दिनांक ७-७-२०२५- राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पांडे ने आज परिषद द्वारा मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन से भेंट कर एम के पी पी जी कालेज देहरादून के कार्मिकों को विगत चार माह से वेतन नहीं मिलने की शिकायत की गई।
श्री पांडेय ने बताया कि परिषद के संज्ञान में लाया गया है कि एम० के०पी० (पी.जी) कालेज देहरादून के कार्मिकों का माह मार्च 2025, वेतन का भुगतान नहीं हो पा रहा है। जिससे महाविद्यालय के समस्त कार्मिक आर्थिक कठिनाईयों का सामना कर रहे हैं एंव उनका जीवन यापन दुभर हो गया है।
उक्त के सम्बंध में पत्र के साथ महादेवी महाविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी एसोसियेशन का पत्रांक 06 दिनांक 4.7.2025 का संलग्नकों सहित संलग्न कर अनुरोध किया गया है कि समस्त सम्बंधित तथ्यों का अवलोकन करने की कृपा करें, जिसमें बिन्दुवार समस्त विवरण को प्रस्तुत करते हुए मांग की गयी है कि शासन द्वारा पूर्व में जारी शासनादेश संख्या 973/XXIV-3/2020-12(13) 2018 दिनांक 21.12.2020 एंव 1027 / XXIV-3/2020-12(13) 2018 दिनांक 16.10.2024 के अनुसार वेतन भुगतान कराने हेतु अपने स्तर से उक्तानुसार वेतन भुगतान हेतु सम्बन्धित को निर्देशित करने की कृपा कीजिएगा।
उल्लेखनीय है कि एमकेपी के कार्मिकों को प्रबंधन की आपस की लड़ाई में मामला न्यायालय तक जाने के कारण कई वर्षों से वेतन भुगतान संबंधी इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है अंत में आज उन कर्मों को द्वारा परिषद के माध्यम से शासन से हस्तक्षेप करने की मांग की गई है।
उक्त के अतिरिक्त श्री पांडे द्वारा बताया गया कि सैनिक कल्याण विभाग में कार्मिकों के नियम विरुद्ध स्थानांतरण दिनांक 30 जून को कर दिए गए ,जिसकी शिकायत परिषद द्वारा कल मुख्य सचिव महोदय से की गई थी जिस पर उन्होंने सचिव सैनिक कल्याण, उत्तराखंड शासन को अपने स्तर से तत्काल कार्रवाई हेतु निर्देशित किया गया । सचिव सैनिक कल्याण से भी परिषद के पदाधिकारी मिले जिस पर उन्होंने तत्काल निदेशक सैनिक कल्याण को कार्रवाई हेतु निर्देशित किया है। श्री पांडे ने बताया कि परिषद के संज्ञान में यह भी आया है की एक तरफ जहां निदेशक , सैनिक कल्याण विभाग द्वारा सचिव सैनिक कल्याण सहित अन्य उच्चस्तरीय अधिकारीयों को अवगत करा रहे हैं कि उक्त स्थानांतरण निर्वाचन आयोग से सहमति प्राप्त कर किए गए थे वहीं दूसरी तरफ निर्वाचन आयोग द्वारा सचिव सैनिक कल्याण से इस संबंध में दैनिक समाचार पत्रों में छपी हुई खबर का हवाला देते हुए आख्या भी मांगी गयी है।

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