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Big breaking :-भाई ही निकला मास्टरमाइंड, बहन ने दीवाना का गढ़ा था अफसाना, इसलिए बनाई थी नकल की योजना

भाई ही निकला मास्टरमाइंड, बहन ने दीवाना का गढ़ा था अफसाना, इसलिए बनाई थी नकल की योजना

पुलिस ने दावा किया कि परीक्षा केंद्र के बाहर उसके तकनीकी मददगार के तौर पर जिस दीवाना का नाम सामने आ रहा था, उसके वास्तव में होने के प्रमाण नहीं मिले हैं।

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा के प्रश्न पत्र के पन्ने वायरल होने के मामले में पुलिस ने खालिद मलिक को ही मास्टरमाइंड मान लिया है। पुलिस ने कहा कि खालिद पहले भी इस परीक्षा में कुछ नंबरों से फेल हो गया था, इसलिए इस बार नकल की योजना बनाई। उसने पिछले 24 घंटे की पूछताछ में बताया कि इस मामले में उसकी अकेले की ही भूमिका थी, जिसमें बहन साबिया सहयोगी रही।

 

पुलिस ने दावा किया कि परीक्षा केंद्र के बाहर उसके तकनीकी मददगार के तौर पर जिस दीवाना का नाम सामने आ रहा था, उसके वास्तव में होने के प्रमाण नहीं मिले हैं। दीवाना उसकी बहन साबिया के दिमाग की उपज था, जिससे वह पुलिस को बरगला रही थी। मामले की विवेचना अधिकारी एसपी जया बलोनी ने प्रेसवार्ता में बताया कि खालिद परीक्षा से एक दिन पहले परीक्षा केंद्र (हरिद्वार के बहादरपुर जट स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज) पहुंचा और वहां दीवार फांदकर निर्माणाधीन हिस्से में छोटा मोबाइल फोन छिपाकर आ गया।

अगले दिन अपना मोबाइल साबिया को देकर परीक्षा देने चला गया। जांच के बाद परीक्षा केंद्र में प्रवेश कर लिया। परीक्षा शुरू होने से पहले ही अपना छिपाया मोबाइल निकाल लाया और अपनी जैकेट में छिपा लिया। परीक्षा कक्ष में उत्तर पुस्तिका पर रोल नंबर भरने के दौरान मौका देखकर प्रश्नपत्र के फोटो खींच लिए। आधे घंटे बाद बाथरूम जाने के बहाने निकला और बहन साबिया को फोटो भेज दिए, हालांकि घबराहट में तीन पन्नों की ही फोटो खींच सका।

सहायक प्रोफेसर सुमन को उसने पहले से तैयार किया हुआ था। उसकी योजना के अनुसार, साबिया के भेजे सवालों को सुमन ने हल करके अगले 10 मिनट में उसके पास वापस भेज दिया था। साबिया ने वह जवाब वापस खालिद के फोन पर भेज दिए, लेकिन परीक्षा कक्ष में उसे दोबारा मोबाइल निकालने का मौका नहीं मिला। दूसरी बार बाथरूम जाने की अनुमति नहीं मिली तो बाहर जाकर भी नहीं देख सका। कुल मिलाकर उसकी योजना नाकाम रही, वह जवाबों को ओएमआर शीट में नहीं भर पाया।
दोनों मोबाइल रीसेट किए, एक ट्रेन में फेंका
एसपी जया ने बताया कि परीक्षा खत्म होने के बाद खालिद और साबिया को सोशल मीडिया पर अपनी करतूत वायरल होने का पता चला तो घबरा गए। खालिद अपना मोबाइल लेकर घर से फरार हो गया। उसने अपना मोबाइल और जिस छोटे मोबाइल से प्रश्नपत्र के फोटो भेजे थे, दोनों के सिम तोड़कर फेंक दिए। दोनों मोबाइल भी रीसेट कर दिए। फिर बस से पहले दिल्ली गया। वहां से ट्रेन से लखनऊ पहुंचा। उसी दौरान नकल में इस्तेमाल मोबाइल ट्रेन के कूड़ेदान में फेंक दिया। उसके बाद वापस हरिद्वार पहुंचा। वह देहरादून में सरेंडर करने की कोशिश कर रहा था, तभी पुलिस की संयुक्त टीम ने दबोच लिया।

अब चलेगी तकनीकी जांच, खालिद भी भेजा जेल
एसपी ने कहा कि आगे की जांच अब तकनीकी एक्सपर्ट करेंगे, जिसमें साइबर कमांडो भी शामिल रहेंगे। खालिद का पर्सनल मोबाइल मिला है पर उसका डाटा मिट चुका है। उसे रिकवर करने के लिए फोरेंसिक लैब की मदद ली जा रही है। परीक्षा केंद्र पर इस्तेमाल हुए फोन की तलाश जारी है। फिलहाल साबिया के बाद उसके भाई खालिद को भी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। सहायक प्रोफेसर सुमन और खालिद की बहन अभी भी जांच के दायरे में हैं। एसपी ने कहा कि अब तक की जांच में किसी संगठित गिरोह के शामिल होने या प्रश्न पत्र के किसी अन्य स्थान से लीक होने का कोई सबूत नहीं मिला है। पुलिस मामले की आगे तकनीकी जांच कर रही है और यदि किसी व्यक्ति के पास इस मामले से संबंधित कोई सबूत है, तो वह उनसे संपर्क कर सकता है। जल्द जांच से जुड़ा एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया जाएगा।

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Author: Pankaj Panwar
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