डीजीपी के निर्देश, उत्तराखंड के संवेदनशील क्षेत्रों में मांस-मदिरा की बिक्री पर रहेगा प्रतिबंध
डीजीपी ने कहा कि ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों का कवरेज बढ़ाया जाए। साथ ही पुलिसकर्मियों को बॉडी वार्न कैमरा (कमीज में लगाए जाने वाले कैमरे) पहनकर ड्यूटी पर तैनात किया जाए
डीजीपी दीपम सेठ ने कांवड़ मेले में संवेदनशील इलाकों में मांस व मदिरा की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए। ताकि, किसी भी प्रकार का व्यवधान पैदा न हो। उन्होंने बुधवार को कांवड़ मेले की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के निर्देश दिए।
अधिकारियों से कहा कि पुलिस समर्पण, सतर्कता और सेवा भावना से ड्यूटी करे। ताकि, निर्विघ्न कांवड़ मेले को संपन्न कराया जा सके। इसके लिए ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों का कवरेज बढ़ाया जाए। साथ ही पुलिसकर्मियों को बॉडी वार्न कैमरा (कमीज में लगाए जाने वाले कैमरे) पहनकर ड्यूटी पर तैनात किया जाए। डीजीपी ने यात्रियों से सम्मानजनक व्यवहार करने के निर्देश भी दिए
उन्होंने विभिन्न मंदिरों और गंगा घाटों पर विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए। इसके अलावा सोशल मीडिया निगरानी सेल को अभी से सक्रिय करने को कहा। ताकि, किसी भी भड़काऊ पोस्ट पर तत्काल कार्रवाई की जा सके।
पर्याप्त संख्या में अनुभवी पुलिस बल, रिजर्व टीमें, महिला पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित की जाए। संदिग्ध गतिविधियों के मद्देनजर एटीएस, बम डिस्पोजल यूनिट और गुप्तचर इकाइयों को भी रणनीतिक बिंदुओं पर सक्रिय किया जाए।
– कांवड़ रूट, वैकल्पिक मार्गों और पार्किंग स्थलों का स्पष्ट ट्रैफिक प्लान तैयार कर उसका व्यापक प्रचार-प्रसार सीमावर्ती राज्यों तक फ्लैक्स, होर्डिंग और सोशल मीडिया के माध्यम से किया जाए।
– भारी वाहनों के डायवर्जन, अस्थायी पुलिस चौकियां, मोबाइल पेट्रोलिंग और पैदल व डाक कांवड़ियों के लिए सुरक्षित व सुव्यवस्थित मार्ग सुनिश्चित किए जाएं।
– किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए मेला नियंत्रण कक्ष में क्विक रिस्पॉन्स टीम (क्यूआरटी) निरंतर सक्रिय रहे।
– सोशल मीडिया के माध्यम से त्वरित, प्रामाणिक और सकारात्मक जानकारी प्रसारित की जाए और किसी भी अफवाह या आपत्तिजनक सामग्री पर त्वरित कार्रवाई करें।
– श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, चिकित्सा सहायता, मोबाइल शौचालय, रात्रि विश्राम स्थलों, शिविरों, धर्मशालाओं की व्यवस्था स्थानीय प्रशासन के समन्वय से की जाए। इन स्थानों पर ठहरने वाले व्यक्तियों का सत्यापन भी अनिवार्य किया जाए।
– हरिद्वार में अत्यधिक भीड़ की स्थिति में अन्य घाटों को वैकल्पिक रूप में प्रचारित किया जाए।
– सीमावर्ती जिलों और राज्यों के पुलिस अधिकारियों से समन्वय बैठकें की जाएं। गुप्तचरों से मिलने वाली जानकारी के आधार पर एसओपी तैयार की जाए।
– हरकी पैड़ी, नीलकंठ मंदिर, रेलवे स्टेशन, बस अड्डा जैसे भीड़ वाले स्थलों पर विशेष सुरक्षा योजना और पब्लिक एड्रेस सिस्टम की व्यवस्था की जाए।

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