लोहाघाट के कांग्रेस विधायक को सुप्रीम कोर्ट से राहत, हाई कोर्ट में सुनवाई पर लगाई रोक, पूर्व विधायक को नोटिस
लोहाघाट के पूर्व भाजपा विधायक पूरन सिंह ने याचिका दायर कर कांग्रेस के वर्तमान विधायक अधिकारी पर नामांकन के दौरान तथ्य छिपाने का आरोप लगाते हुए उनका निर्वाचन रद करने की मांग की थी। इस मामले में हाई कोर्ट ने सरकार व पूर्व विधायक से जवाब मांगा थलो
हाघाट के कांग्रेस विधायक खुशाल सिंह अधिकारी के निर्वाचन को रद करने की मांग करती पूर्व विधायक पूरन सिंह फर्त्याल की याचिका पर नैनीताल हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। साथ ही पूर्व विधायक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट से रोक के बाद हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई छह सप्ताह बाद नियत कर दी है विधायकी को दी गई थी चुनौती
लोहाघाट के पूर्व भाजपा विधायक पूरन सिंह ने याचिका दायर कर कांग्रेस के वर्तमान विधायक अधिकारी पर नामांकन के दौरान तथ्य छिपाने का आरोप लगाते हुए उनका निर्वाचन रद करने की मांग की थी। इस मामले में हाई कोर्ट ने सरकार व पूर्व विधायक से जवाब मांगा था।
विधायक अधिकारी ने याचिका के वाद बिंदुओं पर आपत्ति जताई थी, जिसका निस्तारण करते हुए कोर्ट ने पूर्व विधायक को याचिका की कमियां दूर करने का समय दिया था। इसके बाद इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से पक्षकारों के बयान दर्ज किए जा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ने की सुनवाई
सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान विधायक खुशाल सिंह अधिकारी के अधिवक्ता पूर्व महाधिवक्ता वीबीएस नेगी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने विधायक अधिकारी की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी है। बताया कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में एसएलपी पर सुनवाई हुई।
लोहाघाट विधान सभा सीट पर भाजपा के पराजित प्रत्याशी पूरन फर्त्याल ने कांग्रेस के विजयी प्रत्याशी खुशाल सिंह अधिकारी के निर्वाचन को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया है कि अधिकारी ने 24 जनवरी 2022 को नामांकन किया किन्तु शपथ पत्र 28 जनवरी को दाखिल किया जबकि यह नामांकन पत्र के साथ ही दाखिल होना था। यही नहीं शपथ पत्र में उन्होंने गलत सूचनाएं दी। नामांकन के समय उनके 25 सरकारी कार्यों के ठेके चल रहे थे, जिसे उन्होंने छुपाया है।
विधायक ने भी दिया था प्रार्थना पत्र
बाद में विधायक अधिकारी ने भी एक प्रार्थना पत्र दााखिल कर प्रतिद्वंद्वी फर्त्याल की याचिका में कमियां बताते हुए निरस्त करने की याचना की थी। अधिकारी का कहना था कि याचिका जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दाखिल नहीं हुई है। ये भी कहा कि फर्त्याल की ओर से दाखिल शपथपत्र में उनके प्रार्थना वाले स्थान पर दस्तखत नहीं हैं। जो याचिका के साथ संलग्नक लगाए हैं, वह सत्यापित नहीं हैंविधायक को कोर्ट ने दिया था झटका
न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने मामले में सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा था, जिसे बुधवार को सुनाते हुए कहा कि याचिका में ऐसी कमियां नहीं हैं, जिसे दूर नहीं किया जा सके। दो नवंबर को हुई सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने भाजपा के पूर्व विधायक पूरन सिंह फर्त्याल की चुनाव याचिका पर वाद बिंदुओं पर विधायक अधिकारी की आपत्तियों को खारिज कर दिया था। साथ ही पूर्व विधायक को 11 नवंबर तक याचिका में आपत्तियां दूर करने और 16 नवंबर से मामले में नियमित सुनवाई का आदेश भी पारित किया था। इस आदेश को विधायक के लिए झटका, जबकि पूर्व विधायक के लिए सियासी जीत के रूप में माना जा रहा था। मगर अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी है।
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