देश की रक्षा करते करते जम्मू कश्मीर के राजौरी में भारत के पांच लाल शहीद हो गए, जिसमे उत्तराखंड से रूचिन रावत भी शामिल थे। गैरसैण ब्लॉक के दूरस्थ गांव कुनिगाड गांव के रहने वाले रुचिन रावत देश सेवा का जज्बा लिए बड़े सपनो के साथ 2011 में सेना में भर्ती हुए ओर देश रक्षा के लिए हर वक्त तत्पर रहे रुचिन रावत बीते रोज शुक्रवार को ऑपरेशन त्रिनेत्र के दौरान मात्र 29 वर्ष की आयु में आतंकी हमले में शहीद हो गए।
रुचिन के अलावा 4 अन्य जवान भी इस आतंकी मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। आज शहीद रुचिन रावत का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचने पर उनकी पत्नी, माता पिता व दादा दादी फफक फफक कर रो पड़े इस दौरान गांव का माहौल भी मातम में बदल गया। वहीं पूरा क्षेत्र शोक की लहर में डूब गया। रुचिन का पार्थिव शरीर बीते रोज राजौरी से जोलीग्रांट एयरपोर्ट देहरादून पहुचा था जिसके बाद सड़क मार्ग से उनके पैतृक गांव कुनिगाड के लिए सेना के जवानों द्वारा सैन्य सम्मान से लाया गया।
पार्थिव शरीर के गैरसैण पहुचने पर रास्तों में लोगो ने फूलों से रुचिन के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी। जहां जहां जिस जिस जगह से सेना के जवान का पार्थिव शरीर गुजरा वहाँ रुचिन की शहादत पर रुचिन अमर रहे कि नारो से गुंजायमान हो गया। जैसे ही रुचिन का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा परिवार के सदस्यों का रो रो का बुरा हाल है। रुचिन अपने पीछे पत्नी और चार साल के बेटे हर्षित समेत माता पिता, दादा दादी व भाई का भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं।
रुचिन के भाई का कहना है कि उन्होंने अपना भाई खोया जरूर है लेकिन उनकी शहादत पर उन्हें गर्व है। रुचिन को उनके छोटे भाई जो भारतीय नौ सेना में तैनात हैं ने मुखाग्नि दी। वहीं कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड वीरों की भूमि है और यहां हर घर में सैनिक है। उन्होंने रूचिन की शहादत पर कहा कि परिवार का सदस्य बिछड़ा है इसका तो सबको दुख है लेकिन उनकी शहादत पर सबको गर्व है।
पूर्व राज्य मंत्री सुरेश कुमार बिष्ट और राज्य आंदोलनकारी हरिकृष्ण भट्ट का कहना है कि रुचिन ने देश के साथ-साथ अपने प्रदेश और अपने गांव का नाम रोशन किया उन्होंने बताया कि आज उनकी शहादत पर मेहलचैरी में बाजार बंद किया गया है। कहा कि रुचिन की शहादत पर जहाँ दुख है तो वहीं हमे उसकी शहादत पर गर्व भी है।
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