विकास’ के लिए वोट का बहिष्कार… 2019 के मुकाबले इस बार इतना बढ़ा आंकड़ा
लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान कल 19 अप्रैल को संपन्न हो गया है। उत्तराखंड की बात करें तो यहां मतदान लगभग शांतिपूर्ण संपन्न हुआ है। लेकिन, इस चुनाव में चुनाव बहिष्कार और वोट प्रतिशत में लगातार आई गिरावट चर्चा का विषण बनी हुई है। लोगों ने विकास के लिए चुनाव बहिष्कार किया। लेकिन, सवाल यह है कि जब सरकारें विकास का दावा करती हैं, तो लोगों को विकास योजनाओं को पूरा कराने के लिए वोट का बहिष्कार क्यों करना पड़ा?
चुनाव आयोग के तमाम दावों और प्रयासों के बावजूद वोट प्रतिशत नहीं बढ़ पाया। कढ़ना तो दूर, 2019 के मुकाबले इस बार मतदान प्रतिशत और गिर गया। मतदान बहिष्कार के मामले भी 2019 के मुकाबले बढ़े हैं। 2019 में जहां 10 स्थानों पर चुनाव का बहिष्कार हुआ था, वहीं इस बार के चुनाव में 25 स्थानों पर लोगों ने चुनाव का बहिष्कार किया।
देहरादून जिले के चकराता क्षेत्र में द्वार और बिशलाड़
खत के 12 गांवों के ग्रामीणों ने मतदान नहीं किया। 6
बूथों पर सुबह 7.00 बजे से लेकर शाम 5.00 बजे तक
सन्नाटा पसरा रहा। तहसीलदार और एडीओ पंचायत
ग्रामीणों को मनाने के लिए गांव में पहुंचे, लेकिन ग्रामीण
नहीं मिले। मतदान स्थल मिंडाल में केवल दो
मतदानकर्मियों ने मतदान किया। दांवा पुल-खारसी
मोटर मार्ग का मरम्मत न होने से 12 गांवों मिंडाल,
खनाड़, कुराड़, सिचाड़, मंझगांव, समोग, थणता,
जोगियो, बनियाना, सेंजाड़, सनौऊ, टावरा आदि ने
बहिष्कार किया। मसूरी में भी करीब सात मतदान केंद्रों
पर इक्का-दुक्का ही वोट पड़े।
अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने बताया, चमोली में एक सड़क स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन आचार संहिता की वजह से काम शुरू नहीं हो पाया। बावजूद इसके ग्रामीण वोट डालने को तैयार नहीं हुए।
चमोली जिले की बात करें तो जिले आठ गांवों के ग्रामीणों ने वोटिंग नहीं की। निजमुला घाटी के ईराणी गांव में मात्र एक ग्रामीण का वोट पड़ा। पाणा, गणाई, देवराड़ा, सकंड, पंडाव, पिनई और बलाण गांव में ग्रामीणों ने मतदान नहीं किया। कर्णप्रयाग के संकड, आदिबदरी के पड़ाव, नारायणबगड़ के मानूर और बेड़गांव के ग्रामीण रहे मतदान से दूर। थराली के देवराड़ा और देवाल के बलाड़ में मतदान का पूर्ण बहिष्कार।
पौड़ी जिले के विकास खंड पाबौ के मतदान केंद्र चौड़ में मतदाता वोट डालने के लिए नहीं निकले। इसकी जानकारी लगने पर आनन-फानन में निर्वाचन विभाग की टीम गांव पहुंची और ग्रामीणों से वोट डालने की अपील की। काफी मान-मनौव्वल के बावजूद सिर्फ 13 ग्रमीणों ने ही मतदान किया, जिसमें दो मत कर्मचारियों के पड़े।
पिथौरागढ़ में भी लोगों ने सड़क, पानी आदि की सुविधा के विरोध में मतदान का बहिष्कार किया। धारचूला में तीन बूथों पर मतदान का बहिष्कार किया गया। देर शाम तक मनाने का प्रयास हुआ, लेकिन निर्वाचन की टीम नाकाम रही।
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