कैग ने उत्तराखंड की वित्तीय प्रबंधन प्रणाली पर उठाए सवाल, कहा- ‘डीपीआर महत्वहीन और जानकारी पुरानी’
CAG Report 2024 वित्तीय पारदर्शिता के लिए लागू की एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (आइएफएमएस) के क्रियान्वयन में खामियों को भी कैग ने निशाने पर लिया है। प्रदेश में एक अप्रैल 2019 से आइएफएमएस को प्रारंभ किया गया। उससे पहले कोर ट्रेजरी सिस्टम लागू था। रिपोर्ट में वर्ष 2019 से लेकर 2022 तक आइएफएमएस की प्रगति की समीक्षा की गई है।
CAG Report 2024: प्रदेश सरकार की एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (आइएफएमएस) पर भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने प्रश्न उठाए हैं। वित्तीय पारदर्शिता के लिए लागू की इस प्रणाली के क्रियान्वयन में खामियों को भी कैग ने निशाने पर लिया है।
गैरसैंण में चल रहे विधानसभा सत्र के दूसरे दिन गुरुवार को सदन के पटल पर कैग की आइएफएमस पर तैयार रिपोर्ट रखी गई। रिपोर्ट में वर्ष 2019 से लेकर 2022 तक आइएफएमएस की प्रगति की समीक्षा की गई है। प्रदेश में एक अप्रैल, 2019 से आइएफएमएस को प्रारंभ किया गया। उससे पहले कोर ट्रेजरी सिस्टम लागू था।
कैग ने उत्तराखंड के भूकंपीय जोन-चार में होने के बाद भी डिजास्टर रिकवरी साइट स्थापित नहीं होने का उल्लेख किया। उधर, सरकार का कहना है कि आइटीडीए की ओर से आइटीआइ लिमिटेड बेंगलुरु में वित्तीय डाटा सेंटर की रिकवरी साइट बनाई जा रही है।
आइएफएमएस प्रणाली का नहीं हुआ प्रारंभिक अध्ययन
रिपोर्ट में आइएफएमएस के विकास को डीपीआर तैयार करने से पहले स्टेट प्रोजेक्ट ई-मिशन टीम की ओर से इसकी समीक्षा नहीं करने पर अंगुली उठाई है। केंद्र सरकार को डीपीआर जनवरी, 2013 को भेजी गई, जबकि ई-मिशन टीम का गठन दिसंबर, 2013 में किया गया।
कैग ने आइएफएमएस की मौजूदा प्रणाली का प्रारंभिक अध्ययन नहीं करने पर सवाल दागे। रिपोर्ट में कहा गया कि डीपीआर महत्वहीन और उसमें पुरानी जानकारी भी। ई-स्टाप के लिए इन्वेंट्री माड्यूल को डीपीआर में सम्मिलित नहीं किया गया
राज्य सरकार ने रिपोर्ट के इन बिंदु पर स्पष्टीकरण दिया है। बताया गया कि कोषागार कंप्यूटरीकरण परियोजना के लिए डीपीआर तैयार की गई, लेकिन बीच में केंद्र सरकार के निर्देश के अनुसार प्रदेश सरकार ने राज्य बजट की सहायता से उसी डीपीआर का उपयोग करते हुए आइएफएमएस परियोजना प्रारंभ की।
फर्म ने नहीं कराया IFMS का गुणवत्ता प्रमाणन, रोका भुगतान
रिपोर्ट में कहा गया कि आइएफएमएस लागू हाेने से पहले मानकीकरण परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन निदेशालय से आवश्यक प्रमाणन कराए बिना ही इस प्रणाली को एक अप्रैल, 2019 से लागू किया गया। इसे करने की जिम्मेदारी चयनित निविदादाता की थी।
इस संबंध में सरकार की ओर से बताया गया कि मानकीकरण परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन के लिए फर्म से कई बार अनुरोध किया गया, लेकिन फर्म ने यह कार्य नहीं किया। इस क्रम में विभाग ने अवशेष भुगतान रोक दिया। अवशेष कार्य को विभाग ने स्वयं पूरा किया और गुणवत्ता प्रमाणन भी कराया।
आइएफएमएस वर्जन 3.0 होगा लांच
इस प्रणाली के परिचालन के चार वर्ष बाद भी आइएमएफएस के लिए बिजनेस कंटीन्यूटी प्लान तैयार कर अपनाया नहीं गया। जवाब में शासन ने बताया कि आइएफएमएस वर्जन 3.0 लांच करना प्रस्तावित है। इसे शीघ अमल में लाया जाएगा।
कैग ने कार्य पूरा किए बगैर 32.08 लाख की राशि के भुगतान पर भी सवाल खड़े किए। वित्त विभाग ने संबंधित संस्था को आंशिक भुगतान की बात कही है।
आउटसोर्स कार्मिकों की तैनाती पर उठाए सवाल
आइएफएमएस पोर्टल में विभिन्न व्यवस्था की कमियों और एसी बिलों के अनियमित आहरण और उनका समायोजन नहीं करने का रिपोर्ट में उल्लेख किया है। साथ ही आउटसोर्स कार्मिकों के महत्वपूर्ण वित्तीय डाटा के प्रबंधन को निशाने पर लिया है।
जवाब में वित्त विभाग ने बताया कि आउटसोर्स कार्मिक वित्तीय डाटा का प्रबंधन नहीं कर रहे हैं। यह कार्य सहायक निदेशक के अधीन पूरी डोमेन टीम कर रही है। दो उपकोषाधिकारी, दो सहायक कोषाधिकारी और छह लेखाकारों के सापेक्ष वर्तमान में दो उपकोषाधिकारी, एक सहायक कोषाधिकारी व पांच लेखाकार व सहायक लेखाकार की टीम डाटा प्रबंधन का कार्य कर रही है।
आउटसोर्स कर्मचारी प्रोग्रामर हैं। इनकी संख्या 12 है। कैग ने इस प्रणाली की सुरक्षा को आइटी सुरक्षा नीति तैयार नहीं करने पर आपत्ति व्यक्त की है। सरकार की ओर से जवाब में बताया गया कि आइटी सुरक्षा नीति के अंतर्गत वित्तीय डाटा सेंटर आइटीडीए में स्थापित है। इसे बेंगलुरु में बनाया जाना प्रस्तावित है।
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