पूर्व IAS अधिकारी पूजा खेडकर पर बड़ा एक्शन, केंद्र सरकार ने किया बर्खास्त
सरकार ने पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने शनिवार को पूजा खेडकर को तत्काल प्रभाव बर्खास्त कर दिया है. सरकार की ओर से यह कार्रवाई आईएएस (प्रोबेशन) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत की गई है.
इससे पहले संघ लोकसेवा आयोग यानी यूपीएससी ने IAS की उम्मीदवारी रद्द करते हुए धोखाधड़ी का केस भी दर्ज कराया था.
शुक्रवार को पूजा खेडकर ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा था कि वो एम्स में अपनी विकलांगता की जांच कराने के लिए तैयार हैं. पूजा खेडकर ने दिल्ली हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की हैं. खेडकर की ओर से यह दलील दिल्ली पुलिस के उस आरोप पर दिया गया जिसमें कहा गया है था कि उनका विकलांगता प्रमाण पत्र फर्जी हो सकता है. खेडकर पर धोखाधड़ी करने के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और दिव्यांगता कोटे का गलत तरीके से लाभ लेना के भी आरोप है.
पिछली सुनवाई में दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में दलील दी है कि पूजा खेडकर ने कई प्रकार की दिव्यांगता दिखाने के लिए दो प्रमाणपत्र पेश किए थे. जांच में पता चला है कि इनमें से एक फर्जी हो सकता है जबकि दूसरा मनगढ़ंत हो सकता है. पुलिस ने दावा किया है कि खेडकर ने 2022 और 2023 के लिए दो दिव्यांगता प्रमाणपत्र जमा किए हैं.
31 जुलाई को यूपीएससी ने रद्द कर दी थी उम्मीदवारी
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 31 जुलाई को उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी. इसके साथ-साथ भविष्य की परीक्षाओं में शामिल होने के लिए उन पर रोक लगा दी थी. खेडकर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार करती रही हैं.
दिल्ली की एक अदालत ने 1 अगस्त को खेडकर को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं, जिसकी गहन जांच की आवश्यकता है. इसके बाद खेडकर ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. हाई कोर्ट ने पहले 5 सितंबर और फिर 26 सितंबर तक खेडकर की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.
कौन हैं पूजा खेडकर?
पूजा खेडकर 2023 बैज की पूर्व आईएएस अधिकारी हैं. सिविल सर्विस एग्जाम 2022 में पूजा खेडकर ने ऑल इंडिया रैंक 841 हासिल किया था. यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद पूजा खेडकर ट्रेनिंग के बीच पुणे की असिस्टेंट कलेक्टर बनी. कार्यभार संभालते ही वो तब चर्चा आ गई जब उन्होंने अलग से चेंबर, लग्जरी कार और घर की डिमांड कर दी थी. इसके अलावा निजी कार पर लाल-नीली बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का स्टीकर लगाकर घूमने पर विवाद बढ़ा. मामले की शिकायत मुख्य सचिव से हुई. बाद में उनका खेडकर का वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया.
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