साइबर ठगों ने बदला ट्रेंड, अब हाउस अरेस्ट और एआइ बना जरिया
आपको बता दें कि साइबर ठग आवाज बदलकर लोगों को फोन करते हैं कि उनका बेटा किसी केस में फंस गया और छुड़ाने के लिए धनराशि ऐंठते हैं। इसके अलावा खुद को पुलिस या सीबीआइ अधिकारी बताकर आमजन को डिजिटल अरेस्ट करते हैं
। घंटों घर के अंदर कैद करके उनसे मोटी धनराशि ऐंठते हैं।साइबर ठगों ने अपराध का ट्रेंड बदल दिया है। डिजिटल युग में वे भी डिजिटल माध्यम से साइबर ठगी कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने उनका सिस्टम बनाया है। वे खौफ दिखाकर ऐसे फंसाते हैं कि आमजन झांसे में आ जाता है और जीवनभर की कमाई एक झटके में ठगों के हवाले कर देता है। हाउस अरेस्ट, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) के जरिये साइबर ठगी के मामलों में वृद्धि हुई है।
डिजिल माध्यम से ठगी की धनराशि विदेशों में भेजी जा रही है। जब तक पुलिस ठगों तक पहुंचने का प्रयास करती है तब तक पूरी रकम ठिकाने लग जाती है। जागरूकता के बाद भी कई लोग झांसे में आ रहे हैं। पिछले सालों तक मेट्रोमोनियल साइट के जरिये, बहला-फुसलाकर खाता संख्या व पासवर्ड हासिल करने, बिजली बिल भरने के नाम पर, फेसबुक में फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजकर ठगी की घटनाएं सामने आती थीं। अब साइबर ठगों ने ट्रेंड बदला है।
ठगों ने पीड़ित को जाल में फंसाने के लिए पूरा सेटअप लगाया होता है, जिसमें वह खुद पुलिस की वर्दी में रहते हैं और बैकग्राउंड भी पुलिस अधिकारी के कार्यालय जैसा ही होता है।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम के शिकार वे लोग ज्यादा हो रहे हैं जो अधिक पढ़े लिखे हैं। डिजिटल अरेस्ट का मतलब यह है कि कोई आपको आनलाइन धमकी देकर वीडियो कालिंग के जरिये आप पर नजर रख रहा है। इस दौरान साइबर ठग पुलिस अधिकारी बनकर धमकी देते हैं और लाखों रुपये अपने खातों में ट्रांसफर कर लेते हैं।
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