करियर बनने तक देंगे बच्चों को साथ, 264 बच्चों का थामा हाथ, जानिए क्या है पूरा मामला
कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत तीन हजार रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता सरकार की ओर से मिलती है, लेकिन इसका लाभ सिर्फ 21 साल तक मिलता है। असल चुनौती वयस्क होने के बाद आती है।
उत्तराखंड के जिन बच्चों को माता-पिता का प्यार और देखभाल नहीं मिली, उन्हें वयस्क होने के बाद कॅरिअर में बेहतर मुकाम तक पहुंचाने के लिए महिला सशक्तिकरण और बाल विकास विभाग ने एसओएस चिल्ड्रेन विलेज संस्था से करार किया है। इसके लिए 16 से 21 साल की उम्र के 264 बच्चों को चयन किया गया है, जिनके माता-पिता नहीं हैं।
इनमें ज्यादातर कोरोना काल में अनाथ हुए थे। हालांकि, इन सभी बच्चों को मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत तीन हजार रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता सरकार की ओर से मिलती है, लेकिन इसका लाभ सिर्फ 21 साल तक मिलता है। असल चुनौती वयस्क होने के बाद आती है।
इसलिए ऐसे बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर और आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने की कार्य योजना तैयार की गई है। चयनित बच्चों के लिए मेंटरशिप प्रोग्राम चलाया जाएगा, जिसमें उन बच्चों के आसपास रहने वाले अनुभवी और सशक्त लोगों को उनका मेंटर चुुना जाएगा।
वात्सल्य योजना में शामिल बच्चों और वयस्कों को उच्च शिक्षा के लिए शिक्षित करने के साथ कौशल विकास के लिए प्रशिक्षित भी करेंगे। सभी को इंग्लिश स्पीकिंग, कंप्यूटर कोर्स और निशुल्क कोचिंग दी जाएगी। हाल में इनमें से कई बच्चों को टैबलेट दिए गए हैं।

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