बाबा रामदेव ने उत्तरकाशी आपदा प्रभावितों के लिए भेजी राहत सामग्री, की अमेरिका के खिलाफ एकजुट होने की अपील
पतंजलि योगपीठ ने उत्तरकाशी के धराली में आपदा पीड़ितों के लिए राहत सामग्री भेजी है। बाबा रामदेव ने 500 प्रभावित परिवारों के लिए आवश्यक वस्तुओं की मदद की घोषणा की। उन्होंने अन्य कंपनियों से भी आगे आने की अपील की और स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया। योगगुरु ने अमेरिका की दादागिरी के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया और रक्षाबंधन पर आर्थिक गुलामी से मुक्ति का संकल्प लेने को कहा।
हरिद्वार। धराली उत्तरकाशी में आयी भीषण त्रासदी में प्रभावितों की सहायता के लिए पतंजलि योगपीठ ने हाथ बढ़ाया है। पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष बाबा रामदेव, महामंत्री आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि फूड्स के एमडी रामभरत ने प्रारंभिक तौर पर तीन ट्रक आपदा राहत सामग्री धराली, उत्तरकाशी रवाना की। संपूर्ण देशवासियों से इस आपदा में प्रभावितों की सहायता के लिए आगे आने का आह्वान किया।
इस अवसर पर बाबा रामदेव ने कहा कि इस त्रासदी में जो जीवन समाप्त हो गए उन्हें तो कोई लौटा नहीं सकता लेकिन प्रभावित करीब 500 परिवारों के रोजमर्रा की नितांत आवश्यक वस्तुएं जैसे आटा, चावल, दालें, नमक, मसाले, बरसात से बचने के लिए तिरपाल, बर्तन, टूथपेस्ट, ब्रश, साबुन आदि हर्षिल, धराली रवाना की जा रही है। उन्होंने कहा कि मौसम की अनुकूलता होने पर आपदा पीड़ितों की और मदद की जाएगी।
इस अवसर पर उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनियों के साथ-साथ बड़ी स्वदेशी कंपनियों को भी आड़े हाथों लिया। कहा ये कंपनियां उत्तराखंड में केवल पैसा कमाने आती हैं जबकि आपदा के समय इन्हें मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाना चाहिए। रक्षाबंधन के अवसर पर योगगुरु ने देशवासियों से अमेरिका की गुंडागर्दी के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। कहा कि पूरी दुनिया में एक न्यू वर्ल्ड आर्डर बन रहा है।
इसमें ब्रिक्स देश, भारत, रशिया, चाइना, मिडिल ईस्ट, यूरोप तथा जी-7 के कुछ देश एक साथ आगे आ रहे हैं। जिससे अमेरिका की दादागीरी का मुकाबला किया जा सके और डालर का साम्राज्य खत्म किया जा सके। उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि हम रक्षाबंधन के अवसर पर पूरी तरह से स्वदेशी को अपनाने का संकल्प लें और भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने, रुपए को मजबूत बनाने और डालर के कुचक्र को तोड़ने का संकल्प लें।
उन्होंने कहा कि ढाई सौ साल पहले एक विदेशी ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत को गुलाम बनाया था और केवल 10 ताकतवर लोगों ने लगभग 64 ट्रिलियन डालर की लूट की थी। कुल मिलाकर भारत में पिछले 200-250 सालों में लगभग 100 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक लूट हुई है। आज राजनैतिक आजादी के बावजूद भी देश आर्थिक गुलामी, शिक्षा-चिकित्सा की गुलामी, वैचारिक सांस्कृतिक गुलामी, ग्लानि व कुंडाओं में डूबा हुआ है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने टेरिफ रेट को लेकर पूरे विश्व में जो गुंडागर्दी कर रखी है उसे गुंडागर्दी का मुकाबला करने का समय आ गया।
प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत स्वदेशी भारत के मंत्र को अपनाएं, स्वदेशी से स्वावलंबी का संकल्प लें। भारत की करेंसी, जीडीपी तथा इकोनामी को हम तभी मजबूत बना पाएंगे जब हम स्वदेशी के मार्ग पर चलेंगे। इससे पहले पतंजलि योगपीठ में श्रावणी उपाकर्म, रक्षाबंधन पर्व मनाया गया। बहन रेनू श्रीवास्तव, साध्वी देवप्रिया, डा ऋतंभरा शास्त्री, बहन अंशुल, बहन पारुल के साथ-साथ पतंजलि गुरुकुलम और आचार्यकुलम की छात्राओं तथा संन्यासिनी बहनों ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को राखी बांधकर रक्षा का आशीर्वाद लिया। साथ ही पतंजलि गुरुकुलम तथा आचार्यकुलम के छात्र-छात्राओं का उपनयन संस्कार कराया गया।
दोबारा आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता
हरिद्वार: योगगुरु ने कहा उत्तराखंड में कच्चे पहाड़ हैं जो दरकते रहते हैं। लोगों ने भी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नदियों के किनारे और पहाड़ से आने वाले झरनों और नालों के किनारे तलहटी में आबादी बसायी हुयी है। इसके लिए विचार करना होगा कि उत्तराखंड की बसावट कैसी हो। जिससे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जनहानि न हो और बार-बार आपदाओं और त्रासदियों का सामना नहीं करना पड़े। हमें दोबारा आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि रक्षाबंधन का अर्थ है कि हम हमारी बहनों या समाज के किसी भी व्यक्ति की रक्षा अपनी सामर्थ्य के अनुसार कर पाएं। दुर्भाग्य से उत्तराखंड में जो भयानक त्रासदी हुयी उसमें कई लोगों ने अपनी जान गंवाई। पतंजलि परिवार उसी दिन से शासन-प्रशासन और जमीनी स्तर पर संपर्क बनाए हुए है। करीब 500 परिवार इस भयानक त्रासदी में बहुत ज्यादा प्रभावित हैं। इनको लक्ष्य में रखकर हम प्रारंभिक तौर पर उन प्रभाविताें के लिए आवश्यक सामग्री रवाना कर रहे हैं। पहले भी पतंजलि आपदा की घड़ी में देशवासियों के साथ खड़ा रहा है। इस आपदा के समय में भी पतंजलि प्रभावितों के साथ है।

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