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Big breaking :-Dehradun का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट, 6,200 करोड़ रुपये लागत; सुझावों के लिए जनता के बीच पहुंचा लोनिवि

 

 

Dehradun का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट, 6,200 करोड़ रुपये लागत; सुझावों के लिए जनता के बीच पहुंचा लोनिवि

देहरादून में रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे बनने वाली एलिवेटेड रोड परियोजना के सामाजिक प्रभाव आंकलन के लिए जन सुनवाई का आयोजन किया गया। लोनिवि ने परियोजना पर प्रस्तुतीकरण दिया और नागरिकों विशेषज्ञों से सुझाव लिए। परियोजना के बजट अब तक कराए गए अध्ययन जमीन अधिग्रहण आदि की पूरी जानकारी दी गई। इस परियोजना से शहर के यातायात को सुधारने में मदद मिलेगी।

राजधानी दून के 6,200 करोड़ रुपये के सबसे बड़े प्रोजेक्ट रिस्पना-बिंदाल नदी पर एलिवेटेड रोड को लेकर लोनिवि प्रांतीय खंड ने जनता के बीच दस्तक दी।
जनरल सोशल इंपैक्ट असेसमेंट (जीएसआइए) के तहत लोनिवि अधिकारियों ने शनिवार देर शाम समूह बैठक बुलाकर नागरिकों, विशेषज्ञों और विभिन्न अन्य हितधारकों के बीच चर्चा की।]

प्रिंस चौक के पास स्थित एक होटल में आयोजित समूह बैठक में लोनिवि अधिकारियों ने एलिवेटेड रोड परियोजना पर प्रस्तुतीकरण दिया। बताया गया कि परियोजना यातायात सुधार की दिशा में किस तरह क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है। इसके साथ ही परियोजना के बजट, अब तक कराए गए अध्ययन, जमीन अधिग्रहण आदि की पूरी जानकारी दी गई

लोनिवि के अधिशासी अभियंता जितेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि देहरादून और इससे सीधे तौर पर जुड़ा मसूरी प्रमुख पर्यटक स्थल है। जिस कारण यहां सालभर यात्रियों का दबाव बना रहता है। वहीं, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से वाहनों का आवागमन और बढ़ जाएगा। ऐसे में शहर की आंतरिक सड़कों पर दबाव बढ़ने से जाम के हालात और विकट हो जाएंगे। इस लिहाज, रिस्पना और बिंदाल की एलिवेटेड रोड जाम की समस्या पर अंकुश लगाने में सहायक सिद्ध होंगी।

इस दौरान उत्तराखंड इंजीनियर्स एंड आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस राणा ने परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर सवाल किए गए और सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति आवश्यक है। क्योंकि, कई बार अतिक्रमण हटाकर किए जाने वाले विकास कार्यों में तमाम बाधा पहुंचती है।

 

लिहाजा, सरकार, शासन और जिला प्रशासन को एक मंच पर आकर परियोजना को आगे बढ़ाना होगा। बैठक में अधिकतर प्रतिभागियों ने परियोजना के प्रति सहमति जताई और इसे दून के भविष्य के लिए बेहतर बताया।
अब गंभीर नजर आ रही सरकारी मशीनरी
रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारों पर करीब 26 किलोमीटर लंबी दो एलिवेटेड रोड का निर्माण 6,252 करोड़ रुपये (सभी तरह के खर्च) के बजट से प्रस्तावित की गई है। ताकि यातायात की गंभीर चुनौती से जूझ रहे शहर को कुछ राहत दिलाई जा सके।
कार्यदायी संस्था लोनिवि प्रांतीय खंड ने परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए अगस्त 2024 में पहला अहम पड़ाव पार कर लिया था। दोनों नदियों के अधिकतम बहाव की स्थिति में प्रोजेक्ट के ढांचों पर पड़ने वाले प्रभाव और आवश्यक सुधार के लिए आइआइटी रुड़की को तब डीपीआर के परीक्षण/माडल स्टडी की रिपोर्ट सौंपी थी। बेहद विस्तृत इस रिपोर्ट के अध्ययन के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि लोनिवि ने जो डीपीआर तैयार की है, उसे विशेषज्ञ एजेंसी ने उपयुक्त पाया है।

साथ ही परियोजना की सुरक्षा के लिए दिए गए सुझावों पर भी लोनिवि पहले ही अमल शुरू कर चुका है। लेकिन, अगस्त माह के बाद से सरकारी मशीनरी धरातल पर कदम नहीं बढ़ा पाई थी। अब सोशल इंपैक्ट असेसमेंट की दिशा में आगे बढ़ने के बाद लग रहा है कि परियोजना धरातल पर गति पकड़ सकती है।
नदी के दोनों किनारों को कवर करते हुए होगा निर्माण
लोनिवि के अधिकारियों के मुताबिक, एलिवेटेड रोड का निर्माण रिस्पना और बिंदाल नदी के दोनों किनारों पर पिलर खड़े करते हुए किया जाएगा। यह सड़क पिलर पर सामान्य से अधिक लंबे फलाईओवर की शक्ल में तैयार की जाएगी।

परियोजना के खास बिंदु
बिंदाल नदी
शुरुआती स्थल, कारगी चौक के पास (हरिद्वार बाईपास रोड)
अंतिम स्थल, राजपुर रोड (साईं मंदिर के पास)
लंबाई, 14.8 किमी
चौड़ाई, 20.2 मीटर और रैंप 6.5 मीटर
मध्यवर्ती जंक्शन, लालपुल चौक, बिंदाल तिराहा (चकराता रोड) और मसूरी डाइवर्जन
डिजाइन स्पीड, 60 किमी प्रति घंटे
कुल लागत, 3743 करोड़ रुपये
रिस्पना नदी
शुरुआती स्थल, रिस्पना पुल (विधानसभा के पास)
अंतिम स्थल, नागल पुल (नागल)
लंबाई, 10.946 किलोमीटर
चौड़ाई, 20.2 मीटर और रैंप 6.5 मीटर
मध्यवर्ती जंक्शन, सहस्रधारा चौक और आइटी पार्क
डिजाइन स्पीड, 60 किलोमीटर प्रति घंटे
बजट, 2509 करोड़ रुपये

परियोजना क्षेत्र में आ रही भूमि और ढांचों का विवरण
बिंदाल नदी
कुल सरकारी भूमि, 33.174 हेक्टेयर
निजी भूमि, 13.96 हेक्टेयर
वन भूमि, 1.2 हेक्टेयर
स्थायी ढांचे, 560 हेक्टेयर (80 निजी भूमि पर)
अस्थायी ढांचे, 980
रिस्पना नदी
कुल सरकारी भूमि, 49.79 हेक्टेयर
निजी भूमि, 6.45 हेक्टेयर
स्थायी ढांचे, 458 (129 निजी भूमि पर)
अस्थायी ढांचे, 621

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Author: Swati Panwar
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