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Big breaking :-उत्तराखंड के अधिकारियो के गजब हाल, उत्तराखंड निवास जनता के पैसो से बना लेकिन इसमें एंट्री नेताओं और अधिकारियो की ही

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राज्य सम्पत्ति विभाग के नियंत्रणाधीन नई दिल्ली स्थित नवनिर्मित उत्तराखण्ड निवास में ठहरने हेतु सम्यक विचारोपरान्त तात्कालिक प्रभाव से निम्नानुसार पात्रता निर्धारित की जाती है:-

• मा० राज्यपाल महोदय।

• मा० मुख्यमंत्री जी।

• मा० अध्यक्ष, विधान सभा/मा० मंत्रीगण / मा०नेता प्रतिपक्ष ।

• मा० उच्च न्यायालय के मा० मुख्य न्यायाधीश / मा० न्यायाधीशगण।

• मा० सांसदगण/मा० विधायकगण/मा० दायित्वधारीगण ।

• मा० पूर्व मुख्यमंत्रीगण।

• एडवोकेट जनरल ।

• राष्ट्रीय अथवा उत्तराखण्ड में राज्य स्तर का दर्जा प्राप्त राजनैतिक दलों के प्रदेश अध्यक्ष ।

• राज्य स्तर के विभिन्न संवैधानिक आयोगों के मा० अध्यक्षगण।

• नगर निगमों के मेयर/ जिला पंचायत अध्यक्ष ।

• उत्तराखण्ड शासन में कार्यरत मुख्य सचिव/अपर मुख्य सचिव / प्रमुख सचिव/सचिवगण ।

• पुलिस महानिदेशक/अपर पुलिस महानिदेशक / पुलिस महानिरीक्षक

• प्रमुख वन संरक्षक / मुख्य वन संरक्षक।

• राज्य स्तर के विभागाध्यक्षगण।

• राज्य के मुख्य स्थायी अधिवक्ता।

• राज्य के उच्च पदस्थ अधिकारीगण (वेतन लेवल 13(ए) या इससे उच्च स्तर) / केन्द्र सरकार के उत्तराखण्ड राज्य में कार्यरत समकक्ष वेतन लेवल के अधिकारीगण।

उत्तराखंड सरकार ने दिल्ली में एक भव्य उत्तराखंड भवन का निर्माण कराया, जो राज्य के लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया था। लेकिन राज्य संपत्ति विभाग के हालिया आदेश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह सार्वजनिक निवेश जनता के लिए नहीं है। यहां तक कि स्तर 13 से नीचे के अधिकारी, जैसे डीएम, एसएसपी और सीडीओ को भी इस सुविधा में ठहरने के लिए देहरादून में विभागीय सचिव से अनुमति और आवंटन लेना होगा।

जनता के लिए बना निवास, जनता के लिए ही नहीं

उत्तराखंड निवास के निर्माण पर भारी खर्च किया गया, जो सार्वजनिक धन से वित्तपोषित है। इसका उद्देश्य राज्य के लोगों को दिल्ली में सस्ती और सुविधाजनक आवास सुविधा प्रदान करना था, चाहे वह चिकित्सा उपचार, शिक्षा या अन्य आवश्यक कार्यों के लिए हो। लेकिन अब यह सुविधा नौकरशाही की लालफीताशाही का प्रतीक बन गई है, जो केवल कुछ विशेष लोगों तक ही सीमित है।

जब जनता के लिए नहीं, तो क्यों बनाया?

उत्तराखंड ऐसा राज्य है जहां के लोग अक्सर दिल्ली जीवन-रक्षक चिकित्सा उपचार, शिक्षा, या अन्य आवश्यक कार्यों के लिए जाते हैं। इनमें से कई महंगे होटल या गेस्ट हाउस का खर्च नहीं उठा सकते। इसके बावजूद, जिस भवन को उनकी समस्याओं को कम करने के लिए बनाया गया था, वह अब एक बंद दरवाजे की तरह खड़ा है।

 

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Author: Swati Panwar
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