बुआ रीना और वंदना अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहुंचीं, अब भतीजी खुशी खेलेगी हॉकी
अपनी ‘हाॅकी स्टिक’ की जादूगरी से स्वर्ण पदक दिलाने के लिए राज्य की टीम पूरी तरह से तैयार है। वर्तमान में हॉकी के खिलाड़ी अपने प्रशिक्षकों से बारीकियां सीख रही हैं।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों में अपनी पहचान बनाने वाली हॉकी खिलाड़ी रीना और वंदना कटारिया के बाद अब भतीजी खुशी को तराशा जा रहा है। महिला हॉकी प्रतियोगिता में हरिद्वार की खुशी कटारिया भी खेलने को तैयार है।
अपनी ‘हाॅकी स्टिक’ की जादूगरी से स्वर्ण पदक दिलाने के लिए राज्य की टीम पूरी तरह से तैयार है। वर्तमान में हॉकी के खिलाड़ी अपने प्रशिक्षकों से बारीकियां सीख रही हैं। वहीं, खुशी भी इस टीम का हिस्सा बनकर हाॅकी मैदान पर पसीना बहा रही हैं।
खुशी के लिए यदि सबसे ज्यादा गर्व की बात यह है कि राष्ट्रीय महिला हॉकी स्पर्धा उन्हीं के गांव रोशनाबाद स्थित वंदना कटारिया अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम में खेली जाएगी। उनकी बुआ अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया के नाम से यह स्टेडियम है।
ग्वालियर के एमपी हॉकी अकादमी से लिया खुशी ने प्रशिक्षण
खुशी कटारिया भी 19 वर्ष की आयु में सब-जूनियर और जूनियर हाॅकी खेलते हुए अब तक काफी अनुभव प्राप्त कर चुकी हैं और राष्ट्रीय खेलों में अपनी टीम के लिए पदक जीतने के लक्ष्य को लेकर उत्साहित और आश्वस्त हैं। खुशी मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एमपी हाॅकी अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त कर लौटी हैं। वहीं, स्नातक तृतीय वर्ष की छात्रा हैं।
एक परिवार से पूरे गांव की पहचान
खुशी का जन्म हरिद्वार के रोशनाबाद गांव के उस परिवार में हुआ, जिसे आज हरिद्वार और उत्तराखण्ड ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में ‘हाकी परिवार’ के नाम से जाना जाता है। यही नहीं, कई लोग तो रोशनाबाद गांव को ही ”हाॅकी की फैक्ट्री” भी कहते हैं। पिता लाखन सिंह तथा माता सुनीता देवी की इस होनहार संतान की छोटी बुआ तथा पद्मश्री सहित तमाम पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित वंदना कटारिया की देश दुनिया में पहचान है। वहीं बड़ी बुआ रीना कटारिया हॉकी में नेशनल और इंटरनेशनल खेलने के बाद अब रेलवे में सेवारत हैं। खुशी की छोटी बहन गुनगुन भी बहुत अच्छी हाॅकी खेलती है। राष्ट्रीय खेलों के लिए उसने भी ट्रायल दिया था, लेकिन बीच में तबीयत खराब हो जाने के कारण कैम्प से हटना पड़ा।
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