देहरादून की महत्वाकांक्षी नियो मेट्रो परियोजना पटरी से उतरती दिख रही है। एक-एक कर अधिकारियों की छुट्टी के साथ ही परियोजना पर खर्च किए गए 80 करोड़ रुपये भी बेकार होते दिख रहे हैं। प्रबंध निदेशक समेत चार और अधिकारियों का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है। फरवरी माह में लैंड आफिसर और लेखपाल का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है।
राजधानी में नियो मेट्रो परियोजना धरातल पर उतरने से पहले ही बेपटरी होती दिख रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो मेट्रो रेल परियोजना की फाइल बंद होती दिख रही है। क्योंकि, उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन (यूकेएमआरसी) से एक-एक कर अधिकारियों की छुट्टी होती जा रही है।
महाप्रबंधक (वित्त), अपर महाप्रबंधक और डीजीएम सिविल का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद अब कारपोरेशन के संचार की अहम कड़ी जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) को भी सेवा विस्तार नहीं दिया जा रहा है। वह सोमवार को विदा लेंगे।
टीम मेट्रो के खाली होने के क्रम में स्वयं प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी तक खड़े हैं। यह भी व्यक्ति हैं, जिन्होंने देहरादून में मेट्रो परियोजना की शुरुआत की और तमाम अध्ययन के बाद डीपीआर तैयार करवाई। प्रबंध निदेशक के सेवा विस्तार को लेकर भी कोई सुगबुगाहट नजर नहीं आ रही है। दूसरी तरफ मेट्रो रेल कारपोरेशन के महाप्रबंधक (सिविल) सुनील त्यागी का कार्यकाल भी नौ जनवरी को समाप्त हो रहा है। इन्हें सेवा विस्तार देने को लेकर प्रबंध निदेशक ने कोई हामी नहीं भरी है।
मेट्रो के बेपटरी होने की कहानी यहीं खत्म होती नहीं दिख रही। फरवरी माह में लैंड आफिसर और लेखपाल का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है। यह स्थिति बताती है कि मेट्रो के भविष्य पर निरंतर प्रश्नचिह्न खड़ा होता जा रहा है।
सात साल का सफर, 80 करोड़ खर्च और नतीजा सिफर
मेट्रो परियोजना के सफर को करीब सात साल हो चुके हैं। तब से अब तक सात साल का सफर हो चुका है, लेकिन मेट्रो सफर अभी भी भौतिक प्रगति के रूप में शून्य है। इस दौरान मेट्रो के अलग अलग रूप पर कसरत करने के बाद अंतिम रूप से नियो मेट्रो की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार की गई। आठ जनवरी 2022 को नियो मेट्रो की डीपीआर को राज्य कैबिनेट से पास करने के बाद 12 जनवरी को केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए भेज दिया गया था
तब से अब तक मेट्रो का भविष्य फाइलों में ही कैद है और अब एक एक कर अधिकारियों का कार्यकाल भी समाप्त होता जा रहा है। इससे दून की सड़कों पर निजी वाहनों का दबाव कम करने और जाम की समस्या पर अंकुश लगाने की एक महत्वकांक्षी परियोजना के भविष्य पर शंका गहराने लगी है।
इन अधिकारियों की हो चुकी छुट्टी
महाप्रबंधक वित्त, वरेश कुमार गुप्ता
अपर उप महाप्रबंधक, रविंद्र कुमार सिन्हा
उप महाप्रबंधक सिविल, अरुण भट्ट
पीआरओ, गोपाल शर्मा (अगले सोमवार को कार्यकाल समाप्त)
वित्त विभाग नहीं दिखा पा रहा साहस
केंद्र सरकार से निराशा हाथ लगने के बाद राज्य सरकार ने तय किया था कि मेट्रो के लिए खर्च अपने स्रोतों से वहन किया जाएगा। इसके लिए पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड (पीआइबी) के समक्ष प्रस्ताव को रखने पर सहमति बनी। अगस्त 2024 में पीआइबी के समक्ष प्रस्तुतीकरण भी दिया गया। ताकि वित्त विभाग की सभी शंका का समाधान कर दिया जाए। जिसमें कहा गया कि बजट का 40 प्रतिशत भाग सरकार वहन करेगी और 60 प्रतिशत का इंतजाम ऋण के माध्यम से किया जाएगा। उस बैठक में कंसल्टेंट कंपनी मैकेंजी कंपनी से डीपीआर का थर्ड पार्टी परीक्षण कराने का भी निर्णय लिया गया। लेकिन, परीक्षण पर अभी तस्वीर साफ नहीं की जा सकी और फाइल भी वित्त से आगे नहीं सरक पाई।
450 करोड़ रुपए से अधिक बढ़ी लागत
पूर्व में मेट्रो परियोजना की लागत 1852 करोड़ रुपए आंकी गई थी। अब साल दर साल बढ़ते इंतजार में लागत बढ़कर करीब 2303 करोड़ रुपए हो गई है। यही कारण है कि अधिकारी इतनी बड़ी परियोजना को लेकर निर्णय करने से कतरा रहे हैं।
ये हैं मेट्रो के दो प्रस्तावित कॉरिडोर
आइएसबीटी से गांधी पार्क, लंबाई 8.5 किमी
एफआरआइ से रायपुर, लंबाई 13.9 किमी
कुल प्रस्तावित स्टेशन, 25
कुल लंबाई, 22.42 किमी
नियो मेट्रो की खास बातें
केंद्र सरकार ने मेट्रो नियो परियोजना ऐसे शहरों के लिए प्रस्तावित की है, जिनकी आबादी 20 लाख तक है। इसकी लागत परंपरागत मेट्रो से प्रतिशत तक कम आती है। इसमें स्टेशन परिसर के लिए बड़ी जगह की भी जरूरत नहीं पड़ती। इसे सड़क के डिवाइडर के भाग पर एलिवेटेड कारीडोर पर चलाया जा सकता है।
मेट्रो चलती तो सालभर में 672 करोड़ की आय
नियो मेट्रो को उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने आय के लिहाज से मुफीद माना है। प्रबंधक निदेशक जितेंद्र त्यागी के अनुसार मेट्रो का संचालन शुरू होते ही सालभर में करीब 672 करोड़ रुपये की आय होगी, जबकि कुल खर्चे 524 करोड़ रुपये के आसपास रहेंगे। इस तरह एलआरटीएस आधारित यह परियोजना आरंभ से ही फायदे में चलेगी और इसके निर्माण की लागत के अलावा भविष्य में सरकार से किसी भी तरह के वित्तीय सहयोग की जरूरत नहीं पड़ेगी।
नियो मेट्रो के अलावा और भी प्रोजेक्ट हैं प्रस्तावित
उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन के पास सिर्फ नियो मेट्रो की परियोजना ही नहीं है, बल्कि दून में ही पॉड टैक्सी की अन्य परियोजना भी प्रस्तावित है। इसके अलावा ऋषिकेश क्षेत्र में नीलकंठ रोपवे, हरिद्वार में पॉड टैक्सी और हरकी पैड़ी से चंडी देवी रोपवे भी प्रस्तावित है।
लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
👉 न्यूज़ हाइट के समाचार ग्रुप (WhatsApp) से जुड़ें
👉 न्यूज़ हाइट से टेलीग्राम (Telegram) पर जुड़ें
👉 न्यूज़ हाइट के फेसबुक पेज़ को लाइक करें