मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल के बेटे के खिलाफ मुकदमा दर्ज
नीलकंठ में रिजॉर्ट बनाने के लिए काट डालें संरक्षित प्रजाति के पेड़
24 छूट प्रजाति के पेड़ों के साथ संरक्षित प्रजाति के काट डालें 2 पेड़
पीयूष अग्रवाल के खिलाफ लैंसडाउन डिवीजन ने किया मुकदमा दर्ज
बिना अनुमति के भूमि पर सड़क बनाने का भी हैं आरोप
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बेटे पीयूष अग्रवाल के खिलाफ वन विभाग ने मुकदमा दर्ज किया है।
जानकारी के अनुसार निजी नाप भूमि पर रिजॉर्ट निर्माण के लिए संरक्षित प्रजाति के पेड़ों के अवैध कटान का मामला सामने आया है। वन विभाग के मुताबिक नीलकंठ मार्ग पर खैरखाल में 26 पेड़ काटे गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि 24 पेड़ छूट प्रजाति के हैं, जबकि दो पेड़ संरक्षित प्रजाति खैर के पेड़ हैं। जांच में दो खैर के पेड़ काटे जाने की पुष्टि होने पर लालढांग रेंज द्वारा मुकदमा दर्ज किया गया है। इस भूमि पर बिना अनुमति के सड़क भी काटे जाने का आरोप है। ग्रामीणों का कहना है कि इस मामले में प्रशासन की ढिलाई भी रही है।
वहीं दूसरी ओर इस मामले में पीयूष अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने अनुमति के बाद ही पेड़ों का कटान किया है। संरक्षित पेड़ कट जाने की जानकारी उन्हें नहीं है। यदि ऐसा हुआ है तो वह नियमानुसार जुर्माना भरेंगे।
संरक्षित प्रजाति के पेड़ काटने पर जेल हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है. पेड़ काटने से जुड़े नियम और सज़ाएं इस प्रकार हैं:
वन संरक्षण अधिनियम, 1976 के तहत, संरक्षित प्रजाति के पेड़ काटने पर जेल हो सकती है.
पेड़ काटने पर जुर्माना 60 हज़ार रुपये तक हो सकता है.
पेड़ की छंटाई करने पर भी जुर्माना लगाया जा सकता है.
पेड़ काटने पर 6 महीने की जेल हो सकती है.
पेड़ काटने के लिए वन विभाग की शर्तों का पालन करना होता है.
पेड़ काटने के बाद, वन विभाग की शर्तों के मुताबिक, पौधे लगाने होते हैं.
पेड़ काटने के बाद, लगाए गए पौधों की निगरानी वन विभाग करता है
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