*हरे पहाड़, सौंधी मिट्टी नित बहती निर्मल धारा*
*है जन्मभूमि यही हमारी, ऐसा है गाँव हमारा*
*अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आदि कैलाश में आयोजित योग कार्यक्रम में प्रतिभाग करने के पश्चात पैतृक गांव हड़खोला, डीडीहाट पहुँचकर स्वजनों और प्रिय ग्रामवासियों से भेंट की।*
*देवभूमि उत्तराखण्ड की संस्कृति, धरोहर और परंपरा आज भी हमारे गावों में देखी जा सकती है, पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन की धारा यहीं से बहती है, आज इस अवसर पर ग्रामवासियों के साथ वृक्षारोपण कर प्रकृति के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वहन किया।*
*स्नेह और आत्मीयता के साथ ग्रामवासियों द्वारा किए गए स्वागत से मन भावुक हो उठा। गांव आना सदैव मन-मस्तिष्क को सुख प्रदान करने वाला होता है और भूली बिसरी स्मृतियों को जीवंत कर देता है।*
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