भैंस के सींग बड़े या माथे का निशान…राज्य उपभोक्ता आयोग में उठा मामला, बीमा कंपनी हार गई केस
राज्य उपभोक्ता आयोग ने भैंस की मौत पर 65 हजार का मुआवजा बीमा कंपनी को देने का आदेश दिया है।
भैंस के माथे का छोटा सफेद निशान बड़ी पहचान है या उसके मुड़े हुए सींग? यह सवाल राज्य उपभोक्ता आयोग में उठा तो बीमा कंपनी केस हार गई। आयोग ने भैंस की मौत पर 65 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। दरअसल, बीमा कंपनी ने भैंस की मौत का बीमा दावा खारिज कर दिया था।
तर्क यह दिया कि मृत भैंस के फोटोग्राफ में उसके माथे पर एक सफेद निशान नजर आ रहा है, जो उसका बीमा कराते समय के फोटोग्राफ में नहीं है। इस पर भैंस मालिक ने दलील दी कि भैंस का सफेद छोटा निशान सिर्फ उसके लेटे होने पर साइड से नजर आता था, जीवित अवस्था में सामने से लिए गए फोटोग्राफ में निशान कैप्चर नहीं हुआ होगा। सवाल उठाया कि छोटा सफेद निशान भैंस के सींगों से ज्यादा महत्वपूर्ण कैसे हो सकता है, मृत भैंस के मुड़े हुए सींग जीवित अवस्था से मेल खाते हैं।
भैंस की बीमा राशि 50 हजार रुपये के भुगतान को बरकरार रखा
बीमा कंपनी ने मुआवजा दावा खारिज करते समय यह भी आधार दिया कि जीवित भैंस के कान में पंजीकरण टैग बाएं कान में लगा था, लेकिन मृत भैंस के दाहिने कान में नजर आया। इस पर भैंस मालिक ने दलील दी कि संक्रमण के कारण टैग को बाएं कान से दाहिने कान में स्थानांतरित किया था, जिसकी सूचना पशु चिकित्सा अधिकारी को दी गई थी।
भैंस मालिक की दलीलों से सहमत होकर राज्य आयोग की अध्यक्ष कुमकुम रानी और सदस्य बीएस मनराल की पीठ ने द ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की अपील को खारिज कर दिया, हालांकि जिला आयोग के फैसले में आंशिक बदलाव किया।आयोग ने भैंस की बीमा राशि 50 हजार रुपये के भुगतान को बरकरार रखा है लेकिन मानसिक पीड़ा के मुआवजे को 20 हजार से घटाकर 10 हजार किया है। इसके अलावा मुकदमा खर्च को 10 हजार से घटाकर पांच हजार किया है।
बीमा कंपनी पर अलग से लगाया गया 50 हजार का जुर्माना रद्द कर दिया है। पीठ ने कहा कि मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजा दिए जाने के बाद जुर्माना वसूलने की आवश्यकता नहीं है।भैंस मालिक नैनीताल निवासी सुंदर सिंह नेगी हैं। उन्होंने अगस्त 2021 को 80 हजार रुपये में दो भैंसें खरीदी थीं। उसी दौरान दोनों का 50-50 हजार रुपये का बीमा कराया था। साल 2022 में एक भैंस की बीमारी से मृत्यु हो गई, लेकिन बीमा कंपनी ने मुआवजा देने से इंकार कर दिया।

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