नर्सिंग भर्ती में देरी पर सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष से जवाब तलब, पांच हजार से ज्यादा आवेदनभाजपा की तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार के समय पर कोविड काल में नर्सिंग अधिकारियों की तत्काल जरूरत को देखते हुए उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड से नर्सिंग भर्ती हटाकर उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद को सौंपी थी।स्वास्थ्य विभाग में 1564 नर्सिंग अधिकारी पदों की भर्ती प्रक्रिया में देरी पर शासन ने उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. डीएस रावत से जवाब तलब किया है।
सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार ने कारण बताओ नोटिस जारी कर बोर्ड से भर्ती प्रक्रिया का अंतिम चयन परिणाम घोषित न करने पर जवाब मांगा है। साथ ही शीघ्र अंतिम चयन सूची जारी करने के निर्देश दिए हैं।प्रदेश में नर्सिंग पदों की भर्ती प्रक्रिया 2019 से चल रही है। भाजपा की तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार के समय पर कोविड काल में नर्सिंग अधिकारियों की तत्काल जरूरत को देखते हुए उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड से नर्सिंग भर्ती हटाकर उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद को सौंपी थी।
इन पदों पर के लिए परिषद ने आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी थी। बाद में सरकार ने परिषद के माध्यम से की जा रही भर्ती प्रक्रिया को स्थगित कर सेवा नियमावली में संशोधन कर वर्षवार मेरिट आधार पर चयन करने का निर्णय लिया। छह दिसंबर 2022 को दोबारा से चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड को 1,564 पदों का प्रस्ताव दिया। बोर्ड ने तीन जनवरी 2023 को विज्ञप्ति जारी कर आवेदन प्रक्रिया शुरू की।
चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने का एलान
इसमें पांच हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। आवेदनों की स्क्रूटनी के बाद बोर्ड ने 30 मई से 30 जून 2023 तक दस्तावेज का सत्यापन किया। संविदा एवं बेरोजगार स्टाफ नर्सेज महासंघ की ओर से लगातार नर्सिंग अधिकारी पदों की भर्ती का परिणाम घोषित करने की मांग की जा रही है। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत कई बार चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने का एलान कर चुके हैं।इसे देखते हुए सचिव स्वास्थ्य ने भर्ती प्रक्रिया में देरी पर बोर्ड के अध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। नोटिस में कहा गया कि अंतिम परिणाम घोषित न होने से विभाग की छवि खराब हो रही है। साथ ही सरकारी अस्पतालों में भी नर्सिंग पद खाली होने से मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है
सरकारी खर्च पर ताइवान गए डीजी समेत 11 चिकित्सकों को नोटिस, छह माह से शासन को नहीं दी रिपोर्ट5 से 11 फरवरी 2023 तक नेशनल यूनिवर्सिटी ताइवान में एक्जीक्यूटिव लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया था, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के 11 अधिकारी सरकारी खर्च पर ताइवान गए थे। ट्रेनिंग प्रोग्राम के छह माह बाद भी इन अधिकारियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम से संबंधित अनुभवों और सूचनाओं की रिपोर्ट शासन को नहीं दी।सरकारी खर्च पर एक्जीक्यूटिव लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए ताइवान गए स्वास्थ्य महानिदेशक समेत 11 चिकित्सकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। ताइवान से लौटाने के छह माह बाद भी ट्रेनिंग प्रोग्राम के अनुभवों को लेकर शासन को कोई रिपोर्ट तक नहीं दी। लाखों रुपये खर्च उत्तराखंड को ट्रेनिंग प्रोग्राम का लाभ नहीं मिल पाया है।
नेशनल यूनिवर्सिटी ताइवान में 5 से 11 फरवरी 2023 तक एक्जीक्यूटिव लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया था। उसमें स्वास्थ्य विभाग के 11 अधिकारी सरकारी खर्च पर ताइवान गए थे। ट्रेनिंग प्रोग्राम के छह माह बाद भी इन अधिकारियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम से संबंधित अनुभवों और सूचनाओं की रिपोर्ट शासन को नहीं दी।
इसे गंभीरता से लेते हुए शासन ने ताइवान दौरा करने वाले अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। नोटिस में कहा गया कि शासन को रिपोर्ट न देने पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का कोई लाभ उत्तराखंड को नहीं मिला है। विदेश दौरा सरकारी धन के दुरुपयोग और सैर-सपाटा साबित हो रहा है गए ताइवान
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. विनिता शाह, एनएचएम निदेशक डॉ. सरोज नैथानी, एसीएमओ नैनीताल डॉ. तरुण कुमार टम्टा, सीएमओ चमोली डॉ. राजीव शर्मा, सीएमओ ऊधमसिंह नगर डॉ. सुनीता रतूड़ी, जिला क्षय रोग प्रतिरक्षण अधिकारी हरिद्वार डॉ. राजेश कुमार सिंह, स्वास्थ्य महानिदेशक कार्यालय के सहायक निदेशक डॉ. नरेश नपलच्याल, सहायक निदेशक डॉ. तुहिन कुमार, जिला क्षय रोग प्रतिरक्षण अधिकारी देहरादून डॉ. मनोज कुमार वर्मा, एसीएमओ अल्मोड़ा डॉ. दिपांकर, एसीएमओ पौड़ी डॉ. राजेश कुंवर शामिल थे।
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