*बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति विकसित करेगा ‘जादुई पिटारा’: डॉ. धन सिंह रावत*
*प्रथम चरण में पौड़ी व पिथौरागढ़ के 2327 विद्यालयों को मिला जादुई पिटारा*
*3 से 8 वर्ष के बच्चों के लिये तैयार की गई खेल आधारित शिक्षण सामग्री*
देहरादून/पौड़ी,
प्रदेशभर के प्राथमिक विद्यालयों में ‘जादुई पिटारे’ के माध्यम से बच्चों में सीखने की समझ विकसित की जायेगी। इस पिटारे में बच्चों के लिये खिलौने, कठपुतलियां, दिलचस्प कहानियां उपलब्ध कराई गई है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा इस खेल आधारित शिक्षण सामग्री को 3 से 8 आयु वर्ष के बच्चों के लिये तैयार किया गया है। इस जादुई पिटारे को प्रदेशभर के सभी प्राथमिक विद्यालयों में उपलब्ध कराया जायेगा। प्रथम चरण में पौड़ी और पिथौरागढ़ जनपद के दो हजार से अधिक विद्यालयों में जादुई पिटारा उपलब्ध करा दिया गया है। जबकि शेष 11 जनपदों में जादुई पिटारा शीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दे दिये गये हैं।
सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज अपने विद्यानसभा क्षेत्र भ्रमण के दौरान पाबौं के ब्लॉक के विभिन्न प्राथमिक विद्यालयों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा विकसित खेल आधारित अधिगम सामग्री ‘जादुई पिटारा’ वितरित किया। इस अवसर पर डॉ. रावत ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा के बुनियादी स्तर को मजबूत करने के लिये राज्य सरकार शिक्षा से संबंधित विभिन्न नवीन तकनीकों को प्रदेश में लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसा के अनुरूप एनसीईआरटी द्वारा विकसित नया स्टडी मटेरियल ‘जादुई पिटारा’ को प्रदेशभर के प्राथमिक विद्यालयों में उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रदेश में समग्र शिक्षा के तहत प्रथम चरण में पौड़ी और पिथौरागढ़ जनपद के 2327 प्राथमिक विद्यालयों में जादुई पिटारे वितरित किये जा चुके है। जिसमें पौड़ी जनपद में 1354 प्राथमिक विद्यालय जबकि पिथौरागढ़ जनपद में 973 विद्यालय शामिल हैं। विभागीय मंत्री डा. रावत ने बताया कि द्वितीय चरण में शेष 11 जनपदों के 8939 प्राथमिक विद्यालयों में जादुई पिटारा वितरित किया जायेगा। जिसमें अल्मोड़ा जनपद के 1248, बागेश्वर 561, चमोली 919, चम्पावत 477, देहरादून 881, हरिद्वार 666, नैनीताल 937, रूद्रप्रयाग 521, टिहरी 1265, ऊधमसिंह नगर 778 तथा उत्तरकाशी जनपद के 686 प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं। उन्होंने बताया कि जादुई पिटारा प्रथमिक स्तर पर 3 से 8 वर्ष के बच्चों पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी, सीखने की ललक, चिंतन कौशल, गणित और भावनात्मक कल्याण को बढ़ाने में मददगार साबित होगा। इस पिटारे में बच्चों के लिये खिलौने, पहेलियां, दिलचस्प कहानियां उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा खेल, चित्रकला, नृत्य व संगीता पर आधारित शिक्षा भी जादुई पिटारा में शामिल हैं।

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