शीतकाल के लिए समाधिस्थ हुए बाबा केदारनाथ, अब छह माह देवता संभालेंगे पूजा का जिम्मा, जानें ये कहानी
केदारनाथ धाम के कपाट दो मई को खुले थे। भाई दूज के दिन विधि-विधान व मंत्रोच्चारण के साथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए। अब छह माह पूजा का जिम्मा देवता संभालेंगे।
केदारनाथ मंदिर के कपाट बृहस्पतिवार को शीतकाल के लिए बंद हो गए। इसी के साथ बाबा केदारनाथ छह माह के लिए समाधिस्त हो गए हैं। इस दौरान मंदिर की पूजा का जिम्मा देवता संभालेंगे। केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को समाधिस्त करने की प्रक्रिया अनूठी है जो वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ दो घंटे तक मंदिर के गर्भगृह में आयोजित हुई। इस दौरान गर्भगृह में कुछ ही आचार्य ब्राह्मण व केदारसभा के लोग मौजूद रहे।
मंदिर के कपाट बंद होने की पूर्व संध्या पर बुधवार रात दस बजे से बृहस्पतिवार तड़के तीन बजे तक देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान केदारनाथ का जलाभिषेक किया। इसके बाद प्रातः चार बजे से केदारनाथ की समाधि पूजा शुरू हुईं जिस दौरान श्रद्धालुओं का गर्भगृह में प्रवेश वर्जित रहा। केदारसभा के अध्यक्ष पंडित राजकुमार तिवारी, महामंत्री अंकित सेमवाल, पुजारी बागेश लिंग, बीकेटीसी के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल, धर्माधिकारी ओंकार शुक्ला और रोशन लाल त्रिवेदी की मौजूदगी में भगवान केदार को समाधि दी गई।
गर्भगृह को शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया
इस दौरान केदारनाथ स्वयंभू लिंग को घी, श्वेत वस्त्र, बागंबर, स्थानीय अनाज (धान व गेहूं), कुमजा व बुकला के फूल (स्थानीय फूल), ब्रह्म कमल, फूल पत्ते, भस्म और रुद्राक्ष से ढका गया। प्रातः छह बजे भगवान की समाधि पूजा संपन्न हुई। बाबा केदार के समाधिस्त होने के बाद गर्भगृह में मौजूद सभी लोग सभामंडप में पहुंचे और गर्भगृह को शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया।
बाबा केदार के स्वयंभू लिंग को समाधिस्त करने की यह धार्मिक प्रक्रिया बेहद कठिन होती है और विभिन्न वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूर्ण की जाती है। पंडित अंकित सेमवाल के अनुसार धार्मिक मान्यता है कि शीतकाल के छह माह तक केदारनाथ मंदिर की पूजा का जिम्मा देवता संभालते हैं। मंदिर में छह माह मानवों द्वारा और छह माह देवताओं द्वारा पूजा की प्राचीन परंपरा का आज भी निर्वहन किया जाता है।
रामपुर पहुंची केदारबाबा की पंचमुखी डोली
बाबा केदार की चल विग्रह पंचमुखी डोली बृहस्पतिवार को अपराह्न साढ़े तीन बजे रामपुर पहुंची। यहां स्थानीय लोगों के साथ ही तीर्थयात्रियों ने बाबा की डोली के दर्शन कर पुष्पवर्षा की। बाबा की डोली यहां रात्रि प्रवास करेगी। रात को महिला मंगल दल की ओर से भजन कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी जाएंंगी। डोली के साथ बीकेटीसी के डोली प्रभारी प्रदीप सेमवाल, पंचगाई समिति से धर्मेंद्र तिवारी और केदारसभा की ओर से महामंत्री अंकित सेमवाल चल रहे हैं।
गौरीकुंड में गौरी माई मंदिर के कपाट हुए बंद
गुप्तकाशी। केदारनाथ धाम के प्रवेश द्वार गौरीकुंड में स्थित गौरी मंदिर के कपाट बृहस्पतिवार को प्रात: आठ बजे विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गौरी माता के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। गौरी मंदिर के मठापति संपूर्णानंद गोस्वामी ने बताया कि मंदिर के कपाट बंद होने से पहले गौरी माता की विशेष पूजा आयोजित हुई। तड़के से ही मंदिर में पूजा चल रही थी। सुबह आठ बजे विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं। अब छह माह तक गौरी माता की पूजा-अर्चना गौरी गांव में संपन्न होगी। इस मौके पर ग्राम प्रधान कुसुम देवी, विजयराम गोस्वामी, रामचंद्र गोस्वामी, अनूप, धीरेंद्र गोस्वामी आदि मौजूद रहे।
पुलिस, तीर्थ पुरोहित और व्यापारियों ने आयोजित किए भंडारे
केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के मौके पर तीर्थपुरोहित और व्यापारियों की ओर से भंडारे आयोजित किए गए। केदारनाथ मंदिर क्षेत्र में आठ भंडारे आयोजित किए गए थे। केदारसभा के अध्यक्ष पंडित राजकुमार तिवारी के निर्देशन में भंडारे आयोजित किए गए। हजारों श्रद्धालुओं ने भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। इसके अलावा पुलिस चौकी केदारनाथ की ओर से बेस कैंप स्थित पुलिस चौकी के समीप श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया। पुलिस बल ने केदारनाथ की पंचमुखी डोली का स्वागत करने के साथ ही पैदल चल रहे तीर्थयात्रियों को भंडारे में भोजन कराया।

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