सीएस की बैठक में तय नहीं हुआ तबादलों का कोटा, अब जितने जाएंगे पहाड़, उतने ही आएंगे मैदान
राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में बैठक हुई। कार्मिक एवं सतर्कता विभाग की इस बैठक में विभिन्न विभागों के प्रशासनिक सचिव व अधिकारी उपस्थित थे।
सरकारी कर्मचारियों के अनिवार्य तबादले का कोटा निर्धारित करने के लिए मुख्य सचिव की बैठक में तय हुआ कि मैदान यानी सुगम से जितने दुर्गम में जाएंगे, पहाड़ यानी दुर्गम से उतने ही शिक्षक-कर्मचारी उतारे जाएंगे। तबादलों के लिए इस बार कोटा तय नहीं हुआ। स्थानांतरण सत्र के दौरान कितने शिक्षकों और कर्मचारियों का तबादला होगा, यह विभागों के विवेक पर छोड़ दिया गया है।
बुधवार को राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में बैठक हुई। कार्मिक एवं सतर्कता विभाग की इस बैठक में विभिन्न विभागों के प्रशासनिक सचिव व अधिकारी उपस्थित थे। मुख्य सचिव ने तबादला सत्र के दौरान सभी विभागीय अधिकारियों से रायशुमारी की। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, कार्मिक विभाग की ओर से यह जानकारी दी गई कि स्थानांतरण एक्ट में तबादलों का कोटा निर्धारित करने का प्रावधान नहीं है। लेकिन एक्ट लागू होने के बाद कर्मचारियों की तैनाती में संतुलन स्थापित करने के लिए शुरुआत में 10 फीसदी तबादले किए गए। कोविडकाल में शून्य सत्र होने के बाद इसे बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया। पिछले सत्र के दौरान 15 फीसदी तबादले किए गए।
इस तरह अब तक 65 प्रतिशत तबादले हो चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में तय हुआ कि विभाग अपने स्तर पर तबादलों की संख्या निर्धारित करेंगे, लेकिन शर्त यह होगी कि जितने कर्मचारी-शिक्षक सुगम से दुर्गम में भेजे जाएंगे, उतने ही कर्मचारी पहाड़ से मैदान में आएंगे। अनिवार्य तबादलों के अलावा अनुरोध पर होने वाले तबादलों के विषय पर चर्चा की गई। विभिन्न गंभीर बीमारियों के कारण तबादलों की मांग होती है।
ऐसे तबादले स्थानांतरण अधिनियम की धारा 27 के तहत होते हैं। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी ऐसे तबादलों की सिफारिश करती है और मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद तबादले होते हैं। बैठक में धारा 27 के तहत होने वाले तबादलों के विषय में भी मंथन हुआ।
एकल अभिभावक को अनिवार्य तबादलों से छूट
बैठक में एकल अभिभावक को अनिवार्य तबादलों से छूट पर सहमति बनी। कर्मचारी संगठन इसकी मांग कर रहे थे। मिनिस्ट्रीयल फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष पूर्णानंद नौटियाल ने कहा कि एकल अभिभावक पर परिवार की सभी जिम्मेदारियां होती हैं। इस निर्णय से वे अपनी नौकरी के साथ-साथ पारिवारिक जिम्मेदारियां भी पूरे मनोयोग से निभा सकेंगे।
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