देहरादून राज्य सरकार के निर्देशो पर गृह विभाग की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने
समस्त जिला मजिस्ट्रेट,को पत्र लिखते हुए निर्देश दिए है की
कारागार में निरूद्ध प्रदेश के लोकतन्त्र सेनानियों की सम्मान पेंशन के संबंध में।
2 अवगत कराया जाना है कि उक्त संदर्भित शासनादेश के निर्गत किये जाने के उपरान्त कतिपय प्रकरण शासन के संज्ञान में आये है जिसमें अन्य अभिलेखों से तो आवेदक के आपातकालीन अवधि (दिनांक 25.06.1975 से दिनांक 21.03.1977 तक) में मीसा / डी०आई०आर० में निरूद्ध होने संबंधी तथ्यों की पुष्टि हो रही है, किन्तु कारागार में उनके निरूद्ध होने संबंधी अभिलेखों के उपलब्ध न होने अथवा अभिलेखों के नष्ट हो जाने के कारण वे लोकतंत्र सेनानी घोषित नहीं हो पा रहे हैं।
3- अतः उपरोक्त प्रस्तर-2 में विहित तथ्यों के आलोक में शासनादेश संख्या-49/ XX(5)/18- 01(DF)/2016 दिनांक 17.01.2018 के प्रस्तर-4 में विहित प्राविधान को यथावत रखते हुए उक्त शासनादेश के प्रस्तर-4 के परन्तुक प्रदान करते हैं:- के रूप में निम्नवत अतिरिक्त प्राविधान किये जाने की श्री राज्यपाल सहर्ष स्वीकृति
परन्तुक ” जिन लोकतंत्र सेनानियों के अभिलेख जिला कारागार में उपलब्ध नहीं हैं अथवा नष्ट हो गये हैं, उनके प्रकरणों पर विचार करते समय संबंधित जिलाधिकारी आवश्यक सत्यापन के उपरान्त अन्य उपलब्ध सुसंगत अभिलेखों से अपना यह समाधान कर लेंगे कि आपातकालीन अवधि दिनांक 25.06.1975 से 21.03.1977 तक, लोकतंत्र की रक्षा हेतु आपातकाल के विरोध में मीसा / डी०आई०आर० के अधीन संबंधित धाराओं में आवेदक के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज हुई हो एवं उसकी गिरफ्तारी / निरुद्धि की पुष्टि होती हो।” उक्त के दृष्टिगत आपातकालीन अवधि में आवेदक के कारागार में निरूद्ध होने के संबंध में भूतपूर्व
या वर्तमान दो विधायकों/ संसद सदस्यों / दो ऐसे लोकतंत्र सेनानी, जिनको लोकतंत्र सम्मान राशि स्वीकृत हो चुकी है और जो आवेदक के साथ सहबंदी (कोप्रिजनर) रहे हो, के द्वारा शपथपत्र पर स्वयं के लोकतंत्र
सेनानी होने संबंधी साक्ष्य को अभिलेखों सहित उपलब्ध कराये जाने पर तथा आवेदक के संबंध में शपथपत्र के माध्यम से इस आशय का प्रमाण दिये जाने पर कि आपातकालीन अवधि में आवेदक राजनैतिक कारणों से विनिर्दिष्ट अवधि तक जेल में निरूद्ध रहा, को साक्ष्य के रूप में लोकतंत्र सेनानी घोषित किये जाने का आधार संबंधित जिला मजिस्ट्रेट द्वारा माना जायेगा।
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