धर्मांतरण कानून में अब उम्रकैद तक की सजा, कुर्क होंगी आरोपियों की संपत्तियां, पढ़ें नए प्रावधान
उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधन कर सभी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती का प्रावधान किया गया। इनका विचारण सत्र न्यायालय में किया जाएगा।
उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता कानून को और सख्त बनाने के लिए कैबिनेट ने कई प्रावधानों में संशोधन की मंजूरी दे दी है। सोशल मीडिया व अन्य डिजिटल तरीकों का धर्म परिवर्तन में इस्तेमाल करना भी अब इस कानून के दायरे में आ गया है। अब इस कानून में अधिकतम सजा 10 साल को बढ़ाकर 14 साल व आजीवन कारावास तक कर दिया गया है। जुर्माने की राशि भी 50 हजार रुपये से बढ़ाकर अधिकतम 10 लाख रुपये की गई है। इसके अलावा धर्म परिवर्तन का अपराध कर कमाई गई अपराधियों की संपत्तियों को भी कुर्क करने के अधिकार जिलाधिकारी को दिए गए हैं।
उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधन कर सभी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती का प्रावधान किया गया। इनका विचारण सत्र न्यायालय में किया जाएगा। संशोधन के अनुसार कोई धर्म परिवर्तन करने के लिए किसी व्यक्ति को जीवन या संपत्ति के लिए भय में डालता है तो उसे कम से कम 20 वर्ष की सजा होगी। इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। इसके बाद उसे जीवन पर्यंत जेल में रहना होगा। इसमें धर्म परिवर्तन के लिए हमला करने, बल प्रयोग करने, विवाह या विवाह का वचन देना भी शामिल होगा। इसके अलावा किसी नाबालिग या व्यक्ति की तस्करी करना और बेचना भी इसी सजा के दायरे में आएगा। ऐसे अपराधी पर जुर्माना पीड़ित की चिकित्सा पूर्ति या पुनर्वास करने के लिए हो सकता है।
बता दें कि इस कानून में इससे पहले वर्ष 2022 में संशोधन किया गया था। जबरन और प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने वालों को अधिकतम 10 वर्ष की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया था। इस कानून के तहत भी प्रदेशभर में तमाम कार्रवाई हुईं और बहुत से लोगों पर शिकंजा कसा गया। वर्तमान में सोशल मीडिया के बढ़ता चलन भी चिंता का सबब बना हुआ था। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन कराने वाले गिरोह ने सोशल मीडिया को ही इस काम के लिए हथियार बनाया। राजधानी देहरादून में भी गिरोह ने दो युवतियों को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास किया। ऐसे में अब सोशल मीडिया और अन्य इलेक्ट्रॉनिक व डिजिटल माध्यमों लोगों का धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास करता है तो उसे भी इस कानून के दायरे में लाया गया है।
धर्मांतरण के लिए इस तरह के प्रलोभन हैं शामिल
– कोई उपहार, पुरस्कार, आसान धन या भौतिक लाभ
– रोजगार, किसी धार्मिक संस्था के स्कूल या कॉलेज में निशुल्क शिक्षा
– विवाह करने का वचन
– बेहतर जीवनशैली, दैवीय अप्रसन्नता
– किसी धर्म की प्रथाओं, अनुष्ठानों और समारोहों या उसके किसी अभिन्न अंग को किसी अन्य धर्म के संबंध में हानिकारक तरीके से चित्रित करना
– एक धर्म को दूसरे धर्म के विरुद्ध महिमामंडित करना।
छद्म पहचान भी कानून के दायरे में
जानबूझकर और धोखे की मंशा से किसी अन्य व्यक्ति की धार्मिक वेभूषा यानी छद्म पहचान को भी इस कानून के दायरे में लाया गया है। किसी धार्मिक या सामाजिक संगठन का झूठा रूप धारण करना भी इसमें शामिल है। इसका उद्देश्य अगर जनता को भ्रतिम करना, धोखाधड़ी करना या धार्मिक भावनाओं को आहत करना है तो उसके खिलाफ भी इस कानून में कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा सार्वजनिक भावनाओं को आहत करने से समाज में अशांति फैलाना भी कानून के दायरे में आएगा।
नाबालिग और एससी एसटी का धर्म परिवर्तन में 14 साल तक की सजा
किसी नाबालिग, महिला और अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर अब कम से कम पांच वर्ष और अधिकतम 14 वर्ष की सजा का प्रावधान किया गया है। यह दिव्यांग या मानसिक रूप से दुर्बल लोगों का धर्म परिवर्तन कराने पर भी लागू होगा। जुर्माने की राशि को भी 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है। सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर कम से कम सात और अधिकतम सजा 14 वर्ष की होगी। जुर्माना इसमें भी एक लाख रुपये होगा।
.सजा और जुर्माने का प्रावधान
– सामान्य मामला- तीन साल से 10 साल की जेल और 50 हजार रुपये जुर्माना
– महिला, बच्चा, एससी/एसटी या दिव्यांग के मामले में-पांच से 14 साल की जेल और एक लाख रुपये जुर्माना।
– सामूहिक धर्मांतरण-सात से 14 साल की जेल और एक लाख रुपये जुर्माना।
– विदेशी धन लेने पर-सात से 14 साल की जेल और कम से कम 10 लाख रुपये जुर्माना
– अगर किसी को जान से मारने की धमकी, हमला या तस्करी के जरिए धर्म परिवर्तन: 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा
संपत्ति की कुर्की और जांच
धर्म परिवर्तन से जुड़ी किसी अपराध से कोई संपत्ति अर्जित की गई हो, तो जिला मजिस्ट्रेट उसे जब्त कर सकता है। अगर कोई व्यक्ति दावा करता है कि वह संपत्ति वैध है, तो उसे इसका सबूत देना होगा। इसके बाद ही जिलाधिकारी इस संपत्ति को निर्मुक्त कर सकते हैं।
पीड़ितों को संरक्षण और सहायता
पीड़ितों को कानूनी सहायता, रहने की जगह, भरण-पोषण, चिकित्सा और आवश्यक सुविधाएं दी जाएंगी। उनके नाम और पहचान को गुप्त रखा जाएगा। सरकार इसके लिए एक विशेष योजना भी बनाएगी ताकि पीड़ितों को तत्काल मदद मिल सके।
सरकार की जिम्मेदारी
– सरकार पीड़ितों के पुनर्वास और न्याय दिलाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।
– समय-समय पर इस कानून के क्रियान्वयन का सर्वेक्षण भी किया जाएगा।

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