकाय) ( नियुक्ति और सेवा की शर्तें) नियमावली 1994 के अध्याय दो नियुक्ति के नियम 4 पदावधि में निहित प्राविधानों को संशोधित किये जाने हेतु मुख्यमंत्री जी के अनुमोदनोंपरान्त शासन की अधिसूचना संख्या-1 /118332/2023, दिनांक 28 अप्रैल, 2023 के द्वारा उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग (पंचायत राज और स्थानीय निकाय) (नियुक्ति और सेवा की शर्तें) नियमावली – 2023 प्रख्यापित की गयी है। नियमावली के प्रख्यापन के उपरान्त राज्य निर्वाचन आयोग की पदावधि पांच वर्ष अथवा पैंसठ वर्ष के स्थान पर 6 वर्ष अथवा 68 वर्ष कर दी गयी है।
० प्राधिकरण क्षेत्रान्तर्गत मानचित्र स्वीकृति की अनिवार्यता किये जाने के उपरांत कार्मिकों की तैनाती के प्रस्ताव में संशोधन के संबंध में केबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय। वर्तमान में वर्ष 2016 से पूर्व के प्राधिकरणों एवं विनियमित क्षेत्रों को छोड़कर नये सम्मिलित क्षेत्रों में मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया को वर्ष 2021 में अग्रिम आदेशों तक स्थगित किया गया था, जिस कारण अनियमित / अनियोजित निर्माण हो रहा था। इसके दृष्टिगत प्राधिकरण क्षेत्रों में मानचित्र स्वीकृति की अनिवार्यता किये जाने तथा कामिकों की तैनाती का प्रस्ताव मंत्रिमण्डल की दिनांक: 18.04.2023 को आयोजित बैठक में प्रस्तुत किया गया था प्राधिकरणों में सहायक अभियन्ता, अवर अभियन्ता एवं वास्तुविद / सहायक वास्तुविद की तैनाती उपाध्यक्ष के स्तर से किये जाने का प्रस्ताव था। कार्मिकों की तैनाती संबंधित प्राधिकरण के उपाध्यक्ष द्वारा पृथक-पृथक किये जाने हेतु प्रत्येक प्राधिकरण स्तर पर आर०एफ०पी० तैयार किये जाने में कठिनाई तथा प्राधिकरण में पदों की संख्या कम होने के कारण इस हेतु सेवा प्रदाता फर्म के कम आकर्षित होने की संभावनाओं के दृष्टिगत कार्मिकों की तैनाती की कार्यवाही केन्द्रीयित रूप में उत्तराखण्ड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण के स्तर से संपादित किये जाने के आशय का संशोधित प्रस्ताव पर केबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।
० उत्तराखण्ड भू-सम्पदा (विनियमन तथा विकास) (सामान्य) नियमावली, 2017 में प्रथम संशोधन करते हुए उत्तराखण्ड भू-सम्पदा (विनियमन तथा विकास) (सामान्य) (संशोधित) नियमावली 2023″ के प्रख्यापन के संबंध में केबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।
० आय-व्ययक पारित होने के उपरान्त जनपदों को जिला योजना बजट प्रेषित किया जाने पर केबिनेट द्वारा लिया गया फैसला। दिनांक 22 दिसम्बर, 2022 को मसूरी में हुए चिन्तन शिविर में प्रमुख सुझाव / बिन्दुओं पर मंत्रिमण्डल के समक्ष प्रस्तुतीकरण किया गया। मंत्रिमण्डल की बैठक दिनांक 20 दिसम्बर, 2022 द्वारा कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर निर्णय लिया गया। उक्त क्रम में मंत्रिमण्डल के आदेश दिनांक 22 दिसम्बर 2022 के बिन्दु सं०- (23)2 “वित्त विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष, जिला योजना का परिव्यय / बजट निर्धारण की सूचना जनपदों को 31 दिसम्बर तक संसूचित किया जायेगा” को संशोधित करते हुए उसके स्थान पर “आय-व्ययक पारित होने के उपरान्त जनपदों को जिला योजना का बजट प्रेषित किया जाय” अनुमोदित किया जाना है।
० “नवीन चकराता टाउनशिप को पुरोड़ी-नागथात- लखवाड़ से यमुना नदी तक विकसित किये जाने हेतु विकास क्षेत्र घोषित किये जाने का निर्णय केबिनेट द्वारा लिया गया। मुख्यमंत्री श्री धामी द्वारा दिनांक: 26 नवम्बर, 2021 को जनपद देहरादून में नवीन चकराता टाउनशिप को पुरोड़ी नागथात- लखवाड़ से यमुना नदी तक विकसित किया जायेगा तथा रू 2.00 करोड़ की धनराशि टाउन प्लानिंग विभाग को अवमुक्त की जायेगी की घोषणा की गयी। उक्त क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास, खेल एवं साहसिक गतिविधियों में वृद्धि, पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड नगर एवं ग्राम नियोजन तथा विकास अधिनियम, 1973 की धारा-4 के अन्तर्गत उक्त क्षेत्र को मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण, देहरादून का विकास क्षेत्र घोषित किया जाना है। नवीन चकराता टाउनशिप हेतु क्षेत्र के कुल 40 गाँवों को चिन्हित किया गया है, जिसमें ठाणा, टुंगरा, चोर कुनावा, विरमोऊ, छटोऊ, क्यावा, कैनोटा, गांगरौ, मुन्धान, लखवाड़ इत्यादि प्रमुख गाँव हैं। तहसील चकराता के उपजिलाधिकारी उक्त विकास क्षेत्र के पदेन संयुक्त सचिव होंगे।
० उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद हेतु संगठनात्मक ढांचे के पुर्नगठन एवं अतिरिक्त पदों के सृजन के सम्बन्ध में केबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय। उत्तराखण्ड राज्य एक पर्यटन प्रदेश है, जिसमें पर्यटन को एक उद्योग का दर्जा प्राप्त है। वर्तमान में राज्य के अन्तर्गत पर्यटन गतिविधियों में बहुत अधिक वृद्धि हुई है तथा पर्यटन गतिविधियों में वृद्धि की अपार सम्भावनायें मौजूद हैं। क्योंकि पर्यटन गतिविधियों का परिक्षेत्र बहुत अधिक बढ़ गया है। अतः उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के मुख्यालय एवं जनपदीय ढांचे को भी सुदृढ़ किये जाने के दृष्टिगत वर्तमान में सृजित कुल 269 पदों में 37 पदों (12 पद मुख्यालय 25 पद जनपद कार्यालय) की वृद्धि तथा चतुर्थ श्रेणी के 5-5 व्यक्तियों को आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से रखे जाने की अनुमति केबिनेट द्वारा प्रदान की गयी।
० श्री केदारनाथ धाम में मास्टर प्लान के अन्तर्गत निर्मित होने वाले शिव उद्यान / चिन्तन स्थलों के नक्शा / मानचित्र की स्वीकृति शुल्क माफ किये जाने का निर्णय केबिनेट द्वारा लिया गया। श्री केदारनाथ धाम में मास्टर प्लान के अन्तर्गत संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शिव उद्यान / चिंतन स्थलों का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। श्री केदारनाथ धाम में निर्मित होने वाले शिव उद्यान / चिन्तन स्थलों से सम्बन्धित नक्शा / मानचित्रों की स्वीकृति हेतु केदारनाथ विकास प्राधिकरण द्वारा लिये जाने वाला शासकीय शुल्क माफ करने का फैसला केबिनेट द्वारा लिया गया है।
० विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 105 के अन्तर्गत उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग की वित्तीय वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखे जाने का फैसला केबिनेट द्वारा लिया गया। उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग की वार्षिक रिपोर्ट को केन्द्रीय विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 105 के अन्तर्गत विधानसभा के पटल पर रखे जाने के प्रावधान के कम में उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग की वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट को आगामी विधानसभा सत्र में रखे जाने का निर्णय केबिनेट द्वारा लिया गया।
० विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 104 (4) के अन्तर्गत उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग के वित्तीय वर्ष 2021-22 की वार्षिक लेखा विवरण को विधानसभा के पटल पर रखे जाने का फैसला केबिनेट द्वारा लिया गया। उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग के वार्षिक लेखा विवरण को केन्द्रीय विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 104 ( 4 ) के अन्तर्गत विधानसभा के पटल पर रखे जाने के प्राविधान के दृष्टिगत आयोग के वर्ष 2021-22 के वार्षिक लेखा विवरण को आगामी विधानसभा सत्र में रखे जाने का निर्णय केबिनेट द्वारा लिया गया।
० उत्तराखण्ड संग्रह राजस्व निरीक्षक एवं संग्रह नायब तहसीलदार सेवा (द्वितीय संशोधन) नियमावली 2023 के प्रख्यापन के सम्बन्ध में केबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय। राजस्व विभाग के अन्तर्गत उत्तराखण्ड राजस्व कार्यपालक (नायब तहसीलदार) सेवा नियमावली, 2009 के प्रख्यापन से पूर्व प्रदेशान्तर्गत उ०प्र० अधीनस्थ राजस्व कार्यकारी (नायब तहसीलदार) सेवा नियमावली, 1944 एवं संशोधित नियमावली, 1989 में संग्रह अमीन से नायब तहसीलदार पद पर 6 प्रतिशत प्रोन्नति कोटे की विद्यमान रही व्यवस्था को वर्ष 2009 में समाप्त किये जाने तथा वर्ष 2019 में उक्त पदोन्नति व्यवस्था पुनः बहाल किये जाने से उक्त अवधि वर्ष 2009 से 2019 के मध्य कार्यरत संग्रह कार्मिक संवर्ग में पदोन्नतियां न होने से उत्पन्न हुई विसंगतियों का निराकरण किये जाने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड राजस्व संग्रह निरीक्षक एवं संग्रह नायब तहसीलदार सेवा नियमावली, 2019 में संशोधन किए जाने का निर्णय केबिनेट द्वारा लिया गया।
० मेधावी छात्रों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा छात्रवृति योजना को लागू करने पर कैबिनेट द्वारा दी गई सहमति।
० राज्य में उपखनिज के विदोहन की प्रक्रिया को सरलीकृत. व्यवहारिक एवं सुगम बनाये जाने तथा राजस्व वृद्धि हेतु उत्तराखण्ड उप खनिज (परिहार) नियमावली-2023 प्रख्यापित किये जाने का निर्णय केबिनेट द्वारा लिया गया। राज्य में उपखनिज के विदोहन की प्रक्रिया को सरलीकृत व्यवहारिक एवं सुगम बनाये जाने तथा राजस्व वृद्धि किये जाने के उददेश्य से उपखनिज खनन पट्टे हेतु आवेदन शुल्क एवं पुनरीक्षण शुल्क में बढोत्तरी, पट्टा हस्तान्तरण शुल्क का प्राविधान ई-नीलामी प्रक्रिया के सरलीकरण एवं उपयोगी बनाने, पट्टे की अवधि आशयपत्र की तिथि के स्थान पर पट्टाविलेख पंजीकृत होने की तिथि से आगणित किये जाने व अवैध खनन हेतु जुर्माना धनराशि का निर्धारण उत्तराखण्ड खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भण्डारण का निवारण) नियमावली 2021 के सुसंगत नियमों के अनुसार किये जाने एवं अन्य आवश्यक प्राविधानों को सम्मिलित कर वर्तमान में प्रचलित उत्तराखण्ड उपखनिज परिहार नियमावली, 2001 तथा इस विषय पर विद्यमान समस्त नियमों एवं आदेशों को अतिकमित करते हुये उत्तराखण्ड उपखनिज परिहार नियमावली, 2023 को प्रख्यापित की जा रही है।
० माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड को नैनीताल से हल्द्वानी शिफ्ट किए जाने के संदर्भ में गोलापर हल्द्वानी क्रिकेट स्टेडियम से लगी हुई 26.08 हेक्टेयर वन भूमि को ट्रांसफर करने पर कैबिनेट द्वारा दी गई सहमति।
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