सावधान! डीपफेक आपको बना सकता है अपराधी…ध्यान न दिया तो कर सकता है कंगाल, पढ़ें कैसेसाइबर की दुनिया में इन दिनों डीप फेक शब्द चर्चाओं में हैं। बड़े-बड़े लोग इसका शिकार हो रहे हैं। साइबर अपराधी इस एआई आधारित इस तकनीक का दुरुपयोग कर लोगों से वित्तीय धोखाधड़ कर रहे हैं।देश का नामचीन व्यक्ति आपसे किसी सट्टा एप में पैसा लगाने को बोल रहा है।
कोई अपनी विचारधारा के विपरित ही बयान देता दिख रहा है। ऐसा अगर आप भी देख रहे हैं तो सावधान होने की जरूरत है। यह सब असली नहीं बल्कि डीप फेक का कमाल है। सावधान नहीं हुए तो और न सिर्फ वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार होंगे बल्कि अपराधी भी बन सकते हैं। किसी ऐसी वीडियो जिसे आप असली समझ रहे हैं उसे प्रसारित करने पर पुलिस आपके दरवाजे पर भी पहुंच सकती है।बीते दिनों कई नामचीन हस्तियों के नाम सामने आए हैं। इन वीडियो पर विश्वास कर बहुत से लोग साइबर ठगी का शिकार हुए हैं। ऐसे में बाद में संबंधित मामलों में व्यक्ति विशेष को अपनी सफाई तक देनी पड़ी।
इस मामले में सरकार अब नियम बनाने की तैयारी कर रही है लेकिन फिलहाल आईटी एक्ट के प्रावधानों के तहत ही लोगों पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।केस एक: पिछले दिनों उद्योगपति रतन टाटा का एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें वह एक एप का प्रचार करते दिख रहे थे। आवाज और बोलने का तरीका बिल्कुल रतन टाटा जैसा ही था। लोगों ने इस पर विश्वास किया और एप में पैसा लगाना शुरू कर दिया। मगर, हुआ उल्टा पैसा आने के बजाय खाते खाली हो गए। जब वीडियो की जांच हुई तो पता चला कि यह डीप फेक से तैयार किया गया था।
केस दो: इन दिनों सोशल मीडिया में एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल की नामचीन एंकर एक सट्टा एप का प्रमोशन करती दिख रही है। इसमें विराट कोहली को इसका प्रमोटर बताया जा रहा है। स्टूडियो में चल रही एक पुरानी वीडियो में विराट कोहली को इस तरह बोलते दिखाया गया है कि मानों वह कोहली ही बोल रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि कोहली ने एक हजार जमा कर इस एप से एक ही दिन में 81 हजार रुपये कमाए। लेकिन, यदि इस वीडियो को ध्यान से देखें तो एआई का प्रयोग साफ दिख रहा है। मगर एक बार देखने में वीडियो असली लग रही है।
क्या होता है डीप फेक
डीप फेक ‘डीप लर्निंग’ और ‘फेक’ का मिश्रण है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का प्रयोग कर किसी मीडिया फाइल (चित्र, ऑडियो व वीडियो) की नकली कॉपी तैयार की जाती है, जो वास्तविक फाइल की तरह ही दिखती है और ठीक उसी तरह बातचीत करती है या उसी तरह की आवाज निकालती है, जैसी संबंधित व्यक्ति की असल में होती है। दूसरे शब्दों में कहें, तो डीप फेक अपने सबसे सामान्य रूप में ऐसे वीडियो होते हैं जहां एक व्यक्ति के चेहरे को कंप्यूटर जनित चेहरे से बदल दिया गया होता है। ये वीडियो डिजिटल सॉफ्टवेयर, मशीन लर्निंग और फेस स्वैपिंग का उपयोग करके बनाए गए कृत्रिम वीडियो होते हैं।
क्या करें, कैसे बरतें सावधानी
-वीडियो को गौर से और बार-बार देखें। असली और नकली का फर्क समझ में आ सकता है।
-एआई के माध्यम से तैयार आवाज का धारा प्रवाह सामान्य से थोड़ा अलग होता है।
-संबंधित वीडियो के बारे में इंटरनेट पर जरूर चेक कर लें। बहुत से फैक्ट चेक पोर्टल सच्चाई सामने ला सकते हैं।
-कोई बड़ा आदमी प्रमोशन कर रहा है तो यह जरूर सोचें कि उसे एक एप का प्रमोशन करने से क्या मिलेगा।
-फिल्म स्टार प्रमोशन कर सकते हैं लेकिन उद्योगपति अपने से अलग उत्पाद का प्रमोशन क्यों करेगा? यह भी सोचें।
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