विद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित किये जाने के सम्बन्ध में।
उपर्युक्त विषयक प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्र स्थित कतिपय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के कारण छात्र-छात्राओं का अध्यापन कार्य सुचारू रूप से संचालित किये जाने हेतु राज्य सरकार द्वारा अतिथि शिक्षकों की तैनाती एवं नवीन नियुक्ति के माध्यम से शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने का प्रयास किया जा रहा है।
विद्यालयी शिक्षा विभाग में शिक्षक/कार्मिकों की समस्याओं के निराकरण हेतु विकास खण्ड, जनपद व मण्डल स्तर पर सक्षम अधिकारी नियुक्त हैं, किन्तु प्रायः यह देखा जा रहा है कि विद्यालयी शिक्षा विभाग में सेवारत शिक्षक / कार्मिक अपनी समस्याओं/अन्य कार्य से सीधे राज्य स्तरीय कार्यालयों में उच्चाधिकारियों से सम्पर्क कर रहे हैं, इस प्रकार की प्रवृत्ति से विभाग द्वारा शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु किये जा रहे प्रयासों को मूर्त रूप दिये जाने में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। उक्त के दृष्टिगत आवश्यक हो गया है कि शिक्षक/कार्मिकों के सीधे उच्च स्तरीय कार्यालयों/उच्चाधिकारियों से सम्पर्क करने की प्रवृत्ति पर तत्काल रोक लगाई जाय। साथ ही यह भी सुनिश्चित कराया जाय कि किसी भी स्तर पर शिक्षक / कार्मिकों के प्रकरण अनावश्यक लम्बित न रखे जांय। यदि किसी स्तर पर ऐसा पाया जाता है कि शिक्षक / कार्मिकों से सम्बन्धित प्रकरण अनावश्यक लम्बित रखे गये हैं तो सम्बन्धित अधिकारी के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।
अतः उक्त सम्बन्ध में स्पष्ट / कड़े निर्देश अधीनस्थों को निर्गत करें कि कोई भी शिक्षक / कार्मिक सीधे उच्चाधिकारियों से किसी भी दशा में सम्पर्क नहीं करेगा। यदि अपरिहार्य हो तो सम्बन्धित शिक्षक मण्डलीय अपर निदेशक से अनुमति प्राप्त करने के उपरान्त ही उच्चाधिकारियों से सम्पर्क करेगा अन्यथा की स्थिति में सम्बन्धित शिक्षक / कार्मिक के विरूद्ध भी कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
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