विधान सभा चुनाव 2022 से पूर्व, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उत्तराखण्ड राज्य की जनता से भारतीय जनता पार्टी के संकल्प के अनुरूप उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। उत्तराखण्ड राज्य की जनता द्वारा श्री पुष्कर सिंह धामी की इस घोषणा का भारी बहुमत से स्वागत किया गया परिणामस्वरूप राज्य में भारतीय जनता पार्टी की पुनः सरकार गठित हुई और केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा श्री पुष्कर सिंह धामी पर मुख्यमंत्री के रूप में विश्वास व्यक्त किया गया।
वादे के मुताबिक श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा सरकार गठन के तुरंत बाद ही पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्रीमती रंजना प्रकाश देसाई जी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की। समिति में सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री प्रमोद कोहली जी, समाजसेवी श्री मनु गौड़ जी, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्य सचिव श्री शत्रुघ्न सिंह जी एवं दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० सुरेखा डंगवाल जी को सम्मिलित किया गया।
समिति द्वारा 22 अगस्त 2022 को दो उप समितियों का गठन किया गया, जिसमें से एक उपसमिति का कार्य “संहिता” का प्रारूप तैयार करने का था। दूसरी उपसमिति का कार्य प्रदेश के निवासियों से सुझाव आमंत्रित करने के साथ ही संवाद स्थापित करना था।
समिति द्वारा देश के प्रथम गांव माणा से जनसंवाद कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए प्रदेश के सभी जनपदों में सभी वर्ग के लोगों से सुझाव प्राप्त किये गये। इस दौरान कुल 43 जनसंवाद कार्यक्रम किये गये और प्रवासी उत्तराखंडी भाई-बहनों के साथ 14 जून 2023 को नई दिल्ली में चर्चा के साथ ही संवाद कार्यक्रम पूर्ण किया गया।
समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिये समाज के हर वर्ग से सुझाव आमंत्रित करने में तकनीक का सहारा भी लिया गया। इसके लिये 08 सितम्बर 2022 को एक वेब 5
पोर्टल लॉन्च करने के साथ ही राज्य के सभी नागरिकों से एसएमएस और वाट्सअप मैसेज द्वारा सुझाव आमंत्रित किये गये।
समिति को विभिन्न माध्यमों से दो लाख बत्तीस हजार नौ सौ इक्सठ (2,32,961) सुझाव प्राप्त हुए। जो कि प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों के बराबर हैं। किसी कानून के निर्माण हेतु अपने सुझाव देने का देश में यह पहला अतुलनीय उदाहरण है, जो उत्तराखण्ड राज्य की जनता की जागरूकता को भी प्रदर्शित करता है।
लगभग 10 हजार लोगों से संवाद एवं प्राप्त लगभग 02 लाख 33 हजार सुझावों का अध्ययन करने हेतु समिति की 72 बैठकें आहूत की गई और रिकॉर्ड समय में उत्तराखण्ड राज्य में समान नागरिक संहिता के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर आज रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उपलब्ध करायी गयी।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा समिति से रिपोर्ट प्राप्त कर राज्य की जनता एवं राज्य सरकार की ओर से समिति के सभी विद्वान सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया और आशा की गई कि समिति के सदस्यों का यह योगदान राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिये एक मील का पत्थर साबित होगा।
श्री पुष्कर सिंह धामी जी द्वारा बताया गया कि हमारी सरकार इस रिपोर्ट का अध्ययन और परीक्षण कर यथाशीघ्र उत्तराखंड राज्य के लिये समान नागरिक संहिता कानून का प्रारूप तैयार कर संबंधित विधेयक को आगामी विधान सभा के विशेष सत्र में रखेगी।
उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार शीघ्र ही इस ऐतिहासिक कानून को देवभूमि में लागू कर जनता से किये गये वादे को पूर्ण करने में सफल होगी। उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा अस्तित्व में आने के उपरान्त से ही अनुच्छेद 370 की समाप्ति, अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का मंदिर निर्माण तथा समान नागरिक संहिता को लागू किये जाने को अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में रखा गया। भारतीय जनाता पार्टी द्वारा अनुच्छेद 370 की समाप्ति और राम मंदिर का निर्माण का कार्य पहले ही पूर्ण किया जा चुका है उम्मीद की जा सकती है कि देवभूमि उत्तराखण्ड से भारतीय जनता पार्टी की तीसरी प्राथमिकता समान नागरिक संहिता को लागू किये जाने की शुरूआत हो चुकी है।
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