इलाका ही नहीं नई विधानसभा का प्रोजेक्ट भी फ्रीज, 12 साल से वन भूमि की स्वीकृति का इंतजार
रायपुर में विधानसभा भवन बनाने की योजना पर पिछले 15 वर्षों से विचार हो रहा है। 2014 में तत्कालीन सरकार ने रायपुर वन रेंज की 60 हेक्टेयर वन भूमि राज्य संपत्ति विभाग को ट्रांसफर करने का प्रस्ताव केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा था।
देहरादून के पास रायपुर में प्रदेश सरकार ने नई विधानसभा और सचिवालय भवन बनाने की योजना बनाई है, वह फ्रीज जोन घोषित है। यानी इलाके में भूमि की खरीद-फरोख्त पर यहां पाबंदी है। लेकिन सरकार के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर जिस उदासीनता और ढिलाई के साथ काम हो रहा है, उससे लगता है कि यह भी फ्रीज हो चुका है। केंद्र और राज्य में भाजपा की डबल इंजन सरकार होने के बावजूद आठ साल से वन भूमि की स्वीकृति का इंतजार हो रहा है। नौबत यहां तक आ गई है कि आवास विभाग अब फ्रीज जोन हटाने पर विचार कर रहा है।
रायपुर में विधानसभा भवन बनाने की योजना पर पिछले 15 वर्षों से विचार हो रहा है। 2014 में तत्कालीन सरकार ने रायपुर वन रेंज की 60 हेक्टेयर वन भूमि राज्य संपत्ति विभाग को ट्रांसफर करने का प्रस्ताव केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा था। मंत्रालय ने 2016 में सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी। इसके बाद पहले चरण की मंजूरी के लिए मंत्रालय ने कुछ शर्तों के अनुपालन के संबंध में प्रस्ताव मांगा। लेकिन प्रस्ताव भेजने में ही सरकार को पांच साल से ज्यादा लग गए। 2022 में जो प्रस्ताव भेजा गया उसमें भी कुछ कमियां थी, लिहाजा मंत्रालय ने जो सैद्धांतिक स्वीकृति ही रद्द कर दी। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, राज्य संपत्ति विभाग को वन स्वीकृति से संबंधित प्रक्रिया फिर से शुरू करनी पड़ रही है। मंत्रालय से स्वीकृति मिलेगी ही, इसकी गारंटी नहीं है।
ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए जरूरी है प्रोजेक्ट
25 वर्षों में देहरादून शहर पर ट्रैफिक का दबाव कई गुना बढ़ गया है। विधानसभा और राज्य सचिवालय बीच शहर में होने से यह दबाव और भी ज्यादा है। विधानसभा सत्र के दौरान पूरा शहर का एक बड़ा हिस्सा ट्रैफिक जाम की समस्या से परेशान रहता है। इस दबाव को कम करने के लिए विधानसभा और सचिवालय को दूसरे स्थान पर बनाया जाना जरूरी माना गया।
मैकेंजी ने बनाया प्लान, सरकार ने फ्रीज जोन घोषित कर दिया
सशक्त उत्तराखंड का रोड मैप तैयार कर रहे मैकेंजी के विशेषज्ञों ने भी रायपुर में नई विधानसभा और सचिवालय भवन बनाने का योजना तैयार की थी। पूरे इलाके को मास्टर प्लान के तहत तैयार करने के लिए भूमि की कमी न हो, इसलिए आवास विभाग ने रायपुर क्षेत्र के उस हिस्से को फ्रीज जोन घोषित कर दिया जो चिन्हित भूमि के पास है।
सिस्टम की सुस्ती टूट रही उम्मीद
अब इसे राजनीतिक कारण माना जाए या सिस्टम की सुस्ती रायपुर में नई विधानसभा और सचिवालय भवन निर्माण की परियोजना फिलहाल ठंडे बस्ते में है। हालांकि राज्य संपत्ति विभाग का कहना है कि वन भूमि स्वीकृति का प्रस्ताव भेजने के बाद उसे शीघ्र मंजूरी मिलने की उम्मीद है। लेकिन सवाल यह ही है कि जब नई विधानसभा भवन बनाया जाना है तो रिस्पना पुल के पास स्थित पुरानी विधानसभा भवन में नए अवस्थापना कार्य क्यों हो रहे हैं? जाहिर है कि रायपुर में विधानसभा भवन बनने की संभावना कम होना इसकी एक वजह हो सकती है।
वन भूमि स्वीकृति के लिए प्रस्ताव राज्य संपत्ति विभाग को भेजना है। परियोजना की सैद्धांतिक स्वीकृति पूर्व में मिल चुकी थी। विभागीय स्तर पर स्वीकृति दिलाने के लिए जो भी जरूरी होगा, वह किया जाएगा।
– आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव, (वन)
हमने विधानसभा के लिए वन भूमि के संबंध में प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेज दिया है। हम आशा करते हैं कि मंत्रालय जल्द अपनी स्वीकृति देगा। स्वीकृति के बाद राज्य संपत्ति विभाग परियोजना पर आगे बढ़ेगा।
– विनोद कुमार सुमन, सचिव राज्य संपत्ति
रायपुर क्षेत्र में विधानसभा व सचिवालय भवन बनाए जाने को लेकर वहां भूमि की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के लिए फ्रीज घोषित किया गया था। प्रोजेक्ट में हो रही देरी के बाद अब हम वहां फ्रीज जोन हटाने पर विचार कर रहे हैं।
– आर मीनाक्षी सुंदर, प्रमुख सचिव, आवास
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