वनावरण के साथ ही खेती का रकबा घट रहा साल दर साल, 24 वर्षों में 26% कम हो गई खेती की जमीन
राज्य ने 24 साल के सफर में 2.02 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल कम हुआ है। आधुनिकता की आंधी और शहरीकरण की चकाचौंध में खेत, खलिहान में फसल की जगह मकान, दुकान और मॉल उग आए हैं।
उत्तराखंड में वनावरण के साथ ही खेती का रकबा साल दर साल घटता जा रहा है। राज्य गठन के 24 सालों में खेती की 26 फीसदी जमीन कम हुई है। वर्ष 2000-01 में राज्य में 7.77 लाख हेक्टेयर जमीन पर खेती होती थी।
वर्तमान में यह घटकर 5.68 लाख हेक्टेयर रह गई है। राज्य ने 24 साल के सफर में 2.02 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल कम हुआ है। आधुनिकता की आंधी और शहरीकरण की चकाचौंध में खेत, खलिहान में फसल की जगह मकान, दुकान और मॉल उग आए हैं।
गांव-गांव सड़क पहुंच गई है। वहीं, जंगली जानवरों से फसलों को नुकसान, पलायन के कारण भी परती भूमि (ऐसी भूमि जिसमें पहले खेती होती थी) की बढ़ोतरी हो रही है। राज्य बनने के समय उत्तराखंड में परती भूमि 1.07 लाख हेक्टेयर थी जो 2022-23 में बढ़कर 2.16 लाख हेक्टेयर हो गई है। हर साल खेती का रकबा घट रहा है।
दो साल में इतना घटा खेती का रकबा (हेक्टेयर में जमीन)
मंडल पहले अब घटा रकबा
कुमाऊं 3,23,275 2,88,177 35,098
गढ़वाल 3,24,513 2,80,311 44,202
कुल 6,47,788 5,68,488 79,300
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