नौकरी से हटाए गए आईएचएम के डायरेक्टर पर कैंट थाने में मुकदमा
पीएचडी की डिग्री आने के दो महीने पहले ही जमा कर पाई थी एसोसिएट प्रोफेसर की नौकरी
Iनौकरी से हटाए गए स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग टेक्नोलॉजी एवं एप्लाईड न्यूट्रीशन (आईएचएम) के डायरेक्टर यशपाल सिंह नेगी के खिलाफ कैंट थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। नेगी पर फर्जी प्रमाणपत्र और गलत जानकारियां देकर नौकरी पाने का आरोप है। आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2015 में पीएचडी की डिग्री के आधार पर एसोसिएट प्रोफेसर की नौकरी पाई थी। लेकिन, यह डिग्री उन्होंने हासिल होने से दो महीने पहले ही नौकरी के लिए जमा कर दी थी। इस आरोप पर नेगी को नई टिहरी स्थित इस इंस्टीट्यूट की नौकरी से हटा दिया गया था।
Iइंस्पेक्टर कैंट गिरीश चंद शर्मा ने बताया कि नेगी के खिलाफ पर्यटन निदेशालय के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी कार्यालय अध्यक्ष कर्नल अश्विनी पुंडीर ने शिकायत की है। तत्कालीन निदेशक (संविदा) यशपाल सिंह नेगी टीएचडीसी कॉलोनी, बंजारावाला देहरादून के निवासी हैं।
केस दर्ज कराते हुए कहा गया कि पर्यटन विभाग के अधीन नई टिहरी में स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग टेक्नोलॉजी एवं एप्लाईड न्यूट्रीशन स्थापित है। इस संस्थान में यशपाल सिंह नेगी को वर्ष 2015 में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर संविदा के तहत नियुक्ति दी गई। वर्ष 2016 में निदेशक/प्राचार्य पद पर तैनात हुएIसंस्थान के स्टाफ की संयुक्त शिकायत पर विभागीय जांच दल ने आरोपी और शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज किए। जिसमें नौकरी पाने के लिए उनकी तरफ से किए गए फर्जीवाड़े का पता लगा।
कहा कि यशपाल नेगी को पीएचडी की डिग्री 27 नवंबर 2015 को मिली। जबकि, उन्होंने एक सितंबर 2015 को इसी डिग्री के आधार पर नौकरी पा ली। ऐसे में इसे गलत माना गया। वहीं पीएचडी गाइडेंस में उन्होंने स्कॉलर कुलदीप सिंह और अभिषेक सिंह को गाइडेंस देने की जानकारी दर्ज की। इसमें कुलदीप सिंह के बयान में गाइडेंस की कहानी झूठी निकली। नियुक्ति पाने के लिए किए फर्जीवाड़े को लेकर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है। साथ ही अब गढ़ी कैंट थाना पुलिस ने भी मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।I
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