कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के नेतृत्व में मुख्य सचिव और डीजीपी से मुलाक़ात की है। जहां प्रदेश के शीर्ष अधिकारियों से कानून व्यवस्था को लेकर सवाल किए गए। पीसीसी अध्यक्ष करण माहरा का कहना है की बीजेपी से जुड़े कुछ लोग प्रदेश में माहौल बिगाड़ने की कोशिश में लगे है।
पुरोला इसका उदाहरण है जहां हिंदू मुस्लिम दो युवकों को लड़की भगाने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया। वहीं अब लव जेहाद की बात कर महापंचायत बुलाई गई है। ऐसे में हमने मांग की है की दोषियों को बख्शा न जाए। साथ ही जो लोग शांति भंग करने की कोशिश कर रहे है उनके खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही हो।
दूसरी तरफ कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव काजी निजामुद्दीन का कहना है की ठीक चुनाव से पहले बीजेपी इस तरह की घटनाओं को अपने चुनावी हथियार के तौर पर प्रयोग करती है। लेकिन कांग्रेस किसी भी महिला के अपमान को सहन नही करेगी और न ही देश प्रदेश के मुद्दो से ध्यान भटकने देगी। हमने डीजीपी से मांग की है की ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जाए और भड़काने वाले लोगो पर भी कार्यवाही हो।
उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में मुख्य सचिव एस.एस. संधू एवं पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार से उनके कार्यालयों में मुलाकात कर राज्य की विगडती कानून व्यवस्था पर चिंता प्रकट करते हुए कानून व्यवस्था में सुधार की मांग की।
राज्य के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक से मिले कांग्रेस के प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि उत्तरकाशी जनपद के पुरोला में घटे घटनाक्रम से हम सब चिन्तित हैं। हम हर अपराधी के खिलाफ हैं चाहे वह किसी भी जाति, वर्ग, धर्म से जुड़ा हुआ क्यों न हो। क्योंकि अपराध तो अपराध ही है चाहे वह किसी ने भी किया हो परन्तु एक व्यक्ति द्वारा किये गये अपराध को पूरे समाज का अपराध मानकर उसे दंडित नहीं किया जाना चाहिए। अपराधी का अपराध तय करना पुलिस का काम है तथा उसे सजा देना न्यायालय का न कि किसी संगठन विशेष का।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम समाज में अशांति फैलाने के खिलाफ हैं। कुछ राजनैतिक दल के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं द्वारा हेट स्पीच के माध्यम से राज्य का साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। हम हेट स्पीच के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं। इसके लिए मा. सर्वोच्च न्यायालय एवं मा0 उच्च न्यायालय नैनीताल ने भी 2023 में अपने आदेशों में स्पष्ट किया है। विगत 2017 के उपरान्त ऐसे प्रकरण सामने आये हैं जिनकी न्यायिक विवेचना की जानी चाहिए।
पुलिस के साइबर सैल को भी ऐसे प्रकरणों पर सोशल मीडिया पर नजर रखनी चाहिए तथा इस प्रकार की पोस्ट डालने वालों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई की जानी चाहिए। सोशल मीडिया के माध्यम से वैमनस्यता फैलाने वाले संगठनों को चिन्हित कर उनकी पृष्ठभूमि की जांच कर ऐसे संगठनों तथा व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
श्री करन माहरा ने प्रशासन द्वारा प्रदेशभर में चलाये जा रहे अतिक्रमण अभियान की ओर मुख्य सचिव का ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा प्रदेशभर में विभिन्न क्षेत्रों में अतिक्रमण अभियान के नाम पर वर्षों पूर्व बसे लोगों को उजाड़ा जा रहा है जो कि न्याय संगत प्रतीत नहीं होता है इसलिए अतिक्रमण अभियान पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य का 94 प्रतिशत भूभाग वनाच्छादित है तथा ग्रामीणों के मन्दिर एवं पूजा के स्थान वर्षों पूर्व से जंगलों में स्थापित हैं ऐसे में उन्हें अतिक्रमण मानकर लोगों की आस्था से खिलवाड नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने पूर्णागिरि, मंसा देवी, गर्जिया देवी, दीवा आदि आनादिकाल से स्थापित मन्दिरों को भी अतिक्रमण की श्रेणी में माना जा रहा है।
पूर्व मंत्री एवं प्रदेश अनुशासन समिति के अध्यक्ष नवप्रभात ने कहा कि राज्य की कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। कुछ तथाकथित स्वयंभू संगठनों द्वारा आज पूरे प्रदेश में धर्म के नाम पर समाज को बांटने तथा वैमनस्यता बढ़ाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी के पुरोला प्रकरण में राकेश तोमर जो कि स्वयं को रूद्र सेना का अध्यक्ष बताते हैं उनकी तथा उनके संगठन से जुड़े लोगों की जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रकरणों पर यदि समय रहते रोक नहीं लगाई गई तो राज्य की तीर्थयात्रा एवं पर्यटन पर इस का विपरीत प्रभाव तो पड़ेगा ही देवभूमि की छबि भी धूमिल होगी।
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