उत्तराखंड में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के दो अफसरों का भविष्य जल्द तय होगा. दरअसल इन दोनों IAS अफसरों के निलंबन पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाला समिति चर्चा करने जा रही है, जिसके बाद ये तय हो पाएगा कि इनका निलंबन आगे बढ़ेगा या बहाली की सिफारिश की जाएगी. जानिए पूरा मामला.
दो वरिष्ठ अधिकारियों के भविष्य पर जल्द होगा फैसला: उत्तराखंड में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के दो वरिष्ठ अधिकारियों का भविष्य जल्द ही तय होने वाला है. हरिद्वार नगर निगम जमीन खरीद मामले में निलंबित किए गए इन दोनों अधिकारियों के निलंबन को लेकर अब रिव्यू कमेटी विचार करने जा रही है. यह समिति मुख्य सचिव आनंद वर्धन की अध्यक्षता में गठित है, जिसकी सिफारिश के आधार पर मुख्यमंत्री अंतिम निर्णय लेंगे कि निलंबन आगे बढ़ाया जाए या अधिकारियों की बहाली की जाए.
रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष रखी जाएगी: उत्तराखंड कैडर के इन दो IAS अधिकारियों की बहाली या निलंबन की अवधि बढ़ाने का फैसला नए साल की शुरुआत में होने वाली बैठक में लिया जाएगा. जनवरी के पहले सप्ताह में मुख्य सचिव समिति के अन्य सदस्यों के साथ इस मामले पर विस्तार से चर्चा करेंगे. समिति की रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष रखी जाएगी, जिसके बाद इस प्रकरण में अंतिम मुहर लगेगी.
जानिए पूरा मामला: गौरतलब है कि हरिद्वार नगर निगम में करीब 35 बीघा भूमि की खरीद को लेकर बड़ा कथित घोटाला सामने आया था. आरोप है कि सराय गांव में करीब 50 करोड़ रुपये से अधिक की जमीन कई गुना अधिक कीमत पर खरीदी गई, जिससे भू-स्वामी को अनुचित लाभ पहुंचाया गया.
इन अधिकारियों पर हुई थी कार्रवाई: इस मामले के सामने आने के बाद सरकार की काफी किरकिरी हुई थी, जिसके चलते मुख्यमंत्री को स्वयं हस्तक्षेप करते हुए सख्त कदम उठाने पड़े थे. प्रकरण उजागर होने के बाद तत्कालीन हरिद्वार जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह और नगर आयुक्त वरुण चौधरी को निलंबित कर दिया गया था. दोनों अधिकारी भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े हैं. इनके अलावा एक पीसीएस अधिकारी समेत कुल 12 अधिकारी-कर्मचारियों को निलंबन का सामना करना पड़ा था.
रिव्यू कमेटी करेगी विचार: मामले में IAS अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए सचिव स्तर के अधिकारी को जांच अधिकारी नामित किया गया था. IAS सचिन कुर्वे ने पूरे प्रकरण की जांच कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. अब इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर रिव्यू कमेटी निलंबन पर आगे की कार्रवाई पर विचार करेगी. जिसकी पुष्टि अपर सचिव कार्मिक नवनीत पांडे ने की है.
नियमानुसार राज्य सरकार किसी IAS अधिकारी को एक महीने तक निलंबित रख सकती है. इसके बाद निलंबन बढ़ाने के लिए भारत सरकार की सहमति जरूरी होती है. केंद्र की मंजूरी मिलने पर दो महीने तक निलंबन जारी रह सकता है. इसके बाद रिव्यू कमेटी की सिफारिश के आधार पर राज्य सरकार छह महीने या एक साल तक निलंबन बढ़ा सकती है, जबकि एक साल से अधिक के लिए फिर से केंद्र सरकार की सहमति आवश्यक होती है.
IAS कर्मेंद्र सिंह और वरुण चौधरी को निलंबित हुए छह महीने पूरे हो चुके हैं. ऐसे में रिव्यू कमेटी उनके निलंबन की अवधि, जांच की प्रगति, बहाली के बाद जांच प्रभावित होने की आशंका और मामले की गंभीरता जैसे बिंदुओं पर मंथन करेगी. करोड़ों रुपये से जुड़े इस मामले को लेकर अब सभी की निगाहें रिव्यू कमेटी के फैसले और मुख्यमंत्री के अंतिम निर्णय पर टिकी हुई हैं.

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