Big breaking :-लोक संस्कृति के रंग में रंगी देवभूमि उत्तराखंड, दिन भर सोशल मीडिया पर ट्रेंड करता रहा IgaasLokparvWithDhami - News Height
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Big breaking :-लोक संस्कृति के रंग में रंगी देवभूमि उत्तराखंड, दिन भर सोशल मीडिया पर ट्रेंड करता रहा IgaasLokparvWithDhami

*लोक संस्कृति के रंग में रंगी देवभूमि उत्तराखंड*

*दिन भर सोशल मीडिया पर ट्रेंड करता रहा #IgaasLokparvWithDhami*

*धामी सरकार के नेतृत्व में पारंपरिक पर्वों को मिला नया गौरव*

उत्तराखंड में आज सोशल मीडिया पर #IgaasLokparvWithDhami जमकर ट्रेंड हुआ। इस ट्रेंड के ज़रिए प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस प्रयास की सराहना कर रही है, जिसके तहत राज्य की लोक संस्कृति, परंपराओं और पर्वों को नई पहचान दी जा रही है।

*लोक पर्वों को मिला सम्मान*

मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में इस बार ईगास-बग्वाल पर्व को पूरे उत्साह और भव्यता के साथ मनाया गया। प्रदेश सरकार ने ईगास पर्व पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया, जिससे न केवल सरकारी स्तर पर बल्कि जन-जन तक पर्व की खुशियां फैल सकीं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री धामी पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने उत्तराखण्ड के लोकपर्व ईगास पर सार्वजानिक अवकाश घोषित करना शुरू किया है।

मुख्यमंत्री आवास देहरादून में भी ईगास पर्व की भव्य झलक देखने को मिली, पारंपरिक वेशभूषा, लोकगीत, नृत्य और पहाड़ी व्यंजनों के बीच पूरा परिसर लोकसंस्कृति के रंग में रंग गया। प्रदेशभर से आए सम्मानित जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ नेता और स्थानीय लोग इस आयोजन का हिस्सा बने।

*लोक संस्कृति को संजीवनी*

मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर कहा कि “हमारे पर्व हमारी पहचान हैं, इन्हें संजोना और आगे बढ़ाना हम सबका कर्तव्य है।” उनकी इस पहल से प्रदेशभर में यह संदेश गया कि उत्तराखंड की लोक परंपराएं केवल इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि आज की पीढ़ी की जीवनशैली का गर्वपूर्ण प्रतीक हैं।

*सोशल मीडिया पर जनता की प्रतिक्रियाएं*

X (ट्विटर) और इंस्टाग्राम पर #IgaasLokparvWithDhami हैशटैग के तहत हजारों लोगों ने मुख्यमंत्री के इस कदम की सराहना की। कुछ यूज़र्स ने लिखा कि सीएम धामी ने पर्वों को सिर्फ परंपरा नहीं, पहचान बना दिया, तो किसी ने कहा कि ईगास पर सार्वजनिक अवकाश देकर सरकार ने अपनी संस्कृति को सम्मान दिया। मुख्यमंत्री धामी की इस पहल ने साबित किया है कि विकसित उत्तराखंड की राह केवल आधुनिक विकास से नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ाव से भी होकर गुजरती है। ईगास पर्व का यह उत्सव जनभावनाओं, संस्कृति और सरकार की संवेदनशीलता का अद्भुत संगम बन गया — जहाँ “विकास और विरासत” दोनों एक साथ दिखे।

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Author: Pankaj Panwar
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