भाजपा में बड़े बदलाव के संकेत, अब सरकार केंद्रित नहीं होगी पार्टी
लोकसभा चुनाव में नतीजे आशा के मुताबिक न आने और अकेले बहुमत से पीछे रहने के बाद अब भाजपा में बड़े फेरबदल की तैयारी है। इसके लिए पिछले दस साल से सरकार केंद्रित रही पार्टी की सर्जरी होगी। अब सरकार को संगठन केंद्रित बनाया जाएगा। पार्टी सरकारी योजनाओं तक सीमित न होकर विस्तार करेगी।
सूत्रों ने बताया, भाजपा संगठन में बदलाव सिर्फ नए अध्यक्ष और उनकी टीम तक सीमित नहीं होगा। भाजपा और संघ में शीर्ष स्तर पर पार्टी की कार्यशैली में बदलाव पर मंथन हो रहा है। ‘सरकार केंद्रित’ संगठन की जगह ‘कैडर केंद्रित लीडरशिप’ बनाने के लिए आमूलचूल परिवर्तन की भूमिका बनाई जा रही है। दरअसल, भाजपा व संघ से जुड़े लोगों का मानना है कि दस साल से पार्टी सरकार और नेता पर केंद्रित हो गई थी।
यह प्रयोग काफी हद तक सफल रहा, लेकिन इस चुनाव परिणाम से साफ है कि पार्टी सिर्फ सरकारी योजनाओं को बढ़ाने तक सीमित नहीं रह सकती। कैडर इन दस सालों में उज्जवला, आयुष्मान और श्रीअन्न जैसी योजनाओं के प्रचार तक ही केंद्रित रहा। तिरंगा यात्रा, गंगाबचाओ यात्रा जैसे कार्यक्रम नहीं हुए। सभा, सेमिनार, विरोध-प्रदर्शन, सरकारी योजनाओं की समीक्षा और सुझाव देने का काम भी सीमित हो गया। कैडर इन्हीं कामों से एक्टिव रहता था। इसके न होने से वह केवल ऊपर से आने वाली बातों को बढ़ाता रहा।
• पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई संसदीय बोर्ड का पुनर्गठन।
• चुनाव समिति का फीडबैक अंतिम मानकर टिकट देना बंद होगा। प्रत्याशियों का फीडबैक सर्वे एजेंसियों से करवाना भी बंद होगा।
• अभी 7 राष्ट्रीय महासचिव हैं। इनमें 5 बदल सकते हैं। उनकी जगह नए लोगों को मौका मिलेगा।
• राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर संगठन में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण का संतुलन होगा।
• पार्टी में हर स्तर पर महिलाओं की संख्या और सहभागिता बढ़ेगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की टीम में 38 नेता शामिल हैं। इनमें पांच
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चार राष्ट्रीय सचिव महिलाएं हैं। महासचिव पद पर कोई महिला नहीं है।
• पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और कार्यसमिति में संघ बैकग्राउंड से आने वालों को तरजीह दी जाएगी।
• सरकारी योजनाओं में संशोधन के सुझाव देने के लिए मंच बनाएंगे। बाहरी नेताओं को पार्टी में लेने, उन्हें पद-टिकट देने की एक सीमा तय होगी। इस लोकसभा में चुनाव में भाजपा 442 सीटों पर लड़ी और 110 बाहरी नेताओं को टिकट दिया। ये नेता 2014 के बाद भाजपा में आए थे। हालांकि इनमें से 62% यानी 69 चुनाव हार गए।
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