कैग की रिपोर्ट में खुलासा, पांच वर्षों में 6.71 फीसदी की औसत दर से बढ़ी प्रदेश की जीडीपी
कैग रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान मूल्यों पर 2018-19 में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 2,30,314 करोड़ थी। 2022-23 में यह 3,02,621 करोड़ हो गई। यानी राज्य में आर्थिक विकास 6.71 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर पर बढ़ा।
उत्तराखंड में राज्य की सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य वर्ष 2018-19 से 2022-23 के बीच पांच वर्षों में 6.71 फीसदी की दर से बढ़ा है। हालांकि, अखिल भारतीय सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में राज्य पीछे है, लेकिन कोविडकाल की दुश्वारियों से उबरने के बाद प्रदेश में आर्थिक विकास का पहिया तेजी से घूमने लगा है।
यह खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की 31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वर्ष के लिए राज्य वित्त पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान मूल्यों पर 2018-19 में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 2,30,314 करोड़ थी। 2022-23 में यह 3,02,621 करोड़ हो गई। यानी राज्य में आर्थिक विकास 6.71 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर पर बढ़ा
राज्य का बजट आउट टर्न 10.59 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर से बढ़कर 2018-19 में 48,037 करोड़ से 2022-23 में 71,012 करोड़ हो गया। अखिल भारतीय प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद उत्तराखंड से अधिक रही। 2018-19 से2022-23 के दौरान राष्ट्रीय जीडीपी 10.34 फीसदी की औसत दर से बढ़ी।
देश के सकल घरेलू उत्पाद के सापेक्ष उत्तराखंड राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद की वार्षिक वृद्धि दर कम रही। केवल वर्ष 2022-21 में उत्तराखंड वृद्धि दर अधिक थी।
सरकार की आय में हुई बढ़ोतरी
रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 11.19 प्रतिशत की वृद्धि हुई। साथ ही इस अवधि में राजस्व प्राप्तियां 14.00 प्रतिशत बढ़ गईं। 2021-22 में 15.82 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 16.22 प्रतिशत हो गया। इस अवधि के दौरान कर राजस्व में 15.10 प्रतिशत की वृद्धि हुई और राज्य के अपने कर राजस्व में 20.65 प्रतिशत इजाफा हुआ।
खर्च बढ़ा, राजकोषीय घाटा हुआ कम
राज्य का कुल व्यय जिसमें राजस्व व्यय, पूंजीगत व्यय तथा ऋण एवं अग्रिम शामिल है। 2021-22 में 11.22 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 46,810 करोड़ से बढ़कर 52,061 करोड़ हो गया। इसमें से राजस्व व्यय में 2021-22 से 12.44 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। राजस्व अधिशेष 4,128 करोड़ से बढ़कर 5,310 करोड़ हो गया, जो 2021-22 की तुलना में 28.63 प्रतिशत अधिक है, जबकि राजकोषीय घाटा 2021-22 में 3,736 करोड़ से घटकर 2022-23 में 2,949 करोड़ हो गया, जो 21.07 प्रतिशत कम हो गया
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