बारिश के कहर के साथ मगरमच्छों का भी खतरा, 26 का किया जा चुका रेस्क्यू, ये इलाके हैं संवेदनशील
तराई के इलाकों में कई बांध हैं, जिनमें बड़ी संख्या में मगरमच्छ हैं। मानसून सीजन में 26 मगरमच्छों को रेस्क्यू किया जा चुका है। तीन साल में 114 मगरमच्छ पकड़े गए हैं।
इस मानसून सीजन में जहां आम जनमानस मूसलाधार बारिश के साथ ही जलभराव की समस्या से दोचार हो रही है, वहीं, तराई पूर्वी वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में मगरमच्छ भी जान पर भारी पड़ रहे हैं। तराई पूर्वी वन प्रभाग की टीम ने इस मानसून क्षेत्र में अब तक खटीमा रेलवे स्टेशन से लेकर आबादी के करीब तक पहुंचे 26 मगरमच्छों को रेस्क्यू कर चुकी है।
विभाग ने जंगलात क्षेत्र के आसपास निवास करने वालों को सचेत करने के लिए अखबारों में विज्ञापन भी प्रकाशित किए। तराई के इलाकों में कई बांध हैं, जिनमें बड़ी संख्या में मगरमच्छ हैं। इसके अलावा तराई पूर्वी वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाले इलाकों में नालों की संख्या भी काफी है। इसमें कई नालों में मगरमच्छ हैं। प्रभाग के सटे आबादी वाले इलाकों में मगरमच्छों के पहुंचने के मामले आते रहे हैं।
तराई पूर्वी वन प्रभाग में बीते तीन सालों में 114 मगरमच्छों को रेस्क्यू किया गया था। इस मानसून सीजन में नदी-नालों में जलस्तर बढ़ने के साथ जलभराव हुआ। वन विभाग की टीम बारिश के सीजन में 26 मगरमच्छों को रेस्क्यू कर चुका है। अभी तक तराई पूर्वी वन प्रभाग में मगरमच्छों के हमले में दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। तराई पूर्वी वन प्रभाग के एसडीओ सितारंगज संतोष पंत के मुताबिक, बरसात के बाद से अब तक गौला, खटीमा, किलपुरा, सुरई, बाराकोली, रनसाली, दक्षिण जौलासाल से मगरमच्छों को रेस्क्यू किया जा चुका है।
बरसात में आबादी में मगरमच्छों के पहुंचने के केस ज्यादा
ये मगरमच्छ रेलवे स्टेशन, आबादी क्षेत्र, तालाब, खेत से रेस्क्यू किए गए हैं। सबसे अधिक मगरमच्छ खटीमा से रेस्क्यू किए गए हैं। मगरमच्छों को रेस्क्यू करने के बाद डैम में छोड़ा गया। बताया, मगरमच्छ को जब छोड़ा जाता है, तो उस समय उनके उग्र होने की आशंका ज्यादा होती है। ऐसे संवेदनशील जगहों पर तैनात वनकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण देने का फैसला किया गया है।
इसके अलावा वॉच टॉवर भी स्थापित किए जाएंगे। सेवानिवृत्त डीएफओ बाबूलाल कहते हैं कि बरसात में आबादी में मगरमच्छों के पहुंचने के केस अधिक आते हैं। करीब 18 मगरमच्छों को बीते साल रेस्क्यू किया गया था, मगर इस बार संख्या अधिक है।
इलाके हैं संवेदनशील
वन विभाग ने रनसाली रेंज में खकरा, काली किच नाला, देहवा, सरौजा बीट का दक्षिण-पश्चिमी भाग में बहने वाला नाला, बाराकोली में देहवा नदी, कटरा नाला, नानक सागर निहाई, किलपुरा रेंज में चटिया नाला, बुड़ाबाग नाला, डौली रेंज में कटना नाला, बडिंया नाला, किशनपुर रेंज में बैंकठपुर, गोविंदनगर, जेल कैंप, सिडकुल क्षेत्र और गौला रेंज।
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