दो साल कोरोना के चलते दून में प्रसिद्ध झंडे का मेला सूक्ष्म रूप से आयोजित किया गया। इस बार दरबार साहिब में झंडे जी का आरोहण पूरी क्षमता के साथ श्रद्धालुओं की उपस्थिति में किया गया। दुनियाभर से आए श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक झंडा मेला मंगलवार को श्रीझंडे जी के आरोहरण के साथ शुरू हो गया। इस मेले में दिल्ली से आए बलजिंदर सिंह सैनी अपने दादा की 100 साल पहले मांगी गई मुराद को पूरा किया।
झंडा मेला हर वर्ष होली के पांचवें दिन श्रीझंडे जी के आरोहण के साथ शुरू होता है और करीब एक महीने तक चलता है। कोरोना महामारी के चलते पिछले दो वर्ष में झंडा मेला का आयोजन सूक्ष्म रूप में किया गया।
दरबार साहिब में शीश नवाने और श्री गुरु राम राय महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करने को देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
दरबार साहिब में मंगलवार को सुबह सात बजे पूजा-अर्चना के बाद पुराने श्रीझंडे जी को उतारा गया। इसके बाद नए श्रीझंडे जी को गंगाजल और पंचगव्य से स्नान कराया गया। पूजा-अर्चना के बाद अरदास की गई। इस पल की साक्षी बनने के लिए देश-विदेश से संगतें दरबार साहिब पहुंची। दोपहर को एक बजकर 14 मिनट पर गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरु हुई। श्रीझंडे जी में इस बार दिल्ली के रवि नगर एक्सटेंशन निवासी बलजिंदर सिंह सैनी पुत्र जसबीर सिंह सैनी ने दर्शनी गिलाफ चढ़ाया। पेशे से व्यापारी बलजिंदर इसके लिए मां कुलदीप कौर के साथ दून पहुंचे। उनके दादा अक्षर सिंह ने 100 साल पहले दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए बुकिंग कराई थी। तीन बजकर पांच मिनट पर दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज की अगुआई में श्रद्धालुओं ने 90 फीट ऊंचे श्रीझंडे जी को लकड़ी से बनी कैंचियों के सहारे धीरे-धीरे खड़ा किया।तीन बजकर 22 मिनट पर झंडे जी का आरोहण होते ही वातावरण श्री गुरु राम राय महाराज की जय, जो बोले सो निहाल, सतश्री अकाल, सच्चे दरबार की जय, दरबार साहिब की जय आदि जयकारों से गूंज उठा। संगतें ढोल की थाप पर नृत्य करने लगीं। भावावेश में कई श्रद्धालुओं की आंखें भी नम हो गईं। इस दौरान दरबार परिसर में कीर्तन टीम ने गुरु महाराज के जयकारे लगाए।
प्रेम, सद्भाव और आस्था का प्रतीक देहरादून का ऐतिहासिक झंडा मेला 90 फीट ऊंचे श्रीझंडे जी के आरोहण के साथ ही दरबार साहिब क्षेत्र में झंडे का मेला शुरू हो गया। ज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज ने श्रद्धालुओं से कोविड गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए कार्यक्रम में प्रतिभाग की अपील की है।
श्री गुरु रामराय दरबारः देहरादून के जन्म और विकास की कहानी का गवाहः देवकी नंदन पांडे
देहरादून की धरती में संस्कृति व आध्यात्म की ऐसी अंतरधाराएं सम्माहित है जो समय समय पर प्रस्फुटित होकर समूचे देश को अपनी रंगत से सरोबार करती रही है। ऐसी ही आध्यात्म की आत्मविच्छेदी परम्परा के द्योतक श्री गुरु रामराय, भारतीय दर्शन के विलक्षण आधार स्तम्भ थे। गुरु रामराय जी ने दरबार साहिब व उसकी आस्था के प्रतीक झण्डा साहब को यहाँ स्थापित कर देहरादून के जन्म और विकास को एक नई परम्परा से जोड़ा है।
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