मंत्रिमंडल उपसमिति की बैठक, तीन जिलों के DM ने नहीं दी सरकारी भूमि पर कब्जे की रिपोर्ट
राज्य में एक लाख से अधिक परिवार विभिन्न श्रेणियों की सरकारी भूमि पर दशकों से काबिज हैं। मालिकाना अधिकार न होने से वे इस भूमि का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
उत्तराखंड के 13 में से तीन जिलों हरिद्वार, देहरादून और बागेश्वर के जिलाधिकारियों ने मंत्रिमंडल उपसमिति को अभी तक विभिन्न श्रेणियों की सरकारी भूमि पर कब्जे की रिपोर्ट नहीं भेजी है। उपसमिति ने तीनों जिलों के जिलाधिकारियों को एक महीने में रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं। साथ ही 10 जिलों से आई रिपोर्ट के बारे में भी कुछ और सूचनाएं तलब की हैं।
राज्य सचिवालय में उपसमिति के अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में जिलों से आए प्रस्तावों पर चर्चा की गई। बता दें कि प्रदेश मंत्रिमंडल ने 10 मई 2023 को उपसमिति का गठन किया था। उपसमिति को विभिन्न श्रेणियों की भूमि पर काबिज परिवारों को भूमि धरी का अधिकार देने पर विचार करना है। उपसमिति की रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट निर्णय लेगी।
एक अनुमान के अनुसार, राज्य में एक लाख से अधिक परिवार विभिन्न श्रेणियों की सरकारी भूमि पर दशकों से काबिज हैं। मालिकाना अधिकार न होने से वे इस भूमि का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। सरकार को भी कब्जे की भूमि से कोई राजस्व प्राप्त नहीं हो रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने कब्जे की भूमि पर मालिकाना हक देने का निर्णय लिया है। उपसमिति को यह तय करना है कि किस श्रेणी की भूमि का नियमित करना व्यावहारिक होगा।
बैठक में उपसमिति को बताया गया कि विभिन्न श्रेणियों की भूमि पर कब्जे के बारे में 10 जिलों की रिपोर्ट आ चुकी है। उपसमिति के अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री उनियाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भूमि पर मालिकाना हक दिये जाने के संबंध में गंभीरतापूर्वक कार्य किया जाना है। बैठक में कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु उपस्थिति थे।
लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
👉 न्यूज़ हाइट के समाचार ग्रुप (WhatsApp) से जुड़ें
👉 न्यूज़ हाइट से टेलीग्राम (Telegram) पर जुड़ें
👉 न्यूज़ हाइट के फेसबुक पेज़ को लाइक करें