इस्कॉन इंडिया के चेयरमैन संत गोपालकृष्ण गोस्वामी का रविवार को निधन हो गया। उन्होंने देहरादून के सिनर्जी अस्पताल में सुबह करीब साढ़े नौ बजे अंतिम सांस ली। संत गोपालकृष्ण गोस्वामी इस्कॉन की ओर से बनाए जा रहे बांके बिहारी मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम में भाग लेने के लिए देहरादून आए थे।कार्यक्रम के बाद बाथरूम में फिसलने से उन्हें चोट आई थी।
डॉक्टरों के मुताबिक, इससे उनके फेफड़े पंक्चर हो गए थे। वह हृदय संबंधी बीमारियों से भी ग्रसित थे। उनके पार्थिव शरीर को इस्कॉन के पदाधिकारी अपने साथ दिल्ली स्थित ईस्ट ऑफ कैलाश मंदिर ले गए हैं। छह मई की सुबह तक पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन किए जा सकेंगे। इसके बाद संत को वृंदावन में भू-समाधि दी जाएगी।उनके देहांत से इस्कॉन परिवार और उनके अनुयायियों में शोक व्याप्त है। एक मई को दूधली में इस्कॉन की ओर से राधा बांके बिहारी मंदिर की नींव रखी गई थी। कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इस्कॉन इंडिया के चेयरमैन संत गोपालकृष्ण गोस्वामी देहरादून प्रवास पर आए थे। इस दौरान वह बाथरूम में फिसल गए थे। आनन-फानन में उन्हें इस्कॉन पदाधिकारियों ने सिनर्जी अस्पताल में भर्ती कराया।
उनका लगभग चार दिनों तक इलाज चला, लेकिन रविवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे उनका देहांत हो गया। सिनर्जी अस्पताल के प्रबंध निदेशक कमल गर्ग ने बताया, गिरने के कारण उनके फेफड़ों में चोटें आईं थी। उन्हें आईसीयू में रखा गया था। रविवार सुबह 11 बजे इस्कॉन पदाधिकारी उनके पार्थिव शरीर को लेकर दिल्ली रवाना हो गए थे।भगवान श्रीकृष्ण और सनातन धर्म के लिए समर्पित था जीवन
इस्कॉन के कंट्री डायरेक्टर ऑफ कम्युनिकेशन युधिष्ठिर गोविंदा दास के मुताबिक, संत गोपालकृष्ण गोस्वामी लंबे समय से हृदय संबंधी बीमारियों से ग्रसित थे। इलाज के लिए सिनर्जी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। संत का जन्म 1944 में नई दिल्ली में हुआ था। उन्हें फ्रांस के सोरबोन विवि और कनाडा के मैक्गिल विवि में अध्ययन के लिए दो छात्रवृत्तियां प्रदान की गई थीं। वर्ष 1968 में उन्होंने कनाडा में अपने गुरु और इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद से मुलाकात की। तब से उन्होंने सभी की शांति और कल्याण के लिए भगवान श्रीकृष्ण और सनातन धर्म के लिए खुद को समर्पित कर दिया। उन्होंने भारत, कनाडा, केन्या, पाकिस्तान, सोवियत संघ और दुनिया के कई हिस्सों में सनातन धर्म और श्रीकृष्ण के संदेशों को पहुंचाया।संत गोपालकृष्ण ने की थी अन्नामृत फाउंडेशन की शुरुआत
संत गोपालकृष्ण गोस्वामी भारतीय संस्कृति और दर्शन के दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशक भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट के ट्रस्टी भी रहे हैं। उन्होंने अन्नामृत फाउंडेशन की भी शुरुआत की। यह फाउंडेशन आज भारत के 20 हजार से अधिक स्कूलों में 12 लाख से अधिक सरकारी स्कूली छात्रों को पौष्टिक भोजन परोसता है। उन्होंने 70 से अधिक देशों में 50 हजार से अधिक लोगों को भक्ति योग की प्रक्रिया में दीक्षित भी किया। राष्ट्राध्यक्षों से लेकर प्रमुख व्यावसायियों, छात्रों और समाज के आम लोगों से मिलने-जुलने तक, वे एक मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में सभी के लिए समान रूप से जाने जाते थे।
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