करोड़ों के बिल अटके, निजी अस्पतालों ने गोल्डन कार्ड से इलाज किया बंद, कर्मचारी नाराज
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण राज्यकर्मियों के साथ ही निगम, निकायों, उपक्रमों के कर्मचारियों व सेवानिवृत्त कार्मिकों से भी गोल्डन कार्ड की अंशदान कटौती कर रहा है। कुछ ही अस्पतालों में निशुल्क इलाज मिल पा रहा है।
निजी अस्पतालों ने करोड़ों के बिल अटकने के बाद गोल्डन कार्ड से इलाज बंद कर दिया है। कर्मचारी और पेंशनर इससे नाराज हैं। शनिवार को एक ओर जहां निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने मुख्य सचिव के समक्ष समस्याएं रखीं तो सेवानिवृत्त राजकीय पेंशनर्स संगठन ने बैठक कर अपना रोष जताया। राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन को ज्ञापन दिया। उन्होंने बताया कि नियमितीकरण, वेतन विसंगति एवं गोल्डन कार्ड पर निजी अस्पतालों में इलाज न मिलने पर निगम, निकायों के कर्मचारियों में भारी आक्रोश है।
महासंघ ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण राज्यकर्मियों के साथ ही निगम, निकायों, उपक्रमों के कर्मचारियों व सेवानिवृत्त कार्मिकों से भी गोल्डन कार्ड की अंशदान कटौती कर रहा है। कुछ ही अस्पतालों में निशुल्क इलाज मिल पा रहा है। निजी अस्पतालों का प्राधिकरण पर करोड़ों का बकाया है, जिस कारण उन्होंने इलाज बंद कर दिया है। मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया कि मांगपत्र पर जल्द ही वार्ता होगी।
प्रतिनिधिमंडल ने अपर सचिव पेयजल अपूर्वा पांडे से वार्ता कर जल संस्थान कार्मिकों को वर्ष 1996 से न्यायालय के आदेशों के अनुसार शहर वेतनमान का लाभ अनुमन्य करने, विभाग के ढांचे को स्वीकृत करने, ग्रेड-पे बढ़ाने संबंधी विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा कीं। वार्ता में महासंघ के संरक्षक दिनेश गोसाईं, बीएस रावत, अध्यक्ष दिनेश पंत, महासचिव श्याम सिंह नेगी, शिशुपाल रावत, शिवप्रसाद शर्मा, जीवानंद भट्ट, अनिल भट्ट आदि मौजूद रहे।

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